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Dattatreya Jayanti 2023: साल 2023 में कब है दत्तात्रेय जयंती, जानें शुभ मुहूर्त व महत्व

Dattatreya Jayanti 2023: दत्तात्रेय जयंती के दिन त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के स्वरूप दत्तात्रेय भगवान की पूजा होती है। तो आइए पूजा करने के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।
04:15 PM Dec 24, 2023 IST | Raghvendra Tiwari
Dattatreya Jayanti 2023
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Dattatreya Jayanti 2023:  सनातन धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का अधिक महत्व है। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि दत्तात्रेय भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की विधि-विधान से पूजन किया जाता है। जो जातक विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु, ब्रह्मा और महेश तीनों देव का आशीर्वाद मिलता है। यह जयंती विशेष फल देने वाला पर्व माना जाता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि इस साल दत्तात्रेय जयंती कब है। साथ ही शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।

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दत्तात्रेय जयंती 2023 कब

हिंदू धर्म में किसी भी पूजा पाठ करते समय शुभ मुहूर्त का होना बेहद जरूरी होता है। इसलिए हिंदू पंचांग से जानेंगे दत्तात्रेय जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त, जो इस प्रकार है।

दत्तात्रेय जयंती 26 दिसंबर 2023 दिन  मंगलवार को है।

पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि का आरंभ 26 दिसंबर 2023 दिन मंगलवार को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर हो रहा है। वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन 27 दिसंबर 2023 दिन बुधवार को सुबह 6 बजकर 2 मिनट पर होगा।

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पूजा के लिए शुभ मुहूर्त-

पूर्णिमा के दिन दत्तात्रेय जयंती पूजा का तीन शुभ मुहूर्त बन रहा है, जो इस प्रकार है-

दत्तात्रेय जयंती पूजा के लिए पहला शुभ मुहूर्त- 26 दिसंबर दिन मंगलवार को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। उसके बाद दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। वहीं तीसरा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त संध्या के 7 बजकर 14 मिनट से लेकर रात्रि के 8 बजे तक रहेगा।

दत्तात्रेय जयंती का क्या है महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दत्तात्रेय जयंती में तीनों देव समाहित हैं। कहा जाता है कि दत्तात्रेय भगवान महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र हैं। इन्हें भगवान और गुरु दोनों का स्वरूप माना गया है। इनके स्वरूप की बात करें, तीन मुख और 6 हाथ हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दत्तात्रेय भगवान ने अपने 24 गुरु बनाए थे। जो  जातक दत्तात्रेय भगवान की पूजा करते हैं उन्हें त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही अथाह ज्ञान की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दत्तात्रेय भगवान परशुराम जी को श्रीविद्या मंत्र सिखाया था, जो यह विद्या सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

(https://www.whitestallion.com/)

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