Chandal Yog: राहु और गुरु की युति से बनता है चांडाल योग, व्यक्ति पर पड़ते हैं शुभ-अशुभ प्रभाव
Guru Chandal Yog: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब दो ग्रह आपस में मिलते हैं तो शुभ और अशुभ योग का निर्माण होता है। जिसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी जातक की कुंडली में गुरु बृहस्पति राहु-केतु के साथ युति करते हैं तो चांडाल योग बनता है। यह योग को बहुत ही ही विनाशकारी योग माना गया है। माना जाता है कि चांडाल योग जिन लोगों की कुंडली में बनता है उस व्यक्ति का जीवन नष्ट हो जाता है। साथ ही उसके जीवन में कई तरह की परेशानियां आने लगती हैं।
कुंडली में कैसे बनता है चांडाल योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में गुरु लग्न पंचम, सप्तम, नवम और दशम भाव का स्वामी होते हैं उस जातक की कुंडली में विनाशकारी गुरु चांडाल योग का निर्माण होता है। इसका प्रभाव बहुत ही भयानक होता है। लेकिन हर किसी के लिए गुरु चांडाल योग विनाशकारी नहीं होता है। किसी-किसी स्थिति में शुभ फल भी प्रदान करता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि गुरु चांडाल दोष का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या होता है।
गुरु चांडाल योग का सकारात्मक प्रभाव
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली में देव गुरु बृहस्पति उच्च स्थान में रहते हैं और राहु नीच स्थान में, तो उस समय जातक को लाभ ही लाभ होता है। माना जाता है कि इस समय व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है। सभी कार्यों में सफलता मिलता है। भौतिक सुख में विस्तार होता है। जीवन खुशहाल बीतने लगता है।
गुरु चांडाल योग का नकारात्मक प्रभाव
यदि किसी जातक की कुंडली में गुरु चांडाल योग बनता है तो व्यक्ति के मान-सम्मान के साथ चरित्र को हानि पहुंचती हैं।
मान्यता है कि कुंडली में गुरु चांडाल योग बनने से नौकरी-कारोबार में घाटा लगने लगता है साथ ही हर परिस्थिति में हानि होने लगती है।
व्यक्ति को जुआ और नशें की लत लग जाती है। व्यक्ति गलत संगत में पड़ने लगता है। मानसिक तनाव की स्थिति बनने लगती है।
चांडाल योग के प्रभाव को कम करने के उपाय
चांडाल योग के प्रभाव को कम करने के लिए गाय को हरा चारा खिलाएं। उसके बाद हनुमान जी की आराधना करें।
मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में गुरु चांडाल योग का प्रभाव अधिक है उन्हें भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। साथ ही शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए
चांडाल योग को कम करने के लिए केले के वृक्ष की विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही हल्दी और चंदन से तिलक लगाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से कुंडली के सभी विनाषकारी दोष समाप्त हो जाता है।
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स्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।