होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Mahavir Jayanti 2023: महावीर जयंती आज, जानें- सिद्धार्थ कैसे बनें महावीर

07:48 AM Apr 04, 2023 IST | Pankaj Mishra
Advertisement

Mahavir Jayanti 2023: आज चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि और दिन मंगलवार है। साथ ही आज महावीर जयंती भी है। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को महावीर जयंती मनाई जाती है। 24वें जैन तीर्थांकर वर्धमान महावीर के जन्मोत्सव के मौके पर महावीर जयंती मनाया जाता है। महावीर स्वामी जी का जन्म चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि के दिन 599 ई.पू. बिहार के वैशाली जिले में कुंडग्राम में हुआ था। इनके पिता वज्जि गणराज्य के राजा थे जिनका नाम सिदार्थ है और इनकी माता त्रिशला देवी हैं। इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था।

Advertisement

भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम तीर्थांकर माने जाते हैं। मान्यता के मुताबिक महावीर जैन का संबंध भगवान राम से भी माना जाता है। क्योंकि महावीर जैन का जन्म उसी कुल में हुआ था जिस कुल में भगवान राम का जन्म हुआ था। भगवान राम और महावीर जैन दोनों ही सूर्यवंशी हैं और दोनों का जन्म इच्छवाकु वंश में हुआ है।

भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। इन्होंने ज्ञान की प्राप्ति के लिए कठोर तप किया। 30 वर्ष की उम्र में राजसी सुखों को त्याग कर उन्होंने तप किया। 12 साल 6 महीने और 5 दिनों के कठोर तपस्या के बाद इन्होंने अपनी इच्छाओं और विकारों पर नियंत्रण पा लिया। इसके बाद उन्हें कैवल्य की प्राप्ति हुई।

मान्यता के मुताबिक बैसाख शुक्ल दशमी के दिन जृम्भक गांव के समीप बहने वाली गजुकूला नदी के तट पर इन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई, जिसके प्रकाश से चारों दिशाएं आलोकित हो उठीं। केवल ज्ञान की ज्योति पाकर भगवान ‘महावीर’ ने भारत के धार्मिक व सामाजिक सुधार का निश्चय किया। इनका मूलमंत्र था ‘स्वयं जीओ और दूसरों को जीने दो’।

Advertisement

महावीर स्वामी ने कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति के बाद चार तीर्थों की स्थापना की साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका। यह सभी तीर्थ लौकिक तीर्थ न होकर एक सिद्धांत हैं। इसमें जैन धर्म के सिद्धांत सत्य, अहिंसा, अपिग्रह, अस्तेय ब्रह्मचर्य का पालन करते हए अपनी आत्मा को ही तीर्थ बानने की बात महावीर स्वामी ने बतायी है।

केवल ज्ञान प्राप्त होने के करीब 30 साल तक वो लगातार जन कल्याण के लिए दूर-दूर के प्रदेशों में घूमकर लोगों सत्य का ज्ञान और संदेश देते रहे। इसके बाद कार्तिक मास, स्वाति नक्षत्र, अमावस्या को धर्म देशना करते हुए भगवान परिनिर्वाण को प्राप्त हो गए। आज भी उनका जीवन और सिद्धांत उपयोगी एवं जीवन को सुखमय बनाने में समर्थ हैं। जैन धर्म के अनुयायी महावीर जैन की श्रद्धा भाव से पूजा और अभिषेक करते हैं। और महावीर के सिद्धांतों को याद करते हुए उनके बताए सिद्धांतों पर चलने का प्रण करते हैं।

 

और पढ़िए: देश-दुनिया से जुड़ी खबरें यहां पढ़ें

(Ambien)

Open in App
Advertisement
Tags :
Mahavir JayantiMahavir Jayanti 2023
Advertisement
Advertisement