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Som Pradosh Vrat: 21 नवं. को है सोम प्रदोष, ऐसे करें शिव की पूजा तो पूरे होंगे सभी मनोरथ

03:19 PM Nov 20, 2022 IST | Sunil Sharma
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Som Pradosh Vrat: देवों के देव महादेव केवल मात्र जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। वे इतने दयालु हैं कि बिना सोचे-समझे किसी को भी कुछ भी वरदान दे देते हैं। यही कारण है देवता, दानव, राक्षस, मनुष्य सभी जीवन उनकी तपस्या करते हैं। जो लोग तपस्या नहीं कर सकते हैं, वे सोमवार और प्रदोष का व्रत करते हैं।

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हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो प्रदोष आती हैं- एक कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की। यदि ये प्रदोष सोमवार अथवा शनिवार को आए तो इनका विशेष महात्म्य बताया गया है। इस बार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी अथवा सोम प्रदोष व्रत 21 नवंबर (सोमवार) को आ रहा है। सोमवार का दिन होने से यह अत्यधिक महत्वपूर्ण बन गई हैं। जानिए प्रदोष को शिव का व्रत और पूजा किस प्रकार करें कि उनकी कृपा प्राप्त हों।

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सोम प्रदोष व्रत तिथि तथा पूजा मुहूर्त (Som Pradosh Vrat Date)

इस बार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी अथवा प्रदोष 21 नवंबर को सुबह 5.25 बजे शुरू होगी। इसका समापन उसी दिन रात्रि 8.06 बजे होगा। अतः ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रदोष का व्रत भी 21 नवंबर को ही रखा जाएगा। यदि मुहूर्त की बात करें तो इस दिन आयुष्मान योग बन रहा है। दोपहर में 12.15 से 12.50 बजे तक अभिजित मुहूर्त रहेगा। ये दोनों ही मुहूर्त पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माने गए हैं।

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प्रदोष पर ऐसे करें महादेव की पूजा (Som Pradosh Vrat Shiv ji Puja Vidhi)

प्रदोष पर शिव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर साफ, स्वच्छ वस्त्र पहन कर शिवमंदिर जाएं। वहां पर शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें तथा दूध मिश्रित जल चढ़ाएं। अंत में उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं। इस तरह शिव का अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर सफेद चंदन का त्रिपुंड लगाएं। सफेद फूल यथा चमेली, मोगरा, आक आदि के फूल एवं माला चढ़ाएं। उन्हें प्रसाद के रूप में फल अर्पित करें। देसी घी का दीपक तथा धूपबत्ती जलाएं। अंत में भोलेनाथ की आरती उतारें कर प्रसाद वितरित करकें और स्वयं भी खाएं।

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सोम प्रदोष व्रत में ध्यान रखें ये बातें

यदि आप प्रदोष का व्रत रखते हैं तो आपको उस दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन आपको किसी भी बुजुर्ग, साधु, भिखारी, अपाहिज, स्त्री अथवा पशु-पक्षी को अपमानित नहीं करना चाहिए। व्रत वाले दिन किसी को भी जाने-अनजाने में पीड़ा न पहुंचाएं। यथाशक्ति दूसरों की सहायता करें और भिखारियों को भोजन कराएं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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