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हवन करते समय 'स्वाहा' क्यों कहा जाता है? जानें इसके पीछे की खास वजह

आपने देखा होगा कि हवन करते समय हर आहुति के साथ 'स्वाहा' शब्द का उच्चारण किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों ऐसा किया जाता है? इस शब्द के पीछे एक बहुत ही गहरा अर्थ छिपा हुआ है। आइए जानते हैं...
01:32 PM Nov 30, 2024 IST | Ashutosh Ojha
havan
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क्या आपने कभी सोचा है कि हवन के दौरान 'स्वाहा' क्यों बोला जाता है? यह शब्द सुनते ही एक रहस्यमय और दिव्य ऊर्जा का अहसास होता है, लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है? हवन में आहुति देने के बाद यह शब्द क्यों बोला जाता है? क्या यह सिर्फ एक परंपरा है या इसके पीछे कोई गहरी धार्मिक मान्यता छिपी हुई है? अगर आप भी जानना चाहते हैं कि 'स्वाहा' का मतलब क्या है और इसका हवन में क्या महत्व है, तो आइए जानते हैं...

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हवन और 'स्वाहा' का महत्व

हिंदू धर्म में हवन का विशेष महत्व है। इसे पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है। मान्यता है कि हवन के बिना पूजा अधूरी रहती है। हवन करने से न केवल वातावरण शुद्ध होता है बल्कि घर और मन को भी शांति मिलती है। जब हवन करते समय आहुति अग्नि में दी जाती है, तो मंत्रोच्चारण के साथ 'स्वाहा' बोला जाता है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और इसके पीछे गहरी धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।

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स्वाहा का पौराणिक और धार्मिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, 'स्वाहा' का संबंध अग्निदेव की पत्नी से है। धार्मिक मान्यताओं में स्वाहा को दक्ष प्रजापति की पुत्री बताया गया है, जिनका विवाह अग्निदेव के साथ हुआ। यह माना जाता है कि अग्निदेव स्वाहा के माध्यम से ही हवन को ग्रहण करते हैं। इसके साथ ही, भगवान कृष्ण ने स्वाहा को वरदान दिया था कि यज्ञ और हवन की हर आहुति उनके नाम से ही दी जाएगी। यही कारण है कि हर मंत्र के बाद 'स्वाहा' कहा जाता है। इससे अग्निदेव प्रसन्न होते हैं और देवता यज्ञ में दी गई आहुति को स्वीकार करते हैं।

क्या होता है 'स्वाहा' का अर्थ

एक अन्य कथा के अनुसार, अग्निदेव और स्वाहा के तीन पुत्र हुए- पावक, पवमान और शुचि। यह कथा हवन में 'स्वाहा' कहने के महत्व को और भी अधिक स्पष्ट करती है। 'स्वाहा' का अर्थ होता है- सही रीति से पहुंचाना। इस शब्द का उच्चारण आहुति को देवताओं तक पहुंचाने का प्रतीक है। धार्मिक ग्रंथों में इसे विशेष मान्यता दी गई है। हालांकि, यह सारी जानकारी विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित है। इसे मानने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।

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