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कार का Airbag ले सकता है आपकी जान! बचने के लिए हमेशा करें ये काम

भारत में हर साल करीब 1.5 लाख लोगों की सड़क हादसों में जान चली जाती है। इस लिहाज से रोजाना 1130 रोड एक्सीडेंट्स में 422 मौतें या हर घंटे 47 एक्सीडेंट्स में 18 मौत होती हैं। एक तरफ जहां एयरबैग्स हमारी जान बचाने के लिए होते हैं वहीं इनकी ही वजह से जान का रही है। तो भला गलती किसकी है ?
12:41 PM Dec 26, 2024 IST | Bani Kalra
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Car Airbags Accident: कारों में आजकल 6 एयरबैग्स भी आने लगे हैं। एयरबैग्स का काम एक्सीडेंट होने पर सेफ्टी देना होता है ताकि आपके सिर और बॉडी को चोट ना लगे। लेकिन अक्सर एक्सीडेंट के दौरान एयरबैग्स खुलते ही नहीं है और कई बार बिना एक्सीडेंट के भी एक अचानक खुल जाते हैं जिसकी वजह से कार की फ्रंट सीट पर बैठे लोगों को गंभीर चोट लग जाती है और कई मामलों में जान भी चली जाती है। ऐसा ही एक मामला अभी सामने आया है। सड़क हादसे में एक 6 साल के मासूम की जान चली गई, डॉक्टरों ने बताया कि अचानक एयरबैग खुलने की वजह से बच्चे को अंदरूनी चोटें आई जिस वजह से बॉडी में अंदर ही खून बहता रहा और बच्चे की जान चली गई।

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भारत में हर साल करीब 1.5 लाख लोगों की सड़क हादसों में जान चली जाती है। इस लिहाज से रोजाना 1130 रोड एक्सीडेंट्स में 422 मौतें या हर घंटे 47 एक्सीडेंट्स में 18 मौत होती हैं। एक तरफ जहां एयरबैग्स हमारी जान बचाने के लिए होते हैं वहीं इनकी ही वजह से जान का रही है। तो भला गलती किसकी है ? सिर्फ कार खरीदना ही सब कुछ नहीं होता, कार को इस्तेमाल करना सबसे जरूरी है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि एयरबैग्स कैसे काम करता है ? इसमें  कौन सी गैस होती है और कार में बैठने का सही तरीका क्या है ?

रियर सीट ज्याद सेफ

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक, 13 साल से कम उम्र के बच्चों को हमेशा पिछली सीट पर ही बैठाना चाहिए क्योंकि फ्रंट की तुलना रियर सीट 70 फीसदी ज्यादा सेफ होती है. अगर आपकी कार ISOFIX चाइल्ड सीट सपोर्ट करती है तो आपको अपनी कार में बच्चों के लिए इस स्पेशल सीट को लगवाना चाहिए, ये सीट कार की पिछली सीट पर लगती है और होते बच्चों के लिए काफी सेफ भी होती है।

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आपको जानकारी के लिए बता दें कि फ्रंट एयरबैग्स केवल बड़े लोगों के हिसाब से लगाए जाते हैं। इसलिए छोटे बच्चों को हमेशा रियर सेट पर ही बैठाना चाहिए। छोटे बच्चे को फ्रंट सीट पर बैठाकर ड्राइव करना खतरनाक हो सकता है और सड़क हादसे के वक्त गंभीर चोट आ सकती हैं।

एयरबैग ऐसे करते हैं काम

एक कार में कई तरह के सेंसर लगे होते हैं, इन्हीं में एक सेंसर एयरबैग से कनेक्ट होता है। अब जैसे ही कार किसी चीज से  टकराती है, तो ये सेंसर एक्टिव हो जाता है और कार में लगे इंफ्लेटर तक इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल भेजता है। ये इंफ्लेटर एयरबैग में लगा होता है, इंफ्लेटर को जैसे ही सिग्नल मिलता है एयरबैग फुल जाता है।

इन बातों का रखें ध्यान

डैशबार्ड पर पैर नहीं रखना चाहिए। यदि कार कहीं पर टकराती है तो एयरबैग एक छोटे ब्लास्ट के साथ खुलते हैं और ये आपके पैरों को पूरी तरह से मोड़ देंगे जिसकी वजह से आपको गंभीर छोटे आ सकती हैं। यदि डैशबोर्ड पर सामान रखा होगा तो एयरबैग खुलने के दौरान वो हाई स्पीड से उड़ेगा और किसी को भी चोटिल कर सकता है।

कार के बंपर की सेफ्टी के लिए जो लोग बुल गार्ड को इंस्टॉल करवा लेते हैं उसके लगाने से बचना चाहिए। बुल गार्ड हादसे की स्थिति में एयरबैग सेंसर तक झटके को नहीं पहुंचने देते हैं और इसके चलते एयरबैग खुलते नहीं हैं। अब ऐसे में कार में बैठे लोगों को गंभीर चोट आ सकती है। कार में ज्यादा आगे होकर बैठना भी खतरनाक हो सकता है, इसलिए डैशबोड और स्टेयरिंग व्हील से दूरी बनाकर बैठें। आपको बता दें कि एयरबैग्स में Sodium azide NaN3 गैस होती है। अपनी कार की सर्विस रेगुलर कारवाना जरूरी है।

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Tags :
car airbags
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