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त्योहार के सीजन में बाढ़ ने बिगाड़े हाल, संकट में फंसे 15 लाख से ज्यादा लोग! कैसे मनेगी छठ-दीवाली?

Bihar Floods: बिहार में इस साल आई बाढ़ पिछले कुछ सालों में सबसे गंभीर है। लाखों की संख्या में लोग फंसे हुए हैं। ऐसे में बड़ी चिंता उठ गई है कि इस बाढ़ के बीच लोग त्योहार कैसे मनाएंगे।
08:44 PM Oct 07, 2024 IST | Amit Kumar
पटना में बाढ़ का हाल (एएनआई)
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Bihar Floods During Festive Season : बिहार में इस समय त्योहारों का सीजन चल रहा है। दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ, तीनों ही पर्व एक ही महीने में पड़ रहे हैं। लेकिन, राज्य में बने बाढ़ के भीषण हालात के चलते बाढ़ में फंसे, असहाय या विस्थापित हुए 15 लाख से ज्यादा लोगों के लिए स्थिति बेहद मुश्किल हो गई है। हजारों लोग ऐसे हैं जो फंसे हुए हैं और उन तक राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है। कई लोग तो ऐसे हैं जो अभी भी बाढ़ के बीच अपने-अपने घरों की छतों पर फंसे हुए हैं जो माथे पर चिंता की लकीरें और मन में घरों के ढह जाने का डर लिए हुए इंतजार कर रहे हैं कि कोई उन्हें बचाने आएगा।

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फिलहाल राज्य में जैसे हालात हैं उन्हें देखते हुए लग रहा है कि बाढ़ से प्रभावित हुए लोगों का त्योहारी सीजन राजकीय या राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्लास्टिक कवर्स के नीचे, हवाई जहाजों से गिराए जाने वाले खाने के पैकेट्स पर गुजारा करने और बीमारियों की चपेट में आते हुए ही बीतेगा। हालांकि, मानसून के दौरान बाढ़ का आना आम बात है। लेकिन, इसकी वजह से आने वाली समस्याएं प्रकृति के प्रकोप से ज्यादा इंसानों द्वारा ही बनती हैं। हर साल बाढ़ राहत और बचाव के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सैकड़ों करोड़ रुपये जारी किए जाते हैं। लेकिन हर साल आने वाली इस आपदा का स्थाई समाधान नहीं हो पा रहा।

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बाढ़ की चपेट में 17 जिलों के 429 गांव

बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से 2 अक्टूबर को जारी एक बयान के अनुसार राज्य के 17 जिलों के 429 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इन जिलों में पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, गोपालगंज, शिवहर, किशनगंज, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, मधेपुरा, सुपौल, सीतामढ़ी, कटिहार, सहरसा, खगरिया, सारण, दरभंगा, मधुबनी शामिल हैं। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक नेपाल और उत्तर बिहार में भारी बारिश के बाद कोसी और गंडक बैराजों से रिकॉर्ड मात्रा में पानी छोड़े जाने की वजह से कई जिले बाढ़ से तबाह हो गए हैं। वहीं, 1 अक्टूबर को लगातार तटबंधों के टूटने से संकट और गंभीर हो गया है।

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