इस केंद्रीय मंत्री ने खुद को बताया Nepo Kid, बोले- मुझे गर्व है लेकिन ये 'दोधारी तलवार' की तरह है
Chirag Paswan: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने खुद को नेपो किड बताया है। उन्होंने माना कि परिवारवाद को लेकर चुनौतियां हैं, जो दोधारी तलवार की तरह हैं। वे इससे परेशान नहीं हैं। पार्टी प्रमुख के तौर पर उनका नाम खुद नहीं उछला, बल्कि अपने आपको साबित करने के लिए उन्होंने ये जिम्मेदारी ली है। लोजपा (टूट से पहले) के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे फिलहाल केंद्र में मंत्री पद के साथ-साथ लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। परिवारवाद को वे चुनौती मानते हैं। इसे दोधारी तलवार की तरह देखते हैं। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने हल्के-फुल्के अंदाज में एएनआई पॉडकास्ट में ये बातें स्वीकार कीं। उन्होंने कहा कि मैं चुनौतियों से मुंह नहीं मोड़ सकता हूं। मुझे गर्व है कि मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं।
बुरा काम करो तो मिलती हैं गालियां
नेपो किड ने आगे कहा कि जब आप अच्छा काम करते हैं तो लोग कहते हैं कि माता-पिता की वजह से ऐसा कर पाया है। लेकिन कोई सीधे तौर पर उनको श्रेय नहीं देता। वहीं, इससे उल्ट अगर बुरा काम हो जाए तो लोग आपको ही गालियां देते हैं। इसलिए आपको हमेशा दोधारी तलवार की तरह दिखना होता है। चिराग ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लेकर भी बात की। जो खुद की लोजपा बना चुके हैं। गौरतलब है कि पशुपति कुमार 2020 में NDA में शामिल हो गए थे।
परिवारवाद का टैग हट चुका
चिराग ने उनको लेकर कहा कि अब परिवारवाद का टैग हट चुका है। उन्हें ऐसा लगता है। जब उन्होंने सब कुछ खो दिया, उनको बिल्कुल नए सिरे से शुरुआत करनी पड़ी। 30 साल तक जिस पार्टी, घर, चुनाव चिह्न के साथ रहे, मुझसे बाद में अचानक सब कुछ छीन लिया गया। पासवान के अनुसार उन्होंने जीरो से शुरुआत की। उनको यही नहीं पता था कि नई पार्टी बनाने के लिए क्या करना पड़ता है?
पूर्व बॉलीवुड अभिनेता और हाजीपुर के सांसद ने इस दौरान अपनी मां रीना शर्मा का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पुनरुत्थान यात्रा में वे उनके लिए बड़ी ताकत रहीं। पासवान ने उनके बारे में राजनीतिक शोक संदेश लिखने के लिए कई चैनलों पर नाम लिए बिना कटाक्ष किया। एलजेपी में टूट के बाद चिराग ने जेडीयू के खिलाफ 2020 विधानसभा में कैंडिडेट उतारे। एनडीए का साथ भी नहीं छोड़ा। वहीं, 2024 चुनाव से पहले बिहार में उनकी 'आशीर्वाद यात्रा' को भी लोगों ने प्यार दिया। चिराग खुद को पीएम मोदी का कट्टर समर्थक मानते हैं। वहीं, इस बार बिहार में उनको एनडीए ने 5 सीटें दी। चिराग की पार्टी का स्ट्राइक रेट 100 फीसदी रहा, यानी सभी पर जीत मिली।