कभी लालू-पप्पू यादव का गढ़ था मधेपुरा, अब JDU का दबदबा, क्या है चुनावी समीकरण?
Bihar Lok Sabha Election 2024 : देश में लोकसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान संपन्न हो गया है। अब राजनीतिक दलों का फोकस तीसरे चरण पर है। बिहार की पांच सीटों पर 7 मई को वोट डाले जाएंगे, जिसमें झझांरपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खगड़िया लोकसभा सीटें शामिल हैं। मधेपुरा की धरती से कभी लालू यादव तो कभी शरद यादव और पप्पू यादव जैसे नेता संसद पहुंचे थे। इस बार इस सीट पर जेडीयू और आरजेडी के बीच सीधा मुकाबला है। आइए जानते हैं कि क्या मधेपुरा का चुनावी समीकरण?
लालू प्रसाद यादव चाहते थे कि पप्पू यादव अपनी पार्टी का विलय आरजेडी में कर दें और वे मधेपुरा से चुनाव लड़ें। हालांकि, पप्पू यादव ने लालू यादव के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इस पर आरजेडी ने मधेपुरा से डॉ. कुमार चंद्रदीप को चुनावी मैदान उतारा है, जबकि जेडीयू ने मौजूदा सांसद दिनेश चंद्र यादव पर विश्वास जताया है। दोनों नेताओं के बीच सीधा मुकाबला है। बहुजन समाज पार्टी ने मो. अरशद हुसैन को टिकट दिया है।
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कौन हैं दिनेश चंद्र यादव?
नीतीश सरकार में मंत्री रहे दिनेश चंद्र यादव ने पहली बार 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। जेडीयू के दिनेश चंद्र यादव ने आरजेडी के उम्मीदवार शरद यादव को पराजित किया था। दिनेश चंद्र ने तीन लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
कौन हैं डॉ. कुमार चंद्रदीप?
डॉ. कुमार चंद्रदीप पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उनका संबंध राजनीतिक परिवार से है। वे भूपेंद्र नारायण मंडल विवि के संस्थापक कुलपति व राज्यसभा सांसद डॉक रमेंद्र कुमार यादव रवि के बेटे और कमलेश्वरी प्रसाद यादव के पौत्र हैं। लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने उन्हें मधेपुरा से उम्मीदवार बनाया है।
इस सीट का क्या रहा इतिहास?
लोकसभा चुनाव 1998 में लालू यादव ने मधेपुरा से जनता दल के उम्मीदवार शरद यादव को पराजित किया था। इसके बाद साल 1999 में शरद यादव ने लालू यादव को हराया। 2004 के चुनाव में दोनों नेता एक बार फिर आमने-सामने थे और लालू को जीत मिली थी। फिर 2009 में शरद यादव ने राजद उम्मीदवार प्रो. रविंद्र चरण यादव को पटखनी दी थी। 2014 में राजद से राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव इस सीट से सांसद बने थे।
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क्या है जातीय समीकरण
अगर मधेपुरा के जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर यादव वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। यादवों की संख्या सबसे अधिक 3.5 लाख है, जबकि मुस्लिम मतदाता 1.5 लाख हैं। सवर्ण के तीन लाख वोटर हैं। आरजेडी का मूल वोट बैंक यादव और मुस्लिम है, जबकि एनडीए की ताकत सवर्ण, अति पिछड़ा और यादव माइनस पिछड़ा का साइलेंट वोट है।