नीतीश कुमार की BJP से बढ़ने लगी है नाराजगी, कभी भी छोड़ सकते हैं PM मोदी का साथ! सामने आए बड़े कारण
Nitish Kumar displeasure With BJP: केंद्र में जेडीयू और टीडीपी के दम पर सरकार चला रही बीजेपी को अपनों से ही नहीं अब सहयोगी पार्टियों के तेवरों से भी जुझना पड़ सकता है। इसके संकेत अभी से मिलना शुरू भी हो चुके हैं। बता दें कि आरजेडी प्रमुख लालू यादव कह चुके हैं कि मोदी सरकार अगस्त में गिर जाएगी। उनके अलावा मल्लिकार्जुन खड़गे भी कह चुके हैं कि देश का विपक्ष चाहता है कि नरेंद्र मोदी सरकार चले पर ऐसा दिखता नहीं है। पिछले कुछ दिनों में बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू ने कुछ फैसले लिए हैं जिससे मोदी सरकार की परेशानी बढ़ सकती है।
नीतीश कुमार बिना किसी सियासी तिकड़मों के पलटवार नहीं करते हैं। राजनीति के जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार तभी पाला बदलते हैं जब उन्हें विपक्ष में कुछ नजर आए। शायद इसीलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव से ऐन पहले पाला बदलकर एनडीए का दामन थाम लिया था। फिलहाल नीतीश कुमार नाराज है ऐसी चर्चा पटना से लेकर दिल्ली तक है। आइये जानते हैं ऐसे कौनसे कारण है जिनको लेकर वे नाराज बताए जा रहे हैं।
करीबी अधिकारी पर ईडी का छापा
पहला कारण ईडी की ओर से की गई छापेमारी है। जानकारी के अनुसार ईडी की टीम ने मंगलवार को पटना, अमृतसर, दिल्ली, चंडीगढ़ और पुणे के 20 ठिकानों की तलाशी ली। इनमें बिहार प्रशासनिक सेवा के संजीव हंस भी शामिल थे। उनके घर से ईडी ने 1100 ग्राम सोना बरामद किया है। बता दें कि संजीव हंस को नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है। वे अपने विधायकों या नेताओं की बात नहीं मानने की सलाह अफसरों को बहुत पहले ही दे चुके हैं। अधिकारियों की संपत्ति पर नजर रखने वाली ईओयू भी काफी सक्रिय रहती है। लेकिन संजीव हंस को नीतीश का भरोसेमंद होने का फायदा मिला।
विशेष राज्य के दर्जे की मांग
दूसरा कारण बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग पिछले काफी समय से की जा रही है। इस मांग को पुनर्जीवित करके जेडीयू अपने आप को राज्य में जीवित करना चाहती है। पार्टी की बैठक में प्रस्ताव पारित करने के साथ ही उनके नेता लगातार इसको लेकर बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं जीतन राम मांझी ने गुरुवार को जहानाबाद में कहा कि विशेष राज्य का दर्जा देना है या नहीं यह नीति आयोग तय करता है। जो राज्य कमजोर है उसे मजबूत करने के लिए एनडीए सरकार विशेष व्यवस्था करेगी।
बागी सरयू राय बने रोड़ा
झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के बागी सरयू राय अब प्रदेश में जेडीयू के झंडाबरदार बनने जा रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट काटने के बाद सरयू राय ने बागी होकर चुनाव लड़ा और पूर्व सीएम रघुवर दास को हरा दिया। ऐसे में अब तक राज्य में अकेली लड़ती आई बीजेपी को इस बार जेेडीयू को भी हिस्सेदारी देनी पड़ सकती है।
ये भी पढ़ेंः इंसान…भगवान… RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस की चुटकी, कहा- यह मिसाइल अटैक
आरक्षण को लेकर भी फंसा पेंच
वहीं जातीय सर्वेक्षण को लेकर भी अभी स्थित साफ नहीं हो पाई है। पटना हाईकोर्ट द्वारा आरक्षण को रद्द किए जाने के बाद से ही नीतीश सरकार ने इस संविधान की 9वीं अनुसूची का हिस्सा बनाने की मांग कर दी है। क्योंकि ऐसा होने के बाद यह आरक्षण न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर हो जाता है। जैसे तमिलनाडु की तत्तकालीन जयललिता सरकार ने अटल बिहारी की सरकार पर दबाव बनाकर किया था।
ये भी पढ़ेंः NEET मामले में SC का बड़ा फैसला- सभी कैंडिडेट्स के मार्क्स सार्वजनिक करे NTA