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लालू यादव का अगस्त वाला शिगूफा कितना कारगर, क्या वाकई में गिर जाएगी मोदी सरकार?

RJD Lalu Yadav: आरजेडी के लालू यादव ने अगस्त वाला शिगूफा एक बार फिर छेड़ दिया है। उन्होंने आरजेडी के स्थापना दिवस पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि इस बार मोदी सरकार अगस्त में गिर जाएगी।
10:46 AM Jul 06, 2024 IST | Rakesh Choudhary
राजद प्रमुख लालू यादव
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RJD Lalu Yadav Claim on Modi Government: आरजेडी के लालू यादव चारा घोटाले के कारण चर्चाओं में बने रहते हैं। अब शुक्रवार को उन्होंने आरजेडी के स्थापना दिवस पर कहा कि अगस्त में मोदी सरकार गिर जाएगी। लोग उनकी बातों का सच भी मान लेते हैं। इसके अलावा वे अक्सर पार्टी के स्थापना दिवस पर ऐसे बयान देते रहे हैं। जो सियासी हलचल पैदा करते हैं।

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एक बार उन्होंने अगस्त 2015 में कहा था बिहार में बीजेपी 50 से ज्यादा सीटें नहीं ला पाएगी। हुआ भी ऐसा ही मोदी के पीएम बनने से नाराज नीतीश कुमार ने महागठबंधन की अगुवाई में 2015 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में आरक्षण और डीएनए वाले बयान को आरजेडी ने प्रमुख मुद्दा बनाया। परिणाम भी कुछ ऐसे ही आए बीजेपी को चुनाव में महज 55 सीटें मिली। जबकि आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू ने मिलकर सरकार बनाई। ऐसे में लोग उनके इस बयान को अगस्त 2015 वाले बयान से जोड़कर देख रहे हैं।

केंद्र की मोदी सरकार इस बार गठबंधन के सहयोगियों पर टिकी है इनमें नीतीश कुमार और चंदबाबू नायडू प्रमुख है। अगर एक भी सहयोगी समर्थन वापस लेता है तो मोदी सरकार गिर जाएगी। ऐसे में मध्यावधि चुनाव भी हो सकते हैं। अब आइये जानते हैं किसको-किसकी कितनी जरूरत है?

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नायडू की मजबूरी कम बीजेपी की ज्यादा

2019 के चुनाव से पहले चंद्रबाबू नायडू विपक्षी एकता की धुरी बनने चले थे। उनको लगा कि वे पीएम मोदी के खिलाफ विपक्षी मोर्चे की अगुवाई करेंगे। उनकी ये योजना सफल नहीं हो सकी। उनकी सिर्फ एक मांग थी आंध्र को विशेष दर्जा। मोदी सरकार ने यह काम न पिछले टर्म में किया ना ही वे इस टर्म में करने वाले हैं। ऐसे में चंद्रबाबू नायडू की ऐसी क्या मजबूरी थी कि वे मोदी से हाथ मिलाने खुद पहुंचे। सूत्रों की मानें तो उनको यह बात अच्छे से पता थी कि केंद्र की सत्ता में इस बार भी पीएम मोदी का कब्जा रहने वाला है ऐसे में उन्होंने पीएम मोदी को चुना इसका फायदा भी उन्हें मिला। वे चौथी बार आंध्रप्रदेश के सीएम बनने में कामयाब रहे। इससे पहले वे वाजपेयी सरकार को भी बाहर से समर्थन दे रहे थे लेकिन विशेष दर्जे की मांग पर उन्होंने समर्थन वापस ले लिया। इसका परिणाम यह रहा कि वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई।

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नीतीश की पलटीमार छवि बीजेपी के लिए परेशानी?

अब आते हैं लालू के शिगूफे वाले बयान पर। दरअसल यहां परेशानी लालू यादव के बयान से कहीं ज्यादा नीतीश की पलटीमार छवि की है। इसी के आधार पर वे सियासी शिगूफा छोड़ रहे हैं। नीतीश की नाराजगी और पलटी मार छवि से से हर कोई वाकिफ है लेकिन वे ऐसा कब करेंगे ये देखने वाली बात होगी। जब तक जेडीयू और टीडीपी बीजेपी के साथ है तब तक ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। नीतीश कुमार पहले भी बीजेपी को चकमा दे चुके हैं।

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हालांकि वे कई मर्तबा पीएम मोदी के सामने यह बात कह चुके हैं कि इस बार वे इधर-उधर कहीं नहीं जाने वाले हैं, लेकिन नीतीश-नीतीश हैं उनके निर्णयों को लेकर हमेशा संशय की स्थिति रहती है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या लालू यादव का यह अगस्त वाला शिगूफा इस बार क्या गुल खिलाता है? क्योंकि पिछली बार तो उन्होंने बीजेपी को चारों खाने चित कर दिया था।

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