एक थे सुशील मोदी, जिनके PM मोदी भी थे मुरीद; नीतीश कुमार से थी जय-वीरू वाली दोस्ती
Sushil Modi Passed Away: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के सीनियर लीडर सुशील कुमार मोदी का कैंसर से निधन हो गया है। सुशील मोदी ने कुछ दिन पहले ही कैंसर से जूझने की जानकारी एक्स पर साझा की थी। कहा था कि लोकसभा चुनाव में प्रचार नहीं कर पाएंगे, पीएम मोदी को बता दिया है। उनकी पहचान एक जुझारू नेता के तौर पर होती थी। छह माह पहले ही उनको कैंसर की पुष्टि हुई थी। वे करीब 34 साल तक राजनीति में सक्रिय रहे। राज्यसभा, लोकसभा, विधान परिषद और विधानसभा चारों सदनों से चुनाव जीते। उनकी पहचान विपक्ष में जोरदार नेता के तौर पर होती थी। उनके अलावा नागमणि और लालू ही चारों सदनों से जीते थे। 1990 में वे पहली बार पटना सेंट्रल सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
2004 में भागलपुर से पहली बार लोकसभा सांसद बने। 2005 में एनडीए की सरकार में उनको बिहार विधान मंडल का नेता चुना गया था। 2021 में विधान परिषद का चुनाव जीते थे। 2018 में उनको राज्यसभा भेजा गया था। एक समय था जब 1990 से 2005 तक बिहार में बीजेपी मजबूत नहीं थी। कहा जाता था कि लालू का दबदबा था। लेकिन मोदी ऐसे नेता रहे, जिन्होंने लगातार बिना किसी डर के भाजपा के लिए काम किया। पटना विश्वविद्यालय के रमना रोड पर, 1992 में सुशील मोदी पर बम फेंके गए थे। वे अपने परिजनों से मिलने के बाद यहां से लौट रहे थे। मोदी स्कूटर से बेखौफ गोलियों के बीच निकल गए। स्कूटर पर पीछे उनका गनमैन था। उनको गोली तो नहीं लगी, लेकिन बम के कारण चोट जरूर लगी। इसके बाद भी कई बार हमले और लाठीचार्ज उनके ऊपर हुए।
लालू के धुर विरोधी रहे सुशील मोदी
सुशील मोदी ने ही लालू के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर लड़ाई लड़ी। हालांकि नीतीश जरूर लालू के साथ मिल गए। लेकिन मोदी ने कभी भी लालू का साथ नहीं दिया। मोदी और नीतीश कुमार की दोस्ती जय-वीरू की तरह थी। दोनों अलग हुए, बयानबाजी एक-दूसरे पर की। लेकिन दोस्ती में कभी दरार नहीं दिखी। पीएम मोदी ने भी कई मौकों पर उनकी तारीफ की। पीएम मोदी भी सुशील कुमार के मुरीद दिखे, ऐसे कई मामले लोगों के बीच आम चर्चा में रहते हैं। पीएम मोदी कभी भी सुशील कुमार मोदी की किसी बात को नहीं टालते थे। नीतीश कुमार के साथ गठबंधन के अलावा पार्टी के बड़े फैसलों में उनकी राय ली जाती थी।