होमखेलवीडियोधर्म मनोरंजन..गैजेट्सदेश
प्रदेश | हिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारदिल्लीपंजाबझारखंडछत्तीसगढ़गुजरातउत्तर प्रदेश / उत्तराखंड
ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थExplainerFact CheckOpinionनॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Year Ender 2024: टेंशन बढ़ी तो खुशखबरी भी मिली, जानें Indian Economy के लिए कैसा रहा साल 2024?

Indian Economy: साल 2024 खत्म होने के अब केवल चंद दिन ही बचे हैं। यह साल अर्थव्यवस्था के लिहाज से अब तक काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। खासतौर पर महंगाई पूरे साल RBI की टेंशन बढ़ाती रही।
02:55 PM Dec 24, 2024 IST | News24 हिंदी
Indian Economy
Advertisement

Indian Economy In 2024: साल 2024 अपने अंतिम पड़ाव पर है। इस साल भारत की अर्थव्यवस्था ने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। एक तरफ जहां GST कलेक्शन और निवेश के मोर्चे पर अच्छी खबर सुनने को मिली। वहीं, महंगाई RBI को पूरे साल परेशान करती रही। इस दौरान, खपत में कमी आई और GDP ग्रोथ रेट में संशोधन देखने को मिला।

Advertisement

RBI से नहीं मिली राहत

व्यापार और उद्योग जगत की उम्मीदों के बावजूद, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2024 में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती नहीं की। हालांकि उसने 6 दिसंबर को नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को 4.50% से घटाकर 4.25% जरूर कर दिया। CRR वह राशि होती है जो बैंकों को हर समय RBI के पास रखनी होती है। इसमें बढ़ोत्तरी का मतलब होता है बैंकों के पास डिसबर्सल के लिए उपलब्ध राशि का कम हो जाना।

महंगाई ने खूब किया परेशान

यह पूरा साल महंगाई के नाम रहा। अक्टूबर में महंगाई दर 6.21% पर पहुंच गई, जो 14 महीने का उच्चतम स्तर है। सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने महंगाई दर के लिए ईंधन का काम किया। इस दौरान, RBI महंगाई को नियंत्रित के नाम पर रेपो रेट पर सख्त रुख अपनाए रहा।

खपत में कमी आई

एक तरह जहां खपत में कमी आई देखने को मिली। वहीं, हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज कंजम्पशन, मैरिको, नेस्ले, पारले प्रोडक्ट्स और टाटा कंजम्पशन जैसी FMGC कंपनियों ने सीमा शुल्क और इनपुट लागत में वृद्धि के कारण कीमतों में बढ़ोतरी जैसे फैसले लिए। इस वजह से चाय, साबुन से लेकर खाद्य तेल और स्किन केयर जैसे उत्पाद 5% से 20% तक महंगे हो गए, जिससे खपत पर और बुरा असर पड़ा।

Advertisement

यह भी पढ़ें - Claim Settlement में कौन सी बीमा कंपनी है बेस्ट? मिल गया इसका जवाब

GDP ग्रोथ में गिरावट

घरेलू खपत, बढ़ते निर्यात और सरकारी पहलों से उत्साहित होकर, मार्च 2024 को समाप्त वित्तीय वर्ष में 8.2% की शानदार जीडीपी ग्रोथ दर्ज की गई। हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में यह गिरकर 5.4% पर आ गई। आरबीआई को जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसी तरह, वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए GDP पूर्वानुमान 7.4% से घटकर 6.8% और वित्त वर्ष 2024-2025 की चौथी तिमाही के लिए 7.3% से घटकर 6.9% हो गया।

यहां भारी निवेश

इन चिंताओं के बावजूद, हाईवे, रेलवे और शहरी विकास जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश किया गया। इसके अलावा, नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत प्रोजेक्ट्स में भी तेजी देखने को मिली। 2024 में मुद्रास्फीति के दबाव के बावजूद, घरेलू खर्च में, खासतौर पर रिटेल, ऑटोमोबाइल और टूर एंड ट्रैवल में वृद्धि हुई।

ट्रेड में आया उछाल

अप्रैल-नवंबर 2024 के बीच भारतीय निर्यात 7.61% बढ़कर 536.25 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। दूसरी ओर, आयात में 9.55% की वृद्धि होने की संभावना है और यह 619.20 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इस दौरान भारत का ट्रेड सरप्लस 82.95 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। भारत ने अमेरिका सहित 151 देशों के साथ ट्रेड सरप्लस बनाए रखा है।

रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा भंडार

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल अधिकांश समय 600 अरब डॉलर के आसपास रहा। RBI के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 27 सितंबर को समाप्त सप्ताह में 704.885 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू गया था।

रुपये की सेहत नासाज

ट्रेड सरप्लस और रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा भंडार के बावजूद, भारतीय रुपया 19 दिसंबर, 2024 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.06 के रिकॉर्ड लो लेवल पर पहुंच गया। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख के कारण रुपया जबरदस्त दबाव में आ गया था, इसलिए यह ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई।

एफडीआई में उछाल

प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव और अन्य योजनाओं से उत्साहित होकर, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में इसमें 26% की वृद्धि दर्ज की गई और यह 42.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगला साल भारत की अर्थव्यवस्था के लिहाज से अच्छा रह सकता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
Indian Economy:
Advertisement
Advertisement