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आसमान छू रहे सोने के भाव, अगर आपको करना है इन्वेस्ट तो जानें कौन-सा ऑप्शन है बेस्ट

Gold Price Hike : सोने की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। इंटरनेशनल मार्केट में भी सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऐसे में लोगों के मन में आ रहा है कि क्या यह सोने में निवेश करने के लिए अच्छा है? अगर हां, तो सोना खरीदकर निवेश करें या इसे जुड़ी किसी स्कीम में निवेश करें? जानें, किस तरह से सोने में निवेश करना रहेगा सही?
12:51 PM Apr 11, 2024 IST | News24 हिंदी
गोल्ड में निवेश की कई स्कीम हैं मौजूद
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Gold Price Hike : इन दिनों मार्केट में बहार है। निवेशक खुश हैं। अर्थव्यवस्था भी सरपट दौड़ रही है। देश-विदेश में सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं। काफी लोग ऐसे हैं जो सोने में निवेश करने की सोच रहे हैं। लोगों को लगता है कि आने वाला समय सोने का है। सोने की कीमत इस समय ऑल टाइम हाई है। 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 72 हजार रुपये पार है। 18 और 22 कैरेट सोने की कीमतें भी हाई हैं। जब सोने में निवेश करने की बात आती है तो फिजिकल सोना खरीदने का ही ऑप्शन सामने आता है। फिजिकल सोने में निवेश के आलावा ये दो विकल्प और भी हैं।

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1. Gold ETF

सोने को शेयरों की तरह भी खरीदा जा सकता है। इसे Gold ETF कहते हैं। यह म्यूचुअल फंड की स्कीम है। शेयरों की तरह इसे BSE और NSE से खरीद और बेच सकते हैं। इसके लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है या जो लोग शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं, वे Gold ETF खरीद सकते हैं। इसमें सोना फिजिकल रूप में नहीं बल्कि यूनिट में खरीदा जाता है। एक Gold ETF यूनिट का मतलब एक ग्राम सोना होता है। यह उसी रेट पर खरीदा जाता है जिस दिन सोने का जो भाव होता है। जब आपको लगे कि सोने का भाव ज्यादा है और इसे बेचना चाहते हैं तो तुरंत बेच भी सकते हैं।

Gold ETF के ये हैं फायदे

देना पड़ता है टैक्स

Gold ETF को अगर 3 साल बाद बेचा जाता है तो इस पर 20 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है। वहीं अगर इसे 3 साल से पहले ही बेचा जाए तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है। यह टैक्स आपकी इनकम के अनुसार आने वाले टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से तय होता है।

गोल्ड में निवेश अच्छा विकल्प हो सकता है

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2. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड

सोने में इन्वेस्ट करने का दूसरा ऑप्शन सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भी है। इसमें सस्ते में सोना खरीदने का ऑप्शन मिलता है। इसे बैंक के जरिए खरीदा जाता है। यह बॉन्ड पेपर फॉर्म में होता है। इसे संभालकर किसी फाइल में आसानी से सुरक्षित रख सकते हैं। बॉन्ड्स RBI की बुक्स में दर्ज रहते हैं या डीमैट फॉर्म में रहते हैं। इसे कब खरीद सकते हैं, इसके बारे में समय-समय पर रिजर्व बैंक तारीखें बताता है। ये तारीखें इस स्कीम के तहत सीरीज के अंतर्गत होती हैं। अभी बाजार में बॉन्ड की नई सीरीज नहीं आई है। इसमें निवेश करने के लिए बैंक की ब्रांच, पोस्ट ऑफिस, अधिकृत स्टॉक एक्सचेंजों में अप्लाई कर सकते हैं।

ये हैं इसकी खासियतें

खरीद सकते हैं एक ग्राम से 20 किलो तक

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम एक ग्राम सोने के लिए इन्वेस्ट करना होता है। कोई भी व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार अधिकतम चार किलो मूल्य तक का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है। वहीं ट्रस्ट और समान संस्थाओं के लिए खरीद की अधिकतम सीमा 20 किलो है।

यह भी पढ़ें : FD सही या Gold Purchase Scheme? किसमें इन्वेस्ट करने से है फायदा?

देना पड़ता है टैक्स

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर जो ब्याज मिलता है, उस पर टैक्स देना होता है। एक वित्त वर्ष में गोल्ड बॉन्ड से मिला ब्याज निवेशक की अन्य सोर्स से इनकम में काउंट होता है। इसलिए इस पर टैक्स इस आधार पर लगता है कि निवेशक किस इनकम टैक्स स्लैब में आता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है। 8 साल पूरे होने के बाद ग्राहक को मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री हो जाता है।

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