China के खिलाफ सख्त नहीं रहेंगे Donald Trump, वजह हैं Elon Musk, समझिए पूरा गणित
Donald Trump China Policy: क्या डोनाल्ड ट्रंप वाकई चीन के लिए मुश्किलें पैदा करने वाले हैं? यह सवाल अब इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठ चुके हैं। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कई मौकों पर चीन विरोधी बयान दिए। उन्होंने यह भी कहा कि वह चीन से आने वाले सामान पर भारी टैरिफ लगाएंगे। हालांकि, चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाना शायद डोनाल्ड ट्रंप के लिए उतना आसान न हो, चलिए इसका कारण समझने की कोशिश करते हैं।
अब हो रही जांच की बात
राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने चीन, कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ की बात कही थी। माना जा रहा था कि ट्रंप शपथ ग्रहण वाले दिन कनाडा, मैक्सिको पर 25 फीसदी और चीन से आने वाले सामान पर 60 फीसदी शुल्क लगाने के ऑर्डर पर साइन कर सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब अमेरिका का कहना है कि संघीय एजेंसियां चीन, कनाडा और मैक्सिको के साथ व्यापारिक संबंधों का मूल्यांकन करेंगी। उसके बाद टैरिफ पर कोई फैसला होगा।
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इस बार अलग है तस्वीर
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए थे, जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच तनाव उत्पन्न हो गया था। इस ट्रेड वॉर का असर बाकी देशों पर भी देखने को मिला था। हालांकि, इस बार तस्वीर पूरी तरह जुदा है। टेस्ला के मालिक एलन मस्क के लिए चीन एक महत्वपूर्ण बाजार है और मस्क ट्रंप के सबसे करीबी सहयोगी हैं। यह समीकरण डोनाल्ड ट्रंप को चीन के खिलाफ कठोर कार्रवाई से रोक सकता है।
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भारत पर चीन को तवज्जो
टेस्ला के लिए अमेरिका के बाद चीन सबसे बड़ा बाजार है। कहा यह भी जाता है कि मस्क ने चीन को खुश रखने के लिए ही भारत में एंट्री की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। मालूम हो कि चीन ने एक लेख के माध्यम से एलन मस्क के भारत मिशन पर सवाल उठाये थे, जिसके बाद मस्क भारत में टेस्ला की लॉन्च से पीछे हट गए। इससे समझा जा सकता है कि उनके लिए चीन कितना महत्वपूर्ण है।
मस्क के लिए इसलिए अहम है चीन
अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टेस्ला की कारों की बिक्री चीन में पिछले साल 8.8 प्रतिशत बढ़कर 657,000 से अधिक यूनिट के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई। दिसंबर 2024 में ही टेस्ला ने चीन में 83,000 कारें बेचीं। 2024 में टेस्ला ने अपने दूसरे सबसे बड़े बाजार चीन में ग्राहकों को 36.7 प्रतिशत कारें डिलीवर कीं, लेकिन वैश्विक डिलीवरी में 1.1 प्रतिशत की गिरावट आई। ऐसे में चीन और अमेरिका के रिश्तों में कड़वाहट से मस्क का कारोबार भी प्रभावित हो सकता है।
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बेहतर संबंधों पर रहेगा जोर
एलन मस्क नहीं चाहेंगे कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन चीन के खिलाफ कोई आर्थिक कार्रवाई करे। उस सूरत में चीनी सरकार मस्क की टेस्ला के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। लिहाजा, उनका जोर दोनों देशों के रिश्तों में मिठास घुलवाने पर रहेगा। मिठास न भी घुले तो कम से कम उसमें ज्यादा कड़वाहट न आए। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन एलन मस्क के माध्यम से अपने और अमेरिका के बीच रिश्तों को बेहतर बनाने पर जोर दे सकता है।
मिलने लगे हैं संकेत
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप चीन से संबंधों को बेहतर बनाने के लिए बीजिंग की यात्रा करना चाहते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के 100 दिनों के अंदर ही ये दौरा करने की इच्छा जताई है। इस ताजा अपडेट से कहीं न कहीं यही संकेत मिलता है कि ट्रंप मौजूदा हालातों और एलन मस्क के हितों को समझते हैं। इसलिए चुनाव पूर्व और बाद में उन्होंने चीन को लेकर जो कुछ कहा, उसके 100% पूरा होने की उम्मीद नहीं है।
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EV का सबसे बड़ा बाजार
चीन दुनिया में सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक कारों का बाजार है। सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें यहीं बिकती हैं। BYD सहित कई चीनी ऑटोमोबाइल कंपनियां भी EV बनाती हैं, उसके बावजूद टेस्ला की बाजार में एक बड़ी हिस्सेदारी है। चीन ने EV इंफ्रास्ट्रक्चर पर दूसरे देशों के मुकाबले काफी काम किया है। एक रिपोर्ट की मानें तो उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा चार्जिंग नेटवर्क है। 2022 में अकेले चीन ने 6,49,000 पब्लिक चार्जर लगाए थे, जो उस साल पूरी दुनिया में इंस्टॉल किए गए चार्जर का 70% से ज्यादा था। ऐसे में चीन की नाराजगी एलन मस्क को काफी भारी पड़ सकती है। बीजिंग जानता है कि मस्क यूएस प्रेसिडेंट के करीबी हैं। यदि अमेरिका से उसके खिलाफ कोई आदेश आता है, तो उस सूरत में उसके पास मस्क को निशाना बनाने का विकल्प होगा। इसलिए डोनाल्ड ट्रंप के चीन के खिलाफ कड़े फैसले की संभावना बेहद कम ही नजर आती है।