बाजार की सुस्ती का FMCG कंपनियों ने उठाया बड़ा फायदा, इस तरह मजबूत किया पोर्टफोलियो
Business News: फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) से जुडी दिग्गज कंपनियां बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए अधिग्रहण पर जोर दे रही हैं। पिछले कुछ महीनों में इस क्षेत्र में कई अधिग्रहण सामने आए हैं। दरअसल, बाजार में सुस्ती ने वैल्यूएशन को अधिक तर्कसंगत बना दिया है, जिससे अधिग्रहण को लेकर बड़ी कंपनियों की दिलचस्पी बढ़ी है। वह इसे विस्तार के लिए सबसे सही समय मान रही हैं और छोटी कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो का हिस्सा बना रही हैं।
तेजी से बढ़ रहा बाजार
देश का FMCG बाजार लगातार बड़ा हो रहा है। उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी के लिए सरकारी स्तर पर किए गए प्रयासों का सबसे ज्यादा फायदा इसी सेक्टर को मिलने की उम्मीद है। ऐसे में दिग्गज कंपनियां अपनी मौजूदगी का विस्तार करने में जुट गई हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि मार्केट अभी दबाव में है, इस वजह से खरीदारों के लिए वैल्यूएशन काफी ज्यादा आकर्षक हो गया है। इसलिए वह अपने पोर्टफोलियो का विस्तार कर रहे हैं। दिग्गज कंपनियों की नजर 100-500 करोड़ रुपये की रेंज में आने वाले ब्रांड्स पर अधिक है।
HUL और ITC ने की डील
फूड (रेडी-टू-ईट/रेडी-टू-कुक, फ्रोजन फूड), ब्यूटी एंड पर्सनल केयर (BPC) जैसे हाई ग्रोथ सेक्टर्स में अधिग्रहण को लेकर ज्यादा दिलचस्पी दिखाई दे रही है, क्योंकि ये सेगमेंट बीते कुछ समय में तेजी से बढ़े हैं। उदाहरण के लिए, HUL यानी हिंदुस्तान यूनिलीवर ने न्यू-ऐज ब्यूटी ब्रांड मिनिमलिस्ट (Minimalist) का 2,955 करोड़ रुपये के वैल्यूएशन पर अधिग्रहण किया। आईटीसी ने Prasuma को अपना बनाया, जो फ्रोजन, चिल्ड और रेडी टू कुक फूड सेक्टर का एक विश्वसनीय ब्रांड है। दरअसल, मुख्यधारा के कई एफएमसीजी ब्रांड्स को यह अहसास हो गया है कि मार्केट पर दबदबे के लिए उन्हें जल्द विस्तार करना होगा और इसके लिए वह अधिग्रहण की रणनीति को अपना रहे हैं।
रिलायंस का मजबूत पोर्टफोलियो
मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस भी FMCG सेक्टर में तेजी से विस्तार कर रही है। उसने कई विदेशी ब्रांड्स से हाथ मिलाया है और अधिग्रहण पर भी फोकस किया है। रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (RCPL) ने हाल ही में अपने पोर्टफोलियो में Velvette और SIL जैसे ब्रांड शामिल किए हैं। SIL के अंतर्गत सॉस, सूप, चटनी, जैम, कुकिंग पेस्ट, मेयोनीज, बेक्ड बीन्स आदि उत्पाद शामिल हैं। इस अधिग्रहण से RCPL हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL), टाटा कंज्यूमर और क्रेमिका जैसी कंपनियों को टक्कर देगी।
अडाणी समूह ने भी चला दांव
वहीं, अडाणी विल्मर लिमिटेड द्वारा जीडी फूड्स मैन्युफैक्चरिंग (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के अधिग्रहण की खबर भी सामने आई है। जीडी फूड्स टॉप्स ब्रांड के तहत केचप, सॉस, अचार, इंस्टेंट मिक्स, नूडल्स और बेकिंग पाउडर जैसे फूड प्रोडक्ट बेचती है। 1984 में अस्तित्व में आई जीडी फूड्स को अपने पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाने से अडाणी समूह को FMCG सेगमेंट में अपनी उपस्थिति मजबूत करने का मौका मिलेगा। इसी तरह, पिछले साल नवंबर में खबर आई थी कि एग्रो टेक फूड्स (Agro Tech Foods) ने डेल मोंटे फूड्स प्राइवेट लिमिटेड को खरीदने के लिए 1300 करोड़ रुपये की डील फाइनल की है।
अभी और अधिग्रहण संभव
मार्केट के जानकारों का कहना है कि FMCG सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में दिग्गज कंपनियां बाजार पर कब्जे का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहतीं। विस्तार के लिए अधिग्रहण की रणनीति सबसे बेस्ट रही है, इसलिए आने वाले समय में कुछ और अधिग्रहण देखने को मिल सकते हैं। इससे जहां बड़ी कंपनियों को अतिरिक्त बाजार मिल जाता है। वहीं, छोटी कंपनियों को भी फायदा होता है। उनके पास कम प्रस्तिपर्धा वाले बाजार पर फोकस करने के लिए पर्याप्त धन आ जाता है।
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