अभी भी प्रोसेसिंग में हैं 26 प्रतिशत ITR; क्या आपको भी नहीं मिला रिफंड? जानिए क्या है कारण

Income Tax Department: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के बाद टैक्सपेयर को रिफंड का बेसब्री से इंतजार रहता है। हाल ही में टैक्स रिफंड को लेकर कई दिक्कतें सामने आ रही हैं। जिसमें बहुत से लोगों की शिकायत है कि उनका टैक्स का रिफंड नहीं हो पा रहा है।

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Income Tax Department: भारत में हर एक वर्ग के लिए अलग से उनकी कमाई के हिसाब से टैक्स तय किया गया है। सभी लोग अपना टैक्स भरते हैं, उसी टैक्स रिफंड के लिए आपको आईटीआर फाइल करने की जरूरत होती है। लेकिन कई बार इसको फाइल करने के बाद भी रिफंड नहीं होता है, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इन दिनों इस तरह की समस्या बहुत से लोगों के सामने आ रही है, जिसको लेकर कई शिकायतें सामने की गई हैं। अब सवाल ये उठता है रिफंड नहीं आता है तो इसके लिए क्या करना चाहिए।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट के अनुसार टैक्स रिफंड में लगभग 4 से 5 हफ्ते का वक्त लग सकता है। टैक्स रिफंड के लिए आपको सिर्फ आईटीआर ही फाइल नहीं करना होता है, बल्कि उसे ई-वेरीफाई भी करना जरूरी है। बिना ई-वेरीफाई के आईटीआर किसी काम का नहीं होता है।

ITR का कितना काम बाकी?

इस बार आईटी विभाग ने आईटीआर के काम में काफी समय लगा दिया। विभाग को 70% से ज्यादा आईटीआर प्रोसीड करने में 20 दिन लगे। ये वक्त 2023 में लगे दिनों से ज्यादा है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आयकर विभाग ने 22 अगस्त 2024 तक सभी सत्यापित आयकर रिटर्न (ITR) 73.71% प्रोसीड की गई, जो 7,13,00,901 सत्यापित आईटीआर में से 5,25,53,097 आईटीआर तक जुड़ गया। इसका मतलब है कि 26.29% आईटीआर अभी भी प्रोसीड होने बाकी हैं।

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रिफंड ना मिलने की क्या है वजह

1- आईटीआर भरने के बाद भी रिफंड ना मिलने की कई वजह हो सकती हैं। जिसमें बैंक की कोई गलत जानकारी, अधूरी जानकारी या किसी भी तरह की डिटेल भरने में कोई कमी रह गई हो। ये रिफंड ना होने की एक बड़ी हो सकती है, जिसके चलते काम में देरी होता है।


2- आईटीआर-2 और आईटीआर-3 जैसे आईटीआर फॉर्म ज्यादा मुश्किल होते हैं। ये फॉर्म कई आय स्रोतों वाले व्यक्तियों के लिए होते हैं। जिसमें व्यवसाय या पेशेवर आय, पूंजीगत लाभ और विदेशी संपत्ति वाले लोग शामिल होते हैं।

3- इसमें देरी की एक वजह ज्यादा टैक्स भी हो सकती है। कई मामलों में ऐसा होता है कि ज्यादा टैक्स देने वाले की डिटेल्स को जांचने में देरी होती है। इस केस में विभाग अधिक कठोर जांच करता है, जिसके चलते रिफंड में देरी होती है।

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