मौत के बाद किसका ITR फाइल करना जरूरी, किसका नहीं, जानें- किसकी होगी जिम्मेदारी?
How to file ITR of Deceased Individuals : अगर किसी शख्स की मृत्यु हो जाती है तो उसका भी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना जरूरी होता है। अगर मृतक का इनकम टैक्स फाइल न किया जाए तो परिवार के दूसरे लोगों पर काफी परेशानी आ सकती है। इनकम टैक्स की तरफ से नोटिस आ सकता है। अगर नोटिस कर जवाब न दिया जाए और टैक्स की देनदारी हो तो मृतक की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है। इसलिए मृतक का भी इनकम टैक्स भरना जरूरी है।
किस मृतक का ITR फाइल भरना होगा जरूरी?
उसी मृतक का ITR फाइल करना जरूरी है जो पहले से इनकम टैक्स फाइल करता रहा है। अगर पहले कभी ITR फाइल नहीं किया है तो मृतक का इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की कोई जरूरत नहीं है। यहां ध्यान रखें कि यह इनकम टैक्स उसी असेसमेंट ईयर में फाइल किया जाना चाहिए, जिसमें उसकी मृत्यु हुई है। वित्त वर्ष से आगे वाला साल असेसमेंट ईयर कहलाता है। जैसे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए असेसमेंट ईयर 2024-25 होगा। अभी हम जो ITR फाइल करेंगे, वह असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए है।
मृतक का भी इनकम टैक्स रिटर्न भरना जरूरी।
कौन कर सकता है फाइल
किसी भी मृतक का इनकम टैक्स फाइल करने की जिम्मेदारी उसके वारिस की होती है। वारिस को मृतक के पूरे डॉक्यूमेंट पेश करने होते हैं। साथ ही मृतक का डेथ सर्टिफिकेट भी जमा करना पड़ता है ताकि आगे से इनकम टैक्स न जमा करना पड़े। मृतक का ITR फाइल करते समय इन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है:
- मृतक का पूरा नाम
- मृतक का PAN नंबर
- जन्मतिथि
- कानूनी वारिस की बैंक अकाउंट डिटेल्स
- मृतक के PAN की डिजिटल फोटो
- डेथ सर्टिफिकेट की डिजिटल फोटो
- कानूनी वारिस का सर्टिफिकेट
कैसे भरना होगा मृतक का ITR?
मृत शख्स का इनकम टैक्स रिटर्न आम इंसान की तरह ही भरा जाता है। कानूनी वारिस ऑनलाइन या ऑफलाइन, किसी भी तरह से रिटर्न फाइल कर सकता है। ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने के लिए इनकम टैक्स विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट incometax.gov.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अगर कानूनी वारिस पहले से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करता है तो उसका रजिस्ट्रेशन होगा। ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने में परेशानी आए तो किसी सीए या एक्सपर्ट की मदद लें।
इन बातों का रखें ध्यान
- मृतक का आईटीआर फाइल करने के बाद वारिस को मृतक का PAN सरेंडर कर देना चाहिए।
- आयकर रिटर्न भरे जाने के बाद अगर कुछ रिफंड बनता है तो वह भी मृतक के ही अकाउंट में आएगा। मृतक का अपना अकाउंट नहीं होने की स्थिति में कानूनी वारिस रिफंड अपने खाते में लेने की Assessing Officer (AO) रिक्वेस्ट कर सकता है। इसके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए सीए से संपर्क करें।
- मृतक के अकाउंट से पैसे निकालने और उसे बंद करवाने के लिए वारिस को उनके बैंक से संपर्क करना होगा।
सिर्फ डेथ की तारीख तक का ITR
मृतक का ITR 1 अप्रैल से लेकर उस तारीख तक का ही भरा जाता है जिस तारीख में उसकी डेथ हुई है। चूंकि मृतक की संपत्ति बाद में कानूनी वारिसों में बंट जाती है। इसलिए इसके बाद का मृतक के वारिसों के हिस्से में आई संपत्ति का जिक्र अपने-अपने ITR में करना होगा।
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