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बिजनेस वुमेन से ग्रैमी अवॉर्ड विनर तक, एक किताब ने बदल दी Chandrika Tandon की लाइफ

Indian-American Singer Chandrika Tandon: चंद्रिका टंडन बिजनेस की दुनिया का भी एक बड़ा नाम हैं। वह सिटी बैंक और मैकेंजी जैसी दिग्गज कंपनियों का भी हिस्सा रह चुकी हैं।
03:18 PM Feb 04, 2025 IST | News24 हिंदी
बिजनेस वुमेन से ग्रैमी अवॉर्ड विनर तक  एक किताब ने बदल दी chandrika tandon की लाइफ

Chandrika Tandon Bags Grammy Award 2025: भारतीय-अमेरिकन गायिका चंद्रिका टंडन इस समय सुर्खियों में हैं। उन्होंने ग्रैमी अवॉर्ड अपने नाम किया है। 71 साल की चंद्रिका की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी खुशी जाहिर की है। सिनेमा में जो रुतबा ऑस्कर अवॉर्ड्स का होता है, म्यूजिक इंडस्ट्री में वही ग्रैमी अवॉर्ड्स का, इसलिए चंद्रिका की इस उपलब्धि के महत्व को समझा जा सकता है। सबसे ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि चंद्रिका ने करीब 45 साल की उम्र तक खुद को संगीत से दूर रखते हुए केवल कारोबारी दुनिया पर फोकस किया हुआ था, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने उनकी लाइफ को पूरी तरह से पलटकर रख दिया।

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ऐसा रहा कारोबारी सफर

चंद्रिका टंडन की पहचान केवल पेप्सिको की पूर्व सीईओ इंद्रा नूयी की बड़ी बहन के तौर पर ही नहीं है, उन्होंने बिजनेस की दुनिया में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वह दिग्गज मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी मैकेंजी एंड कंपनी में पार्टनर रहीं हैं। यह मुकाम हासिल करने वालीं वह पहली भारतीय-अमेरिकी महिला हैं। चंद्रिका सिटीबैंक का भी हिस्सा रह चुकी हैं। 1992 में, उन्होंने टंडन कैपिटल एसोसिएट्स नाम से अपनी कंपनी की शुरुआत की, जिसके क्लाइंट में यूनिबैंको (ब्राजील), सनकोर्प-मेटवे लिमिटेड (ऑस्ट्रेलिया), फ्लीट फाइनेंशियल ग्रुप , बैंक ऑफ अमेरिका , राबोबैंक और एबीएन एमरो सहित जैसे बड़े नाम शामिल रहे।

चेन्नई से अहमदाबाद

चंद्रिका टंडन ने अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और यूएस को अपनी कर्मभूमि बना लिया। हालांकि, वहां तक पहुंचने के लिए उन्हें अनगिनत चुनौतियों का सामना करना पड़ा। चंद्रिका का जन्म 1954 में चेन्नई के एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ। वह बीकॉम करने के लिए मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज जाना चाहती थीं, लेकिन उनकी मां इसके लिए तैयार नहीं थीं। लिहाजा, वह भूख हड़ताल पर बैठ गईं और आखिरकार परिवार को उनकी जिद के आगे झुकना पड़ा। इसके बाद वह आईआईएम अहमदाबाद पहुंचीं और यहां से एक नए सफर पर निकल गईं।

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गाने ने दिलाया एडमिशन

चंद्रिका को संगीत का शौक शुरू से रहा है। आईआईएम में एडमिशन का सपना पूरा करने में उनका यह हुनर बहुत काम आया था। दरअसल, चंद्रिका के बायो में लिखा था कि उन्होंने एक कॉन्सर्ट किया है और वह फ्रेंच में गा सकती हैं। इस पर इंटरव्यू पैनल में मौजूद प्रोफेसर मोहन कौल ने उनसे फ्रेंच में कुछ गाने को कहा। चंद्रिका टंडन का गाना सुनकर प्रोफेसर कौल को यकीन नहीं हुआ कि चेन्नई की एक लड़की, जो कभी बाहर नहीं गई फ्रेंच में इतना अच्छा गा सकती है। आईआईएम से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने सिटीबैंक में नौकरी की। इसके लिए वह सिविल वॉर से जूझ रहे बेरुत भी गईं।

फ्लाइट का सफर और किताब

इसके करीब एक दशक के बाद वह अमेरिका में मैकेंजी का हिस्सा बन गईं। 1992 में उन्होंने टंडन कैपिटल एसोसिएट्स नाम से अपनी कंपनी की नींव रखी। उनके लिए सबकुछ अच्छा चल रहा था। फिर एक दिन फ्लाइट में सफर करते हुए उन्होंने परमहंस योगानंद की किताब 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ अ योगी' पढ़ी, जिसने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। किताब की बातों से उनका कोई इमोशन ट्रिगर हुआ और उन्होंने एक नई राह पर चलने का फैसला लिया।

'त्रिवेणी' के लिए मिला अवॉर्ड

चंद्रिका ने अपने संगीत के हुनर को फिर से जीवित करने की ठानी। हालांकि, उम्र के इस पड़ाव में यह आसान नहीं था, लेकिन वह हार मानने वालीं नहीं थीं। उन्होंने खुद से घंटों हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत के राग सीखने शुरू किए। इसके बाद उन्होंने इन रागों को अलग-अलग मंत्रोच्चार में इस्तेमाल किया। एक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पहले उन्होंने 'ओम नमः शिवाय' का जाप राग में रिकॉर्ड किया और फिर इसमें हर रोज कुछ न कुछ नया जुड़ता चला गया। उन्हें अपनी एल्बम 'त्रिवेणी' के लिए ग्रैमी अवॉर्ड मिला है।

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