अब बारिश तय करेगी महंगाई की दर कम होगी या बढ़ेगी, HSBC की ताजा रिपोर्ट में खुलासा
Inflation Impact More On Rural Consumers : देश में इस समय लोगों को महंगाई से दो-चार होना पड़ रहा है। पेट्रोल, डीजल, सब्जी आदि चीजों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। वहीं दूसरी ओर इस महंगाई की मार सबसे ज्यादा शहर के लोगों की अपेक्षा गांव के लोगों पर पड़ी है। किसानों की आमदनी पर भी काफी असर पड़ा है। यही नहीं, किसानों की कम आमदनी के पीछे कम बारिश भी रही है। विदेशी ब्रोकरेज कंपनी HSBC की रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं। यह रिपोर्ट HSBC के अर्थशास्त्रियों द्वारा तैयार की गई है।
K आकार जैसी रही महंगाई दर
रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना के बाद आर्थिक रिकवरी की दर जिस तरह अलग-अलग रही, भारत में महंगाई की दर भी कुछ इसी तरह रही है। HSBC के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक भारत में महंगाई की स्थिति अंग्रेजी के लैटर के (K) की तरह रही है। यानी जिस तरह देश की अर्थव्यवस्था में K आकार का पुनरुद्धार (कुछ क्षेत्रों में तेजी तो कुछ में नरमी) देखने को मिला, उसी प्रकार की स्थिति महंगाई के मामले में भी रही।
गांव के लोगों की आमदनी पर भी असर पड़ा है।
ग्रामीणों पर सबसे ज्यादा असर
HSBC के अर्थशास्त्रियों के इस महंगाई का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण लोगों पर पड़ा। मई में महंगाई का असर गांव के लोगों पर शहर के लोगों के मुकाबले 1.1 फीसदी ज्यादा रहा। HSBC के मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजल भंडारी ने रिपोर्ट में मौजूदा भीषण गर्मी का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां खाद्य वस्तुओं की महंगाई ऊंची है, वहीं मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति में नरमी की स्थिति भी है। इसका कारण फसल को नुकसान और पशुधन मृत्यु दर है।
सरकार का कदम भी बेअसर
सरकार ने महंगाई में राहत के लिए कई तरह के उपाय भी किए हैं। इसमें पेट्रोल, डीजल की कीमत में कटौती से लेकर LPG की कीमत कम करना तक शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का यह कदम भी गांव में महंगाई कम करने में काम नहीं आया। इसका कारण है कि ग्रामीण इन चीजों का शहरी लोगों के मुकाबले बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते हैं। यही वजह है कि गांव में महंगाई की दर शहर के मुकाबले ज्यादा है।
आमदनी में हुआ नुकसान
रिपोर्ट में बताया गया है कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई की स्थिति अधिक असमंजस वाली लगती है। इसका कारण है कि हर किसी के मन में यह आएगा कि जब खाद्यान्न की उपज गांव में होती है तो फिर वहां शहरों में तुलना में महंगाई कम होनी चाहिए। इसके कारण किसानों की आय को नुकसान हुआ है। वे शहरी खरीदारों को खाद्य पदार्थ बेचने के लिए अधिक प्रयास कर रहे हैं। इससे रिटर्न अधिक हो सकता है, लेकिन उनके क्षेत्रों में कम आपूर्ति रह जाती है जिससे कीमतें बढ़ जाती हैं।
बारिश पर निर्भर महंगाई की दर
देश में बढ़ रही महंगाई पर लगाम लगाने की उम्मीद अब बारिश पर दिखाई दे रही है। ब्रोकरेज का कहना है कि अगर बारिश सामान्य होती है तो हो सकता है कि रिजर्व बैंक नीतिगत दर में जल्दी कटौती न करे। वहीं अगर बारिश सामान्य हो जाती है तो महंगाई में तेजी से कमी आ सकती है और आरबीआई नीतिगत दर में कटौती करने में सक्षम होगा।
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