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Revised Income Tax भरने की तारीख न भूलें, वरना लग सकता है जुर्माना

ITR Filing Deadline: 31 दिसंबर 2024, वित्त वर्ष 2023-24 (AY 2024-25) के लिए विलंबित और संशोधित आयकर रिटर्न जमा करने की आखिरी तारीख है। जानिए सही समय पर आयकर रिटर्न जमा नहीं करने पर क्या नियम हैं।
12:24 PM Dec 21, 2024 IST | Shabnaz
revised income tax भरने की तारीख न भूलें  वरना लग सकता है जुर्माना

ITR Filing Deadline: अगर आप वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए मूल आयकर रिटर्न (ITR) अभी तक नहीं भर पाएं हैं तो जल्दी भर दीजिए। क्योंकि आपके पास विलंबित ITR दाखिल करने के लिए 31 दिसंबर 2024 तक का ही वक्त है। अगर कोई 31 दिसंबर को भी ITR दाखिल नहीं कर पाता है तो उसके लिए पेनल्टी लग सकती है। जानिए ऐसा करने पर टैक्सपेयर्स को कितना जुर्माना और ब्याज देना पड़ सकता है?

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5000 रुपये का जुर्माना

विलंबित रिटर्न फाइल करने को लेकर आयकर अधिनियम की धारा 139(4) है, जिसके तहत आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति 31 दिसंबर, 2024 तक विलंबित रिटर्न जमा नहीं कर पाता है, तो धारा 139(4) के तहत विलंबित रिटर्न पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके लिए फिर चाहे बकाया टैक्स राशि कितनी भी हो। इसके अलावा कम टैक्स योग्य इनकम के लिए 1000 रुपये का कम जुर्माना लग सकता है। वहीं, 3 लाख रुपये की मूल छूट सीमा से कम इनकम वाले व्यक्तियों को कोई जुर्माना नहीं देना पड़ता है।

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विलंबित ITR दाखिल करने की प्रक्रिया मूल ITR जैसी ही होती है। लेकिन दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान धारा 139(4) का चयन करना जरूरी होता है । टैक्सपेयर्स को यह भी सुनिश्चित देखना होता है कि सभी पेनल्टी और बकाया राशि का निपटान हुआ कि नहीं। हालांकि रिटर्न जमा करने के बाद भी रिटर्न सत्यापित करने के लिए 30 दिन का वक्त दिया जाता है।

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संशोधन को लेकर नियम

कई ITR भरते समय कुछ गलतियां हो जाती हैं, जिसको बाद में सही किया जा सकता है। इसके लिए धारा 139(5) के तहत संशोधित रिटर्न दाखिल किया जाता है। यह ऑप्शन मूल या विलंबित रिटर्न में गलतियों को ठीक करने के लिए मिल जाता है। रिटर्न को संशोधित करने के लिए, फाइलिंग के दौरान धारा 139(5) का चयन करना होगा। इसके साथ ही मूल या विलंबित ITR का एक्नॉलेजमेंट नंबर भी देना होगा।

लेकिन इसमें एक बात और ध्यान देने योग्य है कि भले ही आपको कई संशोधित करने का मौका मिलता है, लेकिन टैक्स एक्पर्ट सलाह देते हैं कि बार-बार संशोधन से बचना चाहिए। इससे आयकर विभाग की जांच के दायरे में आ सकते हैं।

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