फुटपाथ पर गुब्बारे बेचे, चर्च में बिताईं रातें…जानें MRF के मालिक मैम्मेन मप्पिलाई की सक्सेस स्टोरी

KM Mammen Mappillai MRF Success Story: मैम्मेन मप्पिलाई ने देखा कि एक विदेशी कंपनी टायर रिट्रेडिंग प्लांट को ट्रेड रबर की सप्लाई कर रही थी। इसी से मैम्मेन के दिमाग में ट्रेड रबर फैक्ट्री लगाने का आइडिया आया। मैम्मेन ने अपनी सारी सेविंग के साथ ट्रेड रबर बनाने के बिजनेस में उतरने का फैसला किया।

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साल 1992 में मैम्मेन मप्पिलाई को टायर इंडस्ट्री में योगदान देने के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया।

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KM Mammen Mappillai MRF Success Story: सफलता धैर्य मांगती है। मेहनत मांगती है और सबसे जरूरी है। कुछ कर पाने का इरादा। जो लोग अपनी जिंदगी के शुरुआती साल फुटपाथ पर बिताते हैं, वे भी ऐसे कारनामे कर जाते हैं, जिससे लोग प्रेरणा लेते हैं। मद्रास रबर फैक्ट्री - यानी एमआरएफ की कहानी भी ऐसी ही है। सक्सेस स्टोरी में आज एमआरएफ (MRF) के फाउंडर केएम मैम्मेन मप्पिलाई की कहानी, जिन्होंने शुरुआत तो गुब्बारे बेचने से की, लेकिन जल्द ही भारत में टायर बिजनेस का चेहरा बन गए। आज विराट कोहली जैसा स्टार क्रिकेटर उनकी कंपनी का ब्रैंड एंबेसडर है। कुछ वर्षों पहले सचिन तेंदुलकर भी एमआरएफ के ब्रैंड एंबेसडर थे।

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मैम्मेन मप्पिलाई की कहानी की शुरुआत 1922 में होती है। उनका जन्म केरल के एक ईसाई परिवार में हुआ था। पिता बड़े कारोबारी थे, उनके पास बैंक और न्यूजपेपर का बिजनेस था। हालांकि एक मामले में मैम्मेन के पिता को सजा होने के बाद त्रावणकोर के राज परिवार ने उनकी संपत्ति जब्त कर ली। उस समय मैम्मेन मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया गया और दो साल की जेल हुई। पिता के जेल जाने के बाद मैम्मेन का परिवार सड़कों पर आ गया। कड़ी चुनौतियों के बीच मैम्मेन ने अपने भाई बहनों के साथ गुब्बारे बेचने का काम शुरू कर दिया। हालात ऐसे थे कि मैम्मेन को सेंट थॉमस चर्च में फ्लोर पर रातें बितानी पड़ीं, लेकिन मैम्मेन ने हार नहीं मानी।

विदेशी कंपनियों से सीधा मुकाबला

फिर आया साल 1952, इसी दौरान मैम्मेन मप्पिलाई ने देखा कि एक विदेशी कंपनी टायर रिट्रेडिंग प्लांट को ट्रेड रबर की सप्लाई कर रही थी। इसी से मैम्मेन के दिमाग में ट्रेड रबर फैक्ट्री लगाने का आइडिया आया। मैम्मेन ने अपनी सारी सेविंग के साथ ट्रेड रबर बनाने के बिजनेस में उतरने का फैसला किया। और इस तरह मद्रास रबर फैक्ट्री का जन्म हुआ। यह ट्रेड रबर बनाने वाली भारत की पहली कंपनी थी। उस समय भारत में रबर बनाने वाली कोई स्वदेशी कंपनी नहीं थी, मैम्मेन का सीधा कंपटीशन विदेशी कंपनियों से था। मैम्मेन को जबरदस्त शुरुआत मिली। फैक्ट्री का धंधा बढ़ने लगा। साल 1956 आते-आते मैम्मेन ने टायर बिजनेस में 50 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर ली।

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1960 बना MRF के लिए टर्निंग प्वाइंट

मैम्मेन के बिजनेस में साल 1960 टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। एमआरएफ अब ट्रेड रबर के धंधे के साथ टायर मार्केट में उतरने की तैयारी कर चुकी थी। मैम्मेन ने अमेरिका की मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी से तकनीकी सहयोग लिया और टायर बनाने वाली यूनिट स्थापित कर दी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक 1961 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने टायर फैक्ट्री का उद्घाटन किया। साल 1961 में एमआरएफ की फैक्ट्री से पहला टायर बनकर निकला। इसी साल मैम्मेन अपनी कंपनी का आईपीओ लेकर आए।

विराट कोहली हैं MRF के ब्रैंड एंबेसडर

साल 1992 में मैम्मेन मप्पिलाई को टायर इंडस्ट्री में योगदान देने के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया। 2003 में मैम्मेन मप्पिलाई का निधन हो गया। आज की तारीख में एमआरएफ दुनिया में टायर इंडस्ट्री का दूसरा सबसे बड़ा ब्रांड है। उसका बाजार पूंजीकरण 57 हजार करोड़ से ज्यादा का है। स्टार क्रिकेटर विराट कोहली एमआरएफ से ब्रैंड एंबेसडर के तौर पर जुड़े हुए हैं। कंपनी का हेडक्वार्टर चेन्नई में है और यह टायर के साथ धागे, ट्यूब, कन्वेयर बेल्ट, पेंट और खिलौने सहित कई रबर प्रोडक्ट बनाती है।

 

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