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Ratan Tata Passes Away: रतन टाटा को Tata में कैसे मिली नौकरी? अपनी ही कंपनी में भेजना पड़ा Resume

How Ratan Tata got job in Tata: रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनसे जुड़े किस्से-कहानियां आगे भी हमें प्रेरित करते रहेंगे। क्या आप जानते हैं रतन टाटा को टाटा ग्रुप में पहली नौकरी कैसे मिली थी?
01:47 AM Oct 10, 2024 IST | Amit Kumar
ratan tata passes away  रतन टाटा को tata में कैसे मिली नौकरी  अपनी ही कंपनी में भेजना पड़ा resume
Ratan Tata

Ratan Tata Life Stories: रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। उन्होंने न सिर्फ एक सफल बिजनेसमैन के रूप में अपनी पहचान बनाई बल्कि ऐसी शख्सियत के रूप में उभरे, जिनके परोपकार की लोग मिसालें देते हैं। उनके दुनिया को अलविदा कहने के बाद एक युग का अंत हो गया है। 100 से ज्यादा कंपनियों के टाटा ग्रुप को संभालने वाले रतन टाटा की नेकदिली और हमेशा जमीन से जुड़े रहने के ढेरों किस्से हैं, जो हम सभी के जेहन में हमेशा याद रहेंगे।

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि रतन टाटा को अपनी ही कंपनी में नौकरी कैसे मिली थी। इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। रतन टाटा अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे और वहीं बसना भी चाहते थे। लेकिन दादी की तबीयत खराब होने की वजह से भारत लौट आए। अब यहां लौटे तो उनके पास IBM कंपनी से जॉब का ऑफर था, जिसे वह स्वीकार करने का मूड बना चुके थे। लेकिन जेआरडी टाटा इस फैसले से खुश नहीं थे। उन्होंने साफ कह दिया कि भारत में रहते हुए तुम IBM में नौकरी नहीं कर सकते।

इंटरव्यू में खुद बताई पूरी बात

एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात का खुलासा करते हुए कहा कि एक बार जेआरडी टाटा ने उन्हें कॉल किया और कहा कि तुम भारत में रहते हुए IBM में काम नहीं कर सकते। उन्होंने आगे कहा, 'मैं उस टाइम आईबीएम के ऑफिस में ही था। उन्होंने तुरंत मुझ से Resume मांग लिया। लेकिन मेरे पास वो नहीं था। हालांकि ऑफिस में एक इलेक्ट्रिक टाइप राइटर था, जिससे मैंने वहीं बैठकर अपना रिज्यूमे बनाया और उन्हें भेज दिया।' इस तरह से 1962 में उन्हें टाटा में नौकरी मिली।

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6 महीने इस कंपनी में बिताने पड़े

टाटा इंडस्ट्रीज में नौकरी मिलने के बाद उन्हें शुरुआती 6 महीने Telco में काम करना पड़ा, जो कि वर्तमान में टाटा मोटर्स है। इसके बाद ही 1963 में उन्हें Tisco में ज्वाइन कराया गया, जो कि अब टाटा स्टील्स है। उनके कार्यकाल में टाटा ग्रुप ने बहुत तरक्की की। 1991 उन्हें टाटा सन्स का चेयरमैन बनाया गया। इस दौरान उन्होंने टाटा ग्रुप्स को पूरी तरह से ही बदल डाला। 28 दिसंबर 2012 को वह टाटा सन्स के चेयरमैन पद से रिटायर हो गए।

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