Success Story: 12वीं में हुए फेल, फिर मेहनत कर बने डॉक्टर, जानिए हैदराबाद के सबसे अमीर शख्स की कहानी
Success Story: कहते हैं ना कि अगर बार-बार कोशिश करें तो कभी न कभी आप वो मुकाम हासिल ही कर लेते हैं, जिसे आप पाना चाहते हैं। इसका एक उदाहरण हैदराबाद के डॉ. मुरली कृष्ण प्रसाद डिवी हैं, जिन्होंने अपने जीवन में आने वाले बहुत से संघर्षों के बाद भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। डिविस लैबोरेट्रीज के फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. मुरली कृष्ण प्रसाद डिवी की कहानी कई लोगों को प्रेरित करती है। हैदराबाद स्थित उनकी मेडिसिन कंपनी कोविड-19 के समय सबसे ज्यादा चर्चा में आई, क्योंकि उस एंटी-वायरल दवा मोलनुपिराविर की मांग बढ़ गई और ये कंपनी इस दवा का प्रोडक्शन कर रही थी। इसके कारण डॉ. डिवी की संपत्ति में अरबों डॉलर की बढ़ोतरी हुई , जिससे वे हैदराबाद के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। आइए डॉ. मुरली कृष्ण प्रसाद की कहानी के बारे में जानते हैं।
आर्थिक रूप से कमजोर था परिवार
आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे डॉ. डिवी का परिवार आर्थिक रूप से बहुत कमजोर था। वह 13 भाई बहनों में सबसे छोटे थे, ऐसे में उनको बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। आर्थिक समस्याओं और अन्य परेशानियों के चलते वे अपनी 12वीं की परीक्षा में भी फेल हो गए थे।
हालांकि अपनी लगन और मेहनत से जल्द ही अपनी पढ़ाई पूरी कर ली और बैचलर ऑफ फार्मेसी कोर्स को पूरा करके 1975 में एक ट्रेनी के तौर पर वार्नर हिंदुस्तान में शामिल हुए। डॉ. डिवी ने इसके बाद अमेरिका में अवसरों की तलाश की और केवल 7 अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 600 रुपये लेकर वहां पहुंच गए। हालांकि बाद में उन्हें एक फैमिली इमरजेंसी के कारण वापस भारत आना पड़ा। इसके बाद उन्होंने 1984 में डॉ. कल्लम अंजी रेड्डी के साथ मिलकर केमिनोर ड्रग्स को एक्वायर किया।
डिवी रिसर्च सेंटर की स्थापना
कड़ी मेहनत और लगन से काम करते हुए 1990 में डॉ. डिवी ने डिवी रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। यह एक ऐसी कंपनी थी, जो मेडिसिन कंपनियों को टेक्नोलॉजी और कन्सल्टिंग सर्विस देती थी। 1994 में उन्होंने इसे डिवी लैबोरेटरीज में बदल दिया, जिसके लिए उन्होंन अपनी सेविंग्स का इस्तेमाल किया। आज डिवी लैबोरेटरीज दुनिया भर में एक्टिव फॉर्मासुटिकल इनग्रीडियंस (API) के टॉप 3 मैन्युफैरक्चरर में है। यह गठिया, डिप्रेशन और मिर्गी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के लिए मेन कंपोनेंट का प्रोडक्शन करती है।
हालांकि 2017 में कंपनी को इस अहम चुनौती का सामना करना पड़ा जब विशाखापत्तनम फैसिलिटी पर FDA ने बैन लगा दिया था। हालांकि 6 महीने में ही इस समस्या को दूर कर लिया गया। अब डिवी लैबोरेटरीज ग्रीन केमिस्ट्री के क्षेत्र में प्रवेश कर रही है और मोटापे के लिए GLP-1 पेप्टाइड्स जैसे उपचारों की खोज कर रही है। ग्रीन केमिस्ट्री एक ऐसा कॉन्सेप्ट है, जिसके तहत रिजल्ट कमिकल और प्रोसेस को कम खतरनाक और अधिक सटीक बनाने का प्रयास किया जाता है। इससे पर्यावरण और इंसान दोनों के नुकसान कम होता है। 1530 करोड़ रुपये के मार्केट कैपिटल के साथ डॉ. डिवी आप ग्लोबल फार्मास्युटिकल लीडर के रूप में सामने आए हैं।
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