होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Success Story Of Ramachandran : 5000 रुपये उधार लेकर शुरू किया था बिजनेस, आज 17 हजार करोड़ की कंपनी के मालिक

Success Story Of Ramachandran : उधार लेकर बिजनेस करना काफी लोगों को रास नहीं आता है। हालांकि जो जुनूनी होते हैं, वे बिजनेस को नई ऊंचाईयों पर ले जाते हैं। ऐसा कि कुछ किया एमपी रामचंद्रन ने।
10:44 PM May 15, 2024 IST | Rajesh Bharti
5000 रुपये उधार लेकर शुरू किया था बिजनेस।
Advertisement

Success Story Of Ramachandran : 'आया नया उजाला, चार बूंदों वाला...।' कपड़ों में चमक लाने के लिए उजाला नील का यह विज्ञापन 90 के दशक में लोगों की जुबान पर था। उजाला नील के बनने की कहानी भी काफी प्रेरणादायक है। इस नील को बनाने वाली कंपनी के मालिक एमपी रामचंद्रन का सफर काफी संघर्षभरा रहा है। उन्होंने कंपनी की शुरुआत 5000 रुपये उधार लेकर की थी। आज इस कंपनी की वैल्यू करीब 17 हजार करोड़ रुपये है।

Advertisement

ऐसे शुरू की कंपनी

रामचंद्रन का सफर आसान नहीं रहा। रामचंद्रन ने पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद अकाउंटेंट के रूप में काम शुरू किया। इससे उनकी बिजनेस में काफी दिलचस्पी बढ़ी और उन्होंने बिजनेस करने का फैसला लिया। इसके बाद उन्होंने अपने भाई से 5000 रुपये उधार लिए थे। उन्होंने इस पैसे से ज्योति लेबोरेटरीज नाम से कंपनी बनाई और उजाला ब्रांड नाम से नील मार्केट में उतारा।

5000 रुपये उधार लेकर शुरू किया था बिजनेस।

ऐसे बना उजाला

रामचंद्रन कपड़ों के लिए व्हाइटनर बनाना चाहते थे। इसके लिए वह रसोई में प्रयोग करते थे। एक दिन उनकी नजर एक मैगजीन पर पड़ी। उसमें लिखा था कि बैंगनी रंग के इस्तेमाल से कपड़े को ज्यादा सफेद और चमकीला बनाया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने इस पर कुछ प्रयोग किए। रामचंद्रन एक साल तक बैंगनी रंगों के साथ प्रयोग करते रहे। इसके बाद वह उजाला नील बनाने में कामयाब रहे।

Advertisement

यह भी पढ़ें : Success Story Of Gagan Anand : कभी की थी 2500 रुपये की नौकरी, इस साल बिजनेस में कमा डाले 11 करोड़ रुपये

बेटी के नाम पर कंपनी

रामचंद्रन ने अपने भाई से जो रकम उधार ली थी, उससे उन्होंने 1983 में केरल के त्रिशूर में पारिवारिक जमीन के एक छोटे-से भाग पर अस्थायी फैक्ट्री खोली। उन्होंने अपनी बेटी ज्योति के नाम पर कंपनी का नाम ज्योति लेबोरेटरीज रखा। इस प्रोडेक्ट को शुरू में 6 महिलाओं के एक ग्रुप ने घर-घर जाकर बेचा था। बाद में उनका उजाला ब्रांड देश के लगभग हर घर में पहुंच गया था। इस नील का इस्तेमाल सफेद कपड़ों को चमकाने में किया जाता है। ज्योति लेबोरेटरीज के दो अहम प्रोडेक्ट उजाला लिक्विड क्लॉथ व्हाइटनर और मैक्सो मॉस्किटो रिपेलेंट्स देश में काफी फेमस हुए हैं।

Open in App
Advertisement
Tags :
jyoti labSuccess Storyulala blue
Advertisement
Advertisement