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सरकार ने बदले टोल के नियम! 20 किमी तक Toll Tax नहीं, पढ़िए क्या हुए बदलाव?

Toll Tax: केंद्र सरकार ने मंगलवार को नेशनल हाईवे के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। MoRTH ने जो अधिसूचना जारी की है उसमें कुछ वाहनों को टोल फ्री सफर करने की अनुमति दी गई है। इसमें GNSS लगे वाहनों को शामिल किया जाएगा।
10:20 AM Sep 11, 2024 IST | Shabnaz
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Toll Tax: सफर को आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। केंद्र सरकार ने GPS आधारित टोल को मंजूरी दे दी है, इससे बाद आपको टोल प्लाजा पर रुकना नहीं होगा। मंगलवार को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने नेशनल हाईवे फीस (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 में संशोधन किया है। इसमें गाड़ियों पर GPS लगाकर टोल टैक्स लिया जाएगा। इस सिस्टम में गाड़ी के चलने की दूरी के मुताबिक टोल वसूला जाएगा।

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20 किमी तक टोल टैक्स नहीं

नॉटिफिकेशन में मंत्रालय ने बताया कि इसमें बदलाव करने का उद्देश्य नेशनल हाईवे टोल प्लाजा पर लगने वाली भीड़ को कम करना है। इसके साथ ही ट्रैवल की गई दूरी के आधार पर टोल लेना है। अधिसूचना में कहा गया कि 'राष्ट्रीय परमिट वाहन के अलावा किसी मैकेनिकल वाहन का चालक, मालिक या प्रभारी व्यक्ति, जो राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल या बाईपास का इस्तेमाल करता है उस पर जीरो-यूजर फीस लगेगी।'

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ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के तहत एक दिन में हर दिशा में 20 किलोमीटर तक के सफर पर कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा। उसके इतर अगर आपके सफर की दूरी 20 किलोमीटर से ज्यादा है तो उसकी वास्तविक दूरी के लिए टैक्स लिया जाएगा।'

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GNSS से लैस होंगी गाड़ियां

राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 में संशोधन किया गया है। इसके बाद अब ये राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) संशोधन नियम 2024 बन गया है। इसके मुताबिक, गाड़ियों पर ग्‍लोबल नेव‍िगेशन सैटेलाइट स‍िस्‍टम (GNSS) लगा होना चाहिए। इससे ही गाड़ियों की दूरी को डिटेक्ट करके हाइवे और एक्सप्रेसवे पर हर दिन 20 किमी तक का सफर टोल शुल्क (Toll Tax Free) होगा। GNSS यानी लोबल नेव‍िगेशन सैटेलाइट स‍िस्‍टम को एक तरह का सैटेलाइट सिस्टम कहा जाता है। इससे गाड़ियों की लोकेशन का पता लगाया जाता है।

ऑन बोर्ड यूनिट कैसे लगवाएं?

ये नया सिस्टम भी फास्टैग की तरह ही काम करेगा। इसमें आपकी गाड़ी पर ऑन बोर्ड यूनिट लगाई जाएगी, जो ट्रैकिंग डिवाइस के तौर पर काम करेगी। इससे गाड़ी की लोकेशन सैटेलाइट को भेजी जाएगी। इसी से सैटेलाइट गाड़ी की दूरी का पता करेगी। इसके अलावा हाइवे पर जो कैमरे लगे होंगे वो गाड़ी के वहां पर होने की पुष्टि करने का काम करेंगे। ऑन बोर्ड यूनिट OBU को भी FASTag की तरह ही सरकारी पोर्टल से लिया जा सकता है, जिसे गाड़ी के बाहर लगाना होगा। ये भी FASTag की तरह ही काम करेगा।

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