Union Budget 2025: गोल्ड से लेकर इनकम टैक्स तक, पूर्व वित्त सचिव ने बताया बजट से क्या है उम्मीद
Union Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज 1 फरवरी को आम बजट 2025 पेश करेंगी। इसी के साथ वह लगातार 8वीं बार केंद्रीय बजट पेश करने वालीं देश की पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी। इस बजट में क्या होगा, इस पर व्यापक बहस चल रही है। न्यूज24 के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत के पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने बताया कि उन्हें बजट से क्या अपेक्षा है और कौन सी घोषणाएं संभव हैं।
बढ़ सकता है आयात शुल्क
सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि बजट में वित्त मंत्री 'PM किसान योजना' को लेकर कोई नई घोषणा कर सकती हैं। इसके साथ ही महिलाओं के लिए कोई नई पहल शुरू हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर बजट में सोने पर आयात शुल्क में इजाफा होता है, जैसी कि चर्चा है, तो फिर सोने की कीमतें बहुत थोड़े से समय में ही 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े को पार कर सकती हैं।
टैक्स छूट को बढ़ाया जाए
इनकम टैक्स पर उन्होंने कहा कि 25 लाख रुपये की आय पर 30% की अधिकतम आयकर दर लागू होनी चाहिए। साथ ही वित्त मंत्री को दो मौजूदा कर प्रणालियों को मिलाकर एक एकीकृत प्रणाली बनाने पर विचार करना चाहिए। गर्ग ने यह भी कहा कि ओल्ड टैक्स रिजीम में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये है, जिसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाना चाहिए।
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निजीकरण पर हो जोर
पूर्व वित्त सचिव ने कहा कि राजस्व के मोर्चे पर विनिवेश और निजीकरण कार्यक्रम को पुनर्जीवित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। अगले साल तक 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य के लिए सरकार को निजीकरण के लिए पांच या छह कंपनियों और विनिवेश के लिए कई अन्य कंपनियों को चिह्नित करना चाहिए।
मुफ्त की योजनाओं से बचें
सुभाष चंद्र गर्ग ने आगे कहा कि एक्सपेंडिचर के मुद्दे पर प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि प्रमुख रेलवे लाइनों और सार्वजनिक वस्तुओं जैसी उत्पादक और उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं के लिए धन आवंटित करके पूंजीगत व्यय को अनुकूलित किया जाए, साथ ही अनावश्यक मुफ्त सुविधाओं से बचा जाए और संसाधनों को बहुत अधिक फैलाया न जाए।
इतना हो सकता है बजट
उन्होंने कहा कि सरकार को अगले साल राजकोषीय घाटे को 4.5% तक कम करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही 2029-30 तक 3% तक पहुंचने का रोडमैप भी पेश करना चाहिए। गर्ग ने कहा कि इस साल सरकार का बजट बढ़कर 52-53 ट्रिलियन रुपये होने की उम्मीद है। पूंजीगत व्यय बढ़कर लगभग 12 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। ब्याज व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि होकर 30 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।