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Union Budget 2025: क्या सभी को न्यू टैक्स रिजीम के तहत लाएंगी वित्त मंत्री, पुरानी में नहीं मिलेगी कोई छूट?

SBI Research Pre Budget Report: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल यानी 1 फरवरी को देश का बजट पेश करेंगी। बजट को लेकर सरकार को काफी सुझाव मिले हैं।
09:32 AM Jan 31, 2025 IST | News24 हिंदी
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India Budget 2025

Union Budget 2025: क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में सभी करदाताओं को न्यू टैक्स रिजीम के तहत लाने से जुड़ी कोई घोषणा कर सकती हैं? क्या पुरानी रिजीम में मिलने वाले सभी टैक्स एग्जेंप्शन को खत्म किया जा सकता है? यह सवाल इसलिए अहम हो गया है कि क्योंकि SBI रिसर्च रिपोर्ट में टैक्स रिफॉर्म के मद्देनजर सरकार को यह सुझाव दिए गए हैं।

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टैक्स रिफॉर्म के लिए बताया जरूरी

एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, कर सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए सभी करदाताओं को नई कर व्यवस्था के तहत लाया जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार सभी को नई कर व्यवस्था के तहत लाकर डिस्पोजेबल इनकम बढ़ाकर बेहतर कर अनुपालन सुनिश्चित कर सकती है और खपत को बढ़ावा दे सकती है। ऐसा टैक्स कलेक्शन में मामूली नुकसान के साथ किया जा सकता है।

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राजस्व नुकसान का अनुमान

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 का बजट सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता, स्वास्थ्य सेवा और उपभोग की नींव पर बनाया जा सकता है। हम विभिन्न विकल्पों में प्रत्यक्ष करों को कम से कम राजस्व हानि के साथ तर्कसंगत बनाने के Pareto ऑप्टिमल सॉल्यूशन की परिकल्पना करते हैं। नुकसान का अनुमान सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 0.14% है, जो पुरानी कर व्यवस्था के तहत सभी छूटों को हटाने और सभी करदाताओं को नई कर व्यवस्था के तहत लाने के कारण उपभोक्ताओं को अधिकतम लाभ देता है।

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NPS लिमिट बढ़ाई जाए

शोध रिपोर्ट में NPS सीमा को 50,000 से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने का सुझाव दिया गया है। साथ ही चिकित्सा बीमा छूट को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये करने की बात कही गई है। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में 10-15 लाख रुपये सालाना आय वालों के लिए कर की दर को 20% के बजाए 15% करने का सुझाव दिया गया है।

FD पर ऐसी हो कर व्यवस्था

अपनी बजट-पूर्व रिपोर्ट में, एसबीआई ने सभी परिपक्वताओं में एफडी से अर्जित ब्याज पर एक समान 15% कर दर लागू करने का सुझाव दिया है। इसका उद्देश्य एफडी ब्याज के टैक्सेशन को इक्विटी के टैक्स ट्रीटमेंट के साथ अलाइन करना और मौजूदा संरचना की जटिलता को कम करना है। हालांकि, इससे सरकार को 10,408 करोड़ रुपये की राजस्व हानि का भी अनुमान है। वर्तमान में, सावधि जमा यानी FD से मिलने वाले ब्याज पर इंडिविजुअल इनकम स्लैब रेट के आधार पर टैक्स लगाया जाता है, जो 5% से 30% तक है।

बचत खाते पर बढ़े छूट

रिपोर्ट में बचत खाते के ब्याज पर कर छूट सीमा को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये करने की भी सिफारिश की गई है, जिससे बड़ी संख्या में खाताधारकों को लाभ होगा। रिपोर्ट में सरलीकृत कर ढांचे के कारण बैंक जमा में 4.01% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। इससे बैंकों को कम लागत वाली अधिक धनराशि रखने में मदद मिलेगी, जिसे बुनियादी ढांचे के लिए ऋण देने में लगाया जा सकता है। इससे आर्थिक विकास में और अधिक योगदान मिलेगा।

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