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कौन थे हल्दीराम जिनके नाम पर बन गया इतना बड़ा ब्रांड? जानें- अब कितना बड़ा है परिवार

Who Was Haldiram : जब से हल्दीराम ब्रांड के बिकने की बात सामने आई है, लोगों के मन में सवाल है कि आखिर यह ब्रांड बिकने क्यों जा रहा है? इसका जवाब तो कंपनी के वर्तमान मालिक ही बता सकते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया के सबसे बड़े नमकीन ब्रांड का नाम आखिर हल्दीराम ही क्यों पड़ा? जानें- इस नाम के पीछे की कहानी:
11:32 AM May 17, 2024 IST | Rajesh Bharti
हल्दीराम के नाम के पीछे की कहानी दिलचस्प है।
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Who Was Haldiram : देश और दुनिया में हल्दीराम का नाम नमकीन ब्रांड के तौर पर सामने आता है। 80 साल से ज्यादा पुराने इस ब्रांड की शुरुआत आजादी से पहले हुई थी। परिवार की एक्स्ट्रा इनकम के लिए शुरू गया किया गया यह बिजनेस देखते ही देखते परिवार का मुख्य बिजनेस बन गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी का सालाना रेवेन्यू 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है। नमकीन का यह बिजनेस राजस्थान के बीकानेर की छोटी सी दुकान से शुरू हुआ और आज दुनिया के कई देशों में फैल गया है। इस समय हल्दीराम ब्रांड बिकने के कारण चर्चाओं में है। विदेशी कंपनियां इस ब्रांड में 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी लेना चाहती हैं।

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पुश्तैनी बिजनेस से शुरुआत

12 साल की उम्र में आज जहां ज्यादातर बच्चे स्कूल जाते हैं और खेलने-कूदने में समय गुजारते हैं, साल 1918 में 12 साल का एक बच्चा बिजनेस के नए आयाम लिख रहा था। उस उम्र में उस बच्चे ने बीकानेर में अपने पिता और दादा के साथ नमकीन के पुश्तैनी बिजनेस में काम करना शुरू कर दिया था। उस बच्चे के पिता और दादा बेसन की नमकीन बनाते थे। लेकिन बच्चे का दिमाग तेज था। कुछ साल गुजरे। थोड़ी-सी उम्र बढ़ी। इसके बाद उस बच्चे ने नमकीन के लिए बेसन नहीं, बल्कि मोठ की दाल चुनी। बस, यहीं से चमत्कार हो गया। मोठ की दाल से बनी उस नमकीन का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ गया। यहां हम जिस बच्चे की बात कर रहे हैं यह कोई और नहीं, हल्दीराम बिजनेस की शुरुआत करने वाले गंगा भिसेन अग्रवाल हैं। गंगा भिसेन अग्रवाल अब इस दुनिया में नहीं हैं। फरवरी 1980 में उनकी मृत्यु हो गई थी। उनके परिवार के सदस्य अब इस बिजनेस को संभालते हैं।

गंगा भिसेन अग्रवाल जिन्होंने हल्दीराम की स्थापना की।

ऐसे पड़ा हल्दीराम नाम

साल 1937 में गंगा भिसेन अग्रवाल ने पारिवारिक झगड़े के कारण परिवार से अलग होकर बीकानेर में ही हल्दीराम की नींव रखी। गंगा भिसेन ने नमकीन के ब्रांड का नाम हल्दीराम क्यों रखा, इसके पीछे भी दिलचस्प कहानी है। दरअसल, गंगा भिसेन को उनकी मां प्यार से हल्दीराम कहकर बुलाती थीं। यही कारण था कि गंगा भिसेन ने अपने नमकीन ब्रांड का नाम हल्दीराम रखा। आज परिवार में बिजनेस बंटने के बाद भी ब्रांड का नाम हल्दीराम ही है।

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भुजिया से चल पड़ा करोबार

गंगा भिसेन ने साल 1937 में जब नमकीन का खुद का कारोबार शुरू किया तो उन्होंने अपने हुनर का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपनी दुकान में भुजिया को भी बेचना शुरू किया। हल्दीराम को नमकीन में नए-नए प्रयोग करने की आदत थी। इसी वजह से उन्होंने भुजिया में मोठ का इस्तेमाल किया जिससे इसका कुरकुरापन बढ़ गया और यह लोगों को पसंद आने लगी थी। अपनी भुजिया को अलग दिखाने के लिए उन्होंने एक और प्रयोग किया। उन्होंने बहुत ही पतली भुजिया बनाई। ऐसी भुजिया बाजार में पहले से नहीं थी। पतली और कुरकुरी होने के कारण यह लोगों को पसंद आई और देखते ही देखते मार्केट में छा गई।

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आज परिवार के कई हिस्सों में बंटा है बिजनेस

हल्दीराम का परिवार आज काफी बड़ा है। हालांकि परिवार के सभी सदस्य हल्दीराम नमकीन से नहीं जुड़े हैं। हल्दीराम (गंगा भिसेन) के तीन बच्चे थे। इनमें मूलचंद अग्रवाल, सतीदास अग्रवाल और रामेश्वर लाल अग्रवाल शामिल हैं। इनमें मूलचंद अग्रवाल बीकानेर चले गए और रामेश्वर लाल अग्रवाल पश्चिम बंगाल में शिफ्ट हो गए। आज गंगा भिसेन की तीसरी और चौथी पीढ़ी इस बिजनेस को संभाल रही है।

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