Zomato को क्यों मिला 803 करोड़ का नोटिस? समझिए GST का पूरा गणित
Zomato: फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) को गुड्स एंड सर्विस (GST) डिपार्टमेंट से 803 करोड़ रुपए का टैक्स डिमांड नोटिस मिला है। वर्ष 2019 से 2022 तक की अवधि के लिए मिले इस नोटिस में जुर्माना और ब्याज भी शामिल है। जोमैटो ने इस नोटिस के खिलाफ अपील करने का फैसला लिया है। इस नोटिस से फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म और उनके द्वारा कलेक्ट की जाने वाली डिलीवरी फीस पर टैक्स का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। चलिए समझते हैं कि पूरा मामला है क्या?
मुनाफे से ज्यादा का नोटिस
जोमैटो को यह GST डिमांड नोटिस 29 अक्टूबर, 2019 से 31 मार्च, 2022 की अवधि के लिए बकाया टैक्स के लिए मिला है। टैक्स, जुर्माने और ब्याज की राशि को मिलाकर यह आंकड़ा 803 करोड़ रुपए पहुंच गया है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि GST विभाग द्वारा बतौर टैक्स मांगी गई राशि, Zomato के अप्रैल-जून 2023 की अवधि में प्रॉफिट में आने के बाद कमाए गए कुल मुनाफे से भी अधिक है।
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क्या कहता है कानून?
इस फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म ने वित्त वर्ष 2024 में 351 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उसे 429 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। GST कानून के अनुसार, फूड डिलीवरी एक ऐसी सेवा है जिस पर 18% की दर से टैक्स लगाया जा सकता है। सरकार मानती है कि चूंकि प्लेटफॉर्म सेवा शुल्क (Service Tax) एकत्र कर रहे हैं, इसलिए उन्हें टैक्स का भुगतान करना चाहिए। जीएसटी अधिकारी डिलीवरी को सर्विस मानते हैं, लिहाजा जोमैटो द्वारा वर्ष 2019 से 2022 तक एकत्र किया गया सेवा शुल्क टैक्स के अधीन हो जाता है।
क्या है कंपनियों का तर्क?
वहीं, डिलीवरी कंपनियों का अपना अलग तर्क है. उनके अनुसार, वे ग्राहकों से जो डिलीवरी चार्ज लेती हैं, उसका भुगतान डिलीवरी पार्टनर को कर देती हैं। कई मामलों में ग्राहकों से कोई डिलीवरी शुल्क नहीं लिया जाता या डिस्काउंटेड शुल्क लिया जाता है, लेकिन उस स्थिति में भी डिलीवरी पार्टनर को प्रति किलोमीटर शुल्क के आधार पर पेमेंट किया जाता है। कंपनियां यह अतिरिक्त बोझ खुद उठाती हैं।
स्पष्ट नहीं है कानून
1 जनवरी, 2022 से स्विगी, जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म उनके द्वारा दी जाने वाली रेस्टोरेंट सर्विसेज के बदले GST कलेक्ट करने और उस पर टैक्स का भुगतान करने के लिए के लिए उत्तरदायी हैं। हालांकि, डिलीवरी फीस टैक्सेशन को लेकर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। उद्योग संगठनों ने जीएसटी काउंसिल से अनुरोध किया है कि वह इस बारे में स्पष्टता प्रदान करे कि डिलीवरी फीस टैक्स के दायरे में आती है या नहीं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। बता दें कि पिछले साल दिसंबर में ज़ोमैटो को 326.8 करोड़ का नोटिस मिला था।