Bastar Olympics के नाम की इनसाइड स्टोरी, जानें 45 दिन में क्या बदलने की कोशिश?
Bastar Olympics 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल यानी रविवार को मन की बात में बस्तर ओलंपिक का जिक्र किया। ऐसे में कई लोगों के मन में पहला सवाल यही था कि आखिर यह बस्तर ओलंपिक क्या है? क्या यह वही बस्तर है, जिसकी गिनती नक्सल प्रभावी क्षेत्रों में होती थी? जी हां, पीएम मोदी छत्तीसगढ़ के उसी बस्तर की बात कर रहे थे, जहां कभी नक्सलियों को राज चलता था। मगर हाल ही में बस्तर अच्छी वजहों से चर्चा में आ गया। आइए जानते हैं आखिर पूरा माजरा क्या है?
बस्तर बदल रहा है
छत्तीसगढ़ का बस्तर रेड कॉरिडोर (नक्सल प्रभावित क्षेत्र) का हिस्सा है। बस्तर में कभी गोलियों की तड़तड़ाहट ही सुनाई देती थी। मगर अब बस्तर बदल रहा है। बस्तर में 1 नवंबर से 15 दिसंबर तक बड़े स्तर पर खेलों का आयोजन किया गया था। इसे बस्तर ओलंपिक का नाम दिया गया। हैरानी की बात तो यह है कि इन खेलों में न सिर्फ पूर्व नक्सलियों बल्कि नक्सल हमले का शिकार रह चुके लोगों ने भी हिस्सा लिया था।
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45 दिन तक चला खेल
बस्तर में नक्सलवाद की कमर तोड़ने के लिए सरकार ने अनूठा तरीका निकाला। 1 नवंबर से 15 दिसंबर तक लगभग 45 दिन बस्तर में अलग-अलग स्तर पर खेलों का आयोजन किया गया। वहीं बस्तर ओलंपिक में समापन दिवस में खुद गृह मंत्री अमित शाह ने शिरकत की थी। इस दौरान गृह मंत्री ने नक्सल हिंसा से पीड़ित मडकम मुन्ना समेत कई आदिवासियों का सम्मान किया था।
300 से ज्यादा पूर्व नक्सली भी शामिल
बता दें कि बस्तर ओलंपिक में 300 से ज्यादा खिलाड़ी ऐसे थे, जिन्होंने नक्सलवाद छोड़कर सरकार के सामने आत्म समर्पण कर दिया था। वहीं नक्सल हिंसा में विकलांग हुए 18 लोगों ने भी बस्तर ओलंपिक में हिस्सा लिया था। बस्तर ओलंपिक का उद्देश्य युवाओं को मुख्य धारा से जोड़ते हुए नक्सलवाद को कमजोर करना है।
कब-कब आयोजित हुए खेल
1 अक्टूबर 2024 को बस्तर ओलंपिक का पंजीकरण शुरू हुआ था। 1 नवंबर को खेल शुरू हुआ। 20 नवंबर को पंचायत और ब्लॉक स्तर पर खेलों का आयोजन किया गया। 21-25 नवंबर तक जिला स्तर पर खेल आयोजित हुए और 13 दिसंबर को संभाग स्तर पर ओलंपिक का आखिरी पड़ाव देखने को मिला। 15 दिसंबर को समापन के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने विजेताओं को सम्मानित किया था।
2026 में फिर होगा आयोजन
बस्तर ओलंपिक में खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बस्तर बदल रहा है। बस्तर ओलंपिक ऐतिहासिक है। यह नक्सलवाद की ताबूत में आखिरी कील साबित होगा। 2026 में मैं फिर बस्तर ओलंपिक में आऊंगा और फिर कहूंगा कि बस्तर बदल गया है।
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