Chhattisgarh: सदन में उठे सवालों का गृह मंत्री ने दिया जवाब, ट्रांसफर नीति और महिलाओं-बच्चों की गुमशुदगी पर कही ये बात
Chhattisgarh Monsoon Session: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही गृह मंत्री विजय शर्मा ने आज दो मुद्दों पर बयान दिया है। विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक अनिला भेड़िया ने बालोद में महिलाओं और बच्चों की गुमशुदगी का मामला उठाया। इस मामले को उठाते हुए कहा कि तस्करी के लिए कई ठेकेदार और दलाल भी एक्टिव हैं और अकेले बालोद जिले में ही महिलाओं की गुमशुदगी के 106 मामले अब भी जांच में हैं। इसी पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि गुम लोगों की खोजबीन के लिए ऑपरेशन मुस्कान चलाया जा रहा है।
गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि 106 महिलाएं जिले में अब भी लापता है। 2022 से 2024 तक की यह स्थिति है। खोजबीन जरूरी है। पुलिस इस पर काम कर रही है। 716 महिलाएं लापता थीं, बाकी महिलाओं को खोज लिया गया है। 164 बच्चों में से 152 बच्चे ढूंढ लिए गए हैं। बच्चों की गुमशुदगी के मामलों की सफलता दर 92% है, वहीं महिलाओं पर यह 84 फीसदी है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक, गुम लोगों की खोजबीन के लिए ऑपरेशन मुस्कान चलाया जा रहा है। गुमशुदा इंसान की खोजबीन के लिए एसओपी भी जारी की जाती है।
उठा एपीओ की बहाली का मुद्दा
विधायक रोहित साहू ने सहायक परियोजना अधिकारियों की सेवा समाप्ति बाद दोबारा बहाली का मुद्दा उठाया। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने जवाब देते हुए बताया कि हड़ताल के चलते 21 मनरेगा कर्मचारी को बर्खास्त किया गया था। कैबिनेट के फैसले से उन्हें फिर से बहाल किया गया। तत्कालीन पंचायत मंत्री ने इसी बात को लेकर सीएम को पत्र लिखा था. तब सीएस ने बहाली के नियम नहीं होने का हवाला दिया था। इस वजह से ही तत्कालीन पंचायत मंत्री ने इस्तीफा दिया था। रोहित साहू ने मांग की कि राष्ट्रहित में काम नहीं किया, इन्हें बर्खास्त किया जाए। विजय शर्मा ने बताया कि पुराने सीएम और पंचायत मंत्री के बीच का मामला है। इन्हे हटाना अनुचित होगा, इनकी नौकरी बरकार रहेगी।
ट्रांसफर नीति पर गृह मंत्री विजय शर्मा का बड़ा बयान
वहीं, विजय शर्मा ने नक्सल प्रभावित इलाकों में काम कर रहे पुलिस कर्मियों के लिए नीति बनाई जा रही है। जल्द ही नीति आने के बाद किसी भी कर्मचारी को नेता-मंत्रियों के दरवाजे पर चक्कर नही काटने पड़ेंगे। यह बात गृह मंत्री विजय शर्मा ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लंबे समय से नक्सल प्रभावित क्षेत्र में काम कर रहे पुलिस कर्मियों के ट्रांसफर को लेकर कही है। कांग्रेस विधायक सावित्री मंडावी ने कहा कुछ कर्मचारी 2 या 3 साल में नक्सल इलाकों से अपना ट्रांसफर करा लेते हैं, लेकिन कुछ 10 सालों से भी ज्यादा समय से वहीं नौकरी कर रहे हैं। उनके लिए भी अन्य जिलों में ट्रांसफर की नीति होनी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस कर्मियों की मैदानी इलाकों में पदस्थापना का क्या प्रावधान है? पदस्थापना के लिए विभाग के क्या दिशा-निर्देश है? कर्मचारियों के लिए दिशा-निर्देश कब तक जारी होंगे? उनकी आवास की क्या व्यवस्था है?
इस पर गृह मंत्री विजय शर्मा ने जवाब में कहा कि ऐसे पद जो उप निरीक्षक से निरीक्षक के पद पर प्रमोट होते है, उनकी कम से कम 3 सालों तक के लिए नक्सल क्षेत्रों में पदस्थापना की जाती है या जिन कर्मचारियों की उम्र 54 साल से कम है, उनकी भी पदस्थापना का प्रावधान है। नक्सल इलाकों में 3 साल की नौकरी के बाद पुलिस कर्मियों की अन्य जिलों में पदस्थापना का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस कर्मियों की पदस्थापना का विभाग से दिशा-निर्देश जारी है। पुलिस विभाग में पदस्थ कर्मचारियों के लिए 18,355 आवास उपलब्ध है। 898 आवास निर्माण किए जा रहे हैं। बाकी के आवास 2024-25 के मुख्य बजट में प्रावधानित है। पिछले 5 सालों में आवास को लेकर काम नहीं किया गया। इसलिए हमको ज्यादा काम करना पड़ेगा।
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