कूड़े-कचरे से भी कमा सकते हैं पैसा! जानें कैसे बदली इस शहर की 300 से ज्यादा महिलाओं की जिंदगी?
Garbage May Be Source of Income: कूड़ा-कचरा बेकार नहीं होता, इससे आप पैसा भी कमा सकते हैं, जैसे छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के जगदलपुर की 300 से ज्यादा महिलाएं कमा रही हैं। जी हां, कूड़ा-कचरा बीनने वाली इन महिलाओं की जिंदगी कूड़े-कचरे ने बदल दी है, क्योंकि जगदलपुर में एक ऐसी सर्विस शुरू हुई है, जिससे इस शहर की महिलाओं को पैसे की कमी का सामना नहीं करना पड़ता। अब वे प्रति महीन इतना पैसा कमा रही हैं कि वे बचत कर सकती हैं। अपनी, बच्चों और परिवार की जरूरतें पूरी कर सकती हैं। दोनों सेंटरों से 300 लोगों को जोड़ा गया है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं।
यह भी पढ़ें:चौंकाने वाला यौन शोषण केस! बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला, पीड़िता की गवाही ने पलट दिया मामला
इस स्कीम के जरिए मिला रहा रोजगार
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बस्तर जिला प्रशासन ने पिछले साल समृद्धि नाम से मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) और एक माह पहले सिरी नामक मैटेरियल रिसाइक्लिंग सेंटर स्थापित किया था, जो रोजगार सृजन का साधन बन गए हैं। जगदलपुर नगर निगम आयुक्त हरेश मंडावी कहते हैं कि पिछले 4 साल में SLRM केंद्रों ने 4 लाख रुपये कमाए, लेकिन MRF और MRC की स्थापना के बाद पिछले एक साल में नगर निगम का रेवेन्यू 24 लाख रुपये तक पहुंच गया है।
साल 2023 में 52 महिलाओं को रोजगार दिया गया और आज 332 महिलाएं कार्यरत हैं। MRF में कागज के कचरे को काटा जाता है और प्लास्टिक के कचरे को बंडल बनाकर प्लास्टिक का सामान बनाने वालों को दिया जाता है। MRC में 4 प्रकार के प्लास्टिक को रीसाइकिल करके कंपनियों-फैक्ट्रियों को कच्चे माल के रूप में बेच दिया जाता है। ग्रामीण बस्तर में पहले 30 गांवों में लगभग 170 महिलाएं सफाई मित्र के रूप में कार्यरत थीं, लेकिन रिसाइक्लिंग केंद्र बनने के बाद यह संख्या 436 पहुंच गई है।
यह भी पढ़ें:नवरात्रि से पहले सिलेंडर महंगा! आज एक अक्टूबर से 50 रुपये बढ़े LPG के दाम, जान लें नए रेट
स्कीम से एक नहीं कई बदलाव आए
रिपोर्ट के अनुसार, सेंटर से जुड़ी 21 वर्षीय चंबती बिसाई और हेमो बघेल आज सफाई मित्र बनकर आजीविका कमा रही हैं। वे बताती हैं कि पति की कमाई से घर मुश्किल से चलता था। बच्चों और परिवार का भरण-पोषण करने के लिए संघर्ष कर रही थीं। आज चंबती और हेमो सफाई मित्र बनकर 8000-8000 रुपये महीना कमा रही हैं।
वे कहती हैं कि आज वे बचत करने में सक्षम हैं। बेटे के लिए साइकिल खरीद सकती हैं। उनकी पढ़ाई का खर्चा उठा सकती हैं। 40 वर्षीय एन मनमती राव कहती हैं कि पहले वे NGO में काम करक 3500 रुपये महीना कमाती थीं। आज 8000 रुपये महीना कमाती हैं। घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करके कबाड़ विक्रेताओं को बेचने पर कम पैसा मिलता था, लेकिन कचरे को रीसाइकिल करने की नई सुविधा एक बड़ा बदलाव लेकर आई है।
यह भी पढ़ें:प्रदूषण से निपटने को दिल्ली तैयार; सरकार ने बनाई SOP, जानें क्या है विंटर एक्शन प्लान?
सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन (CEE) के सीनियर प्रोग्राम डायरेक्टर प्रभजोत सोढ़ी कहते हैं कि इस सेंटरों के खुलने से न केवल अधिक गारबेज कलेक्शन होता है, बल्कि रोजगार भी मिलता है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की सफाई संभव होती है। महिलाओं को नौकरी मिलती है तो उनका सशक्तिकरण होता है। खुले में फैले कचरे से छुटकारा मिलेगा तो पर्यावरण संरक्षण होगा।