वो 5 खूबियां, जिन्होंने Vishnu Dev Sai को पहुंचाया CM की कुर्सी तक, अजीत जोगी से जुड़ा एक संयोग
Chhattisgarh CM Vishu Dev Sai Political Career: भाजपा पिछले कुछ समय से एक्सपेरिमेंट की राजनीति कर रही है, जिसमें वह कुछ हद तक सफल रही है। ऐसा ही एक एक्सपेरिमेंट भाजपा ने छत्तीसगढ़ में किया है। 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव 2023 बहुमत से जीतने के बाद मुख्यमंत्री चेहरे की तलाश शुरू हो गई थी। शुरू से ही कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी इस बार रमन सिंह को मुख्यमंत्री बनाने के मूड में नहीं है। 7 दिन की जद्दोजहद, कई दिग्गजों की दावेदारी, आपसी गुटबाजी और आरोपों-प्रत्यारोपों को दरकिनार करते हुए पार्टी ने नए चेहरे पर दांव खेला और भाजपा संगठन का लंबा अनुभव रखने वाले Vishu Dev Sai को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। आखिर Vishu Dev Sai ही क्यों? वे कौन-सी खूबियां रहीं, जो भाजपा ने Vishu Dev Sai को मुख्यमंत्री बनाया, जानिए…
अजीत जोगी के बाद दूसरा आदिवासी चेहरा
विष्णु देव साय प्रदेश के आदिवासी समुदाय से दूसरे मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले आदिवासी समुदाय के अजीत जोगी प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वहीं वे प्रदेश के उस आदिवासी तबके से आते हैं, जिसकी आबादी राज्य में 32 फीसदी है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीने हैं और छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल है तो भाजपा ने वोट बैंक साधने के लिए आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया।
काफी लंबा राजनीतिक करियर और अनुभव
विष्णु देव साय के काफी लंबे राजनीतिक अनुभव और करियर ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलाई। वे 4 बार सांसद रहे। 2 बार विधायक, एक बार केंद्रीय मंत्री रहे और 2 बार छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। ऐसे में उनके पास नेतृत्व का अच्छा और गहन अनुभव है। केंद्र और राज्य के बीच संतुलन बिठाना उन्हें अच्छे से आता है। इसी खूबी को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई।
यह भी पढ़ें: 10वीं तक पढ़े-लिखे, गांव के पंच से CM तक…कौन हैं Vishnu Deo Sai, जो बने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
पसंद और कोई विरोध न होना खासियत
भाजपा ने विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाया, क्योंकि उनकी किसी नेता के साथ राजनीतिक विवाद नहीं है। किसी के साथ राजनीतिक दुश्मनी भी नहीं है। दूसरा वे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके रमन सिंह के करीबी हैं। बतौर मुख्यमंत्री उनकी पहली पसंद हैं। विधायक दल और पर्यवेक्षकों ने भी उनके नाम का समर्थन किया। केंद्रीय नेतृत्व में उनकी भूमिका से सभी पहले से ही वाकिफ हैं।
निर्विवाद चेहरा, नए नेतृत्व की तलाश अहम बात
भाजपा ने लोगों के जाने-पहचाने चेहरों को दरकिनार कर नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया, क्योंकि एक तो वे निर्विवाद नेता रहे है। दूसरा पार्टी मुख्यमंत्री बदलना चाहती थी और नए जमीन से जुड़े नेता को पॉवर देना चाहती थी, ताकि वह जनता के बीच पार्टी की छवि और मजबूत कर सके। ऐसा तभी संभव होगा, जब जनता के बीच रहने वाला नेता, उनके काम करने उनके बीच जाएगा।
यह भी पढ़ें: Amit Shah खेलते दिखे शतरंज, इंस्टाग्राम पर लिखा- हर बार बेहतर की तलाश करें…
राजनीतिक परिवार से कनेक्शन और बैकग्राउंड
विष्णु देव साय का राजनीति से कनेक्शन काफी पुराना है। वे खुद काफी लंबे समय से राजनीति में हैं। उनके परिवार का भी राजनीति से गहरा नाता रहा है। उनके दादा स्वर्गीय बुधनाथ साय 1947-1952 तक MLA रहे। ताऊ स्वर्गीय नरहरि प्रसाद साय 1962-1967 तक लैलूंगा सेMLA और 1972-1977 तक बगीचा से MLA रहे। नरहरि प्रसाद 1967 से 1979 तक सांसद के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री भी थे। दूसरे ताऊ स्वर्गीय केदारनाथ 1967-1972 तक तपकरा से MLA थे।