एक क्रिकेटर, जो हिन्दू था, लेकिन पाकिस्तान के लिए खेला; रिटायरमेंट के बाद देश छोड़ कर कनाडा में बसा
Pakistan Cricket Team First Hindu Player Anil Dalpat: पाकिस्तान क्रिकेट टीम पिछले दिनों किसी न किसी वजह से चर्चा में रही। एशिया कप 2023 में भारत ने बुरी तरह हराया। श्रीलंका ने भी सुपर-4 में शिकस्त देकर टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता दिखाया। टीम के ओपनर पर ड्रेसिंग रूम की बातें लीक करने के आरोप लगे। भारत ने पाकिस्तान जाकर खेलने से इनकार किया तो श्रीलंका के साथ मेजबानी शेयर करनी पड़ी और फजीहत भी झेलनी पड़ी।
चूंकि टीम में इस समय नए युवा खिलाड़ी हैं, जिन्हें ज्यादा अनुभव भी नहीं है, लेकिन अगर पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पुराने खिलाड़ियों की बात की जाए तो एक समय था, जब वसीम अकरम, शोएब मलिक, शाहीद अफरीदी, इंजमाम-उल-हक, दानिश कनेरिया, शोएब अख्तर आदि इंटरनेशनल लेवल पर अपने खेल के लिए काफी मशहूर थे। इन सभी में एक खिलाड़ी ऐसा भी था, जिसके बारे में शायद ही लोग जानते होंगे। इनका नाम है अनिल दलपत, जो पाकिस्तान क्रिकेट टीम में इकलौते हिन्दू खिलाड़ी थे। जानिए इनकी कहानी…
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विकेटकीपर, बैटसमैन और कोच रहे अनिल दलपत
अनिल दलपत सोनावरिया , पाकिस्तान क्रिकेट टीम में खेलने वाले हिन्दू खिलाड़ी टीम के ही खिलाड़ी रहे दानिश कनेरिया के चचेरे भाई हैं। इस लिहाज से दोनों भाई पाकिस्तान के लिए खेलने वाले हिन्दू खिलाड़ी थे। वहीं अनिल दलपत को वसीम बारी के रिटायर होने पर टीम में खेलने का मौका मिला था। वे विकेटकीपर थे और कनाडा में क्रिकेट कोच भी रह चुके हैं। वह निचले क्रम के बैटसमैन थी थे। 1980 के दशक में उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर पाकिस्तान को क्रिकेट की दुनिया में रिप्रेजेंट किया। सितंबर 1963 में इनका जन्म कराची में हुआ था।
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर का खेल देख पिता ने रखा नाम
अनिल दलपत का परिवार भारतीय विरासत से जुड़ा है। उनके पिता दलपत सोनावरिया गुजरात के सूरत से आकर कराची में बस गया था। अनिल के पिता भी क्रिकेटर थे, जिनका परिवार आज भी कराची में रहता है। दलपत क्लब के लिए खेलते थे। वे पाकिस्तानी हिन्दू क्लब के प्रमुख भी थे। कहा जाता है कि नवंबर 1959 में लाहौर में खेले गए टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर नॉर्म ओ नील ने धुंआधार 134 रन बनाए थे। दलपत ने उस खिलाड़ी के नाम पर अपने बेटे का नाम अनिल रखा। दलपत ने अनिल के पैदा होते ही उन्हें क्रिकेटर बनाने का सपना देखा था।
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1983-84 में 67 विकेट लेकर अनिल ने रिकॉर्ड बनाया
अनिल दलपत में 1976-77 में क्रिकेट डेब्यू किया। शुरुआत में अनिल अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए, लेकिन 1983-84 अनिल के लिए यादगार सीजन रहा। इस सीजन में उन्होंने शानदार विकेटकीपिंग करते हुए 67 शिकार किए। यह किसी पाकिस्तान खिलाड़ी का उस समय का रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन था, जिसने दलपत के करियर को नई उड़ान दी। 1984 में ऑस्ट्रेलिया के साथ सीरीज के बाद वसीम बारी ने रिटायरमेंट ले ली तो टीम को अनिल के रूप में नया विकेटकीपर मिला।उस समय अनिल के खेल से प्रभावित होकर बोर्ड उन्हें टीम में शामिल कर लिया।
पहले टेस्ट मैच में कादिर की गेंदों पर शानदार कीपिंग दिखाई
2 मार्च 1984 को इंगलैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया। जहीर अब्बास उस समय टीम के कैप्टन थे। मैच कराची के नेशनल स्टेडियम में खेला गया था। पहले ही टेस्ट मैच में लेग स्पिनर अब्दुल कादिर की गेंदों का मुकाबला करते हुए अनिल ने बेहतरीन खेल दिखाया। कादिर उस समय अपनी बाउंसर्स वाली गेंदबाजी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर थे। कहा जाता था कि कादिर की बॉलिंग के सामने कीपिंग करना आसान नहीं है, लेकिन दलपत भी पहला मैच खेल रहे थे, जिनके लिए अपना शानदार प्रदर्शन करना भी जरूरी था। इसे उन्होंने चैलेंज के तौर पर लिया, जिसमें वे सफल भी हुए।
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वेस्टइंडीज के खिलाफ अनिल ने खेला था आखिरी मुकाबला
अनिल दलपत ने आखिरी इंटरनेशनल मैच 17 अक्टूबर 1986 को पाकिस्तान के ही पेशावर में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। वहीं अपने क्रिकेट करियर में दलपत ने 9 टेस्ट मैच खेले। 15 वनडे मुकाबले भी खेले। टेस्ट मैचों में एक अर्धशतक बनाया। 15.18 की औसत से 167 रन बनाए। वनडे मैचों में सिर्फ 87 रन अनिल दलपत ने बताए। इंटरनेशनल लेवल पर टेस्ट मैच खेलते हुए दलपत ने कीपिंग करते हुए 25 विकेट लिए। इसमें 22 कैच और 3 स्टंपिंग शामिल हैं। एक दिवसीय मैचों ने अनिल दलपत ने 15 शिकार किए, जिसमें 13 कैच और 2 स्टंपिंग शामिल हैं।
क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने के बाद अनिल दलपत पाकिस्तान छोड़कर कनाडा चले गए। वहां पहले वे क्रिकेट कोच बने। बाद में बिजनेस की लाइन में चले गए।