दिल्ली विधानसभा में 12 रिजर्व सीट, मुकेश अहलावत को मंत्री बना 'आप' की इन 20% वोट पर है 'नजर'
AAP Dalit Minister Mukesh Kumar Ahlawat: आज आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद पर शपथ ले ली है। उनके साथ 4 पुराने गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज इमरान हुसैन और 1 नए चेहरे मुकेश कुमार अहलावत ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली है। बता दें मुकेश सुलतानपुर माजरा विधानसभा से विधायक हैं। वह सरकार का नया दलित चेहरा हैं, दिल्ली सरकार से राजकुमार आनंद के इस्तीफा देने के बाद कैबिनेट में कोई दलित नेता नहीं था, मुकेश इसी खाली जगह पर भरे गए हैं।
दलित और पिछड़े समुदाय के वोट बैंक को साधा
दिल्ली के मंत्री पद की शपथ लेने के बाद आप विधायक मुकेश अहलावत ने अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये सब अरविंद केजरीवाल और बाबा साहेब की वजह से है कि मेरे जैसे लोग मंत्री बने हैं। उन्होंने कहा कि हम जितना संभव हो सकेगा, उतना काम करेंगे। दलित और पिछड़े समुदायों के लोगों के लिए काम करना हमारी प्राथमिकता होगी। यहां एक बात तो साफ है केजरीवाल ने मुकेश को मंत्री बनाकर 2025 में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों में दलित और पिछड़े समुदाय के वोट बैंक को साधा है।
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12 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित
जानकारी के अनुसार दिल्ली में कुल 70 विधानसभा सीट हैं, इनमें से राजधानी की 12 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इन आरक्षित सीटों के अलावा दिल्ली के नांगलोई, बिजवासन, शाहदरा और नरेला, कल्याणपुरी, मंगोलपुरी, त्रिलोकपुरी और नंदनगरी समेत कुल 18 विधानसभ क्षेत्र भी दलित समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार इन सीटों पर जीत दर्ज करने वाली पार्टी ही दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने में सफल रहती है। ये आरक्षित सीटें ही भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।
दिल्ली में करीब 20% दलित मतदाता
चुनाव आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP ने कुल 12 आरक्षित सीटों में से 8 सीटें जीती, वहीं 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 12 सीटों पर जीत दर्ज की है। बता दें एक अनुमान के अनुसार दिल्ली में करीब 20% दलित मतदाता हैं। लोकसभा चुनाव 2024 पर नजर डालें तो दिल्ली की सातों संसदीय सीट में बीजेपी ने आरक्षित 12 विधानसभा क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया था। बताया जा रहा है कि इन 12 में से 8 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों से अधिक वोट मिले हैं। लेकिन यहां यह भी बताना जरूरी है कि विधानसभा चुनावों में बीजेपी 2013 के बाद से दलित बहुल विधानसभा सीटों को जीतने में लगातार विफल रही है।
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