AAP को बड़ा झटका, दिल्ली में 5 पार्षद बीजेपी में हुए शामिल

दिल्ली में कुल 250 निगम पार्षद हैं, इनमें से कुल 104 सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होती है। वहीं, निगम में 10 एल्डरमैन को उपराज्यपाल नॉमिनेट करते हैं।

featuredImage

Advertisement

Advertisement

Delhi AAP councillors: दिल्ली में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। यहां पार्टी के 5 निगम पार्षद राम चंद्र, पवन सहरावत, मंजू निर्मल, सुगंधा बिधूड़ी और ममता पवन ने रविवार को बीजेपी का दामन थाम लिया है। सभी ने बीजेपी नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी, योगेंद्र चंदोलिया और अन्य के साथ आज बीजेपी की सदस्यता ली। बता दें आप संस्थापक अरविंद केजरीवाल फिलहाल शराब नीति मामले में जेल के अंदर हैं।

इस बीच एक साथ आप के पांच पार्षदों का बीजेपी में शामिल होना आप के लिए बड़ा नुकसान है। वहीं, राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि इससे नगर निगम में बीजेपी पार्षदों की संख्या बढ़ेगी। जानकारी के अनुसार दिल्ली के अलग-अलग जिलों में कुल 250 निगम पार्षद हैं। बता दें कि राजधानी के इन 250 वार्डों में से कुल 104 सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होती है।

ये भी पढ़ें: साथ आएंगे अखिलेश-मायावती, सुलझ गए बुआ-भतीजे के रिश्ते? हो गया ऐलान

LG कर सकते हैं 10 एल्डरमैन नॉमिनेट

एमसीडी में 42 सीटें एससी उम्मीदवारों के लिए और 21 सीटें महिला एससी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होती हैं। इससे पहले 5 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम में 10 एल्डरमैन नॉमिनेट करने के दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के फैसले को बरकरार रखा था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि एल्डरमैन नामित करने के एलजी को कैबिनेट की सलाह की जरूरत नहीं है।

यह हैं दिल्ली नगर निगम के नियम

जानकारी के अनुसार एमसीडी में हर तीन साल में चुनाव होते हैं। वहीं, एमसीडी में हर फाइनेंशियल ईयर की पहली मीटिंग में मेयर का चुनाव किया जाता है। नियम के अनुसार नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होने पर बहुमत वाली पार्टी अपने उम्मीदवार को मेयर के रूप में नॉमिनेट करेगी। अगर विपक्षी पार्टी विजयी उम्मीदवार के विरोध में अपने उम्मीदवार को नामांकित करती है तो इस सूरत में चुनाव होता है।

ये भी पढ़ें: 58 साल में हरियाणा से सिर्फ ये 6 महिलाएं पहुंचीं संसद, इस नेता के नाम दर्ज है अनोखा रिकॉर्ड

ये भी पढ़ें: बैंक अकाउंट से कट जाएंगे पैसे पर नहीं आएगा SMS; ट्राई का कड़ा रुख कहीं पड़ न जाए भारी

Open in App
Tags :