दिल्ली में पहली और आखिरी बार कब लगा राष्ट्रपति शासन? अरविंद केजरीवाल से क्या है कनेक्शन?
President Rule In Delhi: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को शराब नीति मामले में ईडी ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में केंद्रशासित प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग तेज हो गई है। आइए, जानते हैं कि दिल्ली में पहली और आखिरी बार राष्ट्रपति शासन कब लगा था....
दिल्ली में 10 साल पहले लगा था राष्ट्रपति शासन
दरअसल, दिल्ली में पहली और आखिरी बार राष्ट्रपति शासन फरवरी 2014 में लगाया गया था। इसकी वजह भी अरविंद केजरीवाल ही थे। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उपराज्यपाल नजीब जंग थे। केजरीवाल ने विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पेश न करने देने को लेकर उपराज्यपाल पर केंद्र सरकार के वायसराय की तरफ काम करने का आरोप लगाया था। राष्ट्रपति शासन 14 फरवरी 2014 से लेकर 11 फरवरी 2015 तक यानी 362 दिन तक राष्ट्रपति शासन लगा था।
दिल्ली में कैसे लगेगा राष्ट्रपति शासन?
दिल्ली में राष्ट्रपति शासन संविधान के अनुच्छेद 239 AB के आधार पर लगाया जाता है। यहां अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता, क्योंकि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है। राष्ट्रपति शासन तब लागू होगा, जब उपराज्यपाल ऐसी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजे कि केंद्र शासित प्रदेश में अनुच्छेद 239 ए के प्रावधानों के तहत बनाए गए कानून के अनुसार सरकार नहीं चलाई जा सकती।
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राष्ट्रपति शासन कब लागू होता है?
राष्ट्रपति शासन का मतलब राज्य सरकार को निलंबित करना या राज्य में सीधे केंद्र सरकार का शासन लागू करना है। केंद्रशासित प्रदेशों को छोड़ दे तो राज्यों में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू होता है। राष्ट्रपति शासन केवल 6 महीने के लिए लागू होता है, लेकिन इसे बाद में बढ़ाया भी जा सका है। इसका उदाहरण जम्मू और कश्मीर है, जहां 31 अक्टूबर 2019 से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।
दिल्ली विधानसभा का गठन कब हुआ?
दिल्ली विधानसभा का पहली बार गठन 17 मार्च 1952 को पार्ट-सी राज्य सरकार अधिनियम 1951 के तहत किया था। हालांकि, बाद में 1 अक्टूबर 1956 को इसका उन्मूलन कर दिया गया। सितंबर 1966 में विधानसभा की जगह 56 निर्वाचित और 5 मनोनीत सदस्यों वाली मेट्रोपोलिटन काउंसिल बनाई गई। हालांकि, इसके पास कानून बनाने की कोई शक्ति नहीं थी। इसके बाद 1991 में 69वें संविधान संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम 1991 से दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की पहचान मिली, जिसके बाद यहां विधानसभा और मंत्री परिषद से संबंधित प्रावधान किए गए।
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