केजरीवाल के लिए जेल से सरकार चलाना आसान नहीं, आएंगी ये बड़ी दिक्कतें
Arvind Kejriwal Delhi Government: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक्साइज पॉलिसी केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 12 मार्च की रात गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल फिलहाल ईडी की हिरासत में हैं, जहां से वे 2 आदेश जारी कर चुके हैं। इन आदेशों की शिकायत बीजेपी ने उपराज्यपाल से भी की है। बीजेपी का कहना है कि सरकारी लेटर पैड का दुरुपयोग किया जा रहा है। वहीं, ईडी का कहना है कि उसने केजरीवाल से कोई हस्ताक्षर नहीं करवाए हैं। वह इस मामले की जांच करेगी कि जेल से कैसे ऑर्डर जारी किए जा रहे हैं। बहरहाल, केजरीवाल के लिए ईडी की हिरासत से सरकार चलाना आसान नहीं है। आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं....
दिल्ली में लग सकता है राष्ट्रपति शासन
केजरीवाल को जब से ईडी ने हिरासत में लिया है, तब दिल्ली सरकार के मंत्री कहते आ रहे हैं कि वे सीएम पद से इस्तीफा नहीं देंगे। वे जेल से ही सरकार चलाएंगे। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि मुख्यमंत्री के कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जिन्हें हिरासत में रहते हुए पूरा नहीं किया जा सकता। ऐसे में केजरीवाल के इस्तीफा न देने से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। लोक प्रतिनिधित्य अधिनियम, 1951 के मुताबिक, कुछ अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए विधायक 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते। संविधान का अनुच्छेद 239 एबी के तहत उपराज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने की अनुमति दे सकते हैं।
'केजरीवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए'
बार एंड बेंच के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अजय रस्तोगी का मानना है कि केजरीवाल के हिरासत से सरकार चलाने में कोई बाधा नजर नहीं आती, लेकिन जब आप हिरासत में हों तो जन प्रतिनिधि बने रहना मुश्किल है। मुझे लगता है कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए जन प्रतिनिधि के लिए जरूरी होता है कि वे अपनी छवि साफ-सुथरी रखें। केजरीवाल जेल में कैबिनेट मीटिंग नहीं बुला सकते। रही बात उनके आदेश जारी करने की, तो बिना जेल अधीक्षक के कोई डॉक्यूमेंट्स बाहर नहीं आ सकता।
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फाइलों पर कैसे हस्ताक्षर कर पाएंगे केजरीवाल?
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी का कहना है कि एक मुख्यमंत्री से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने मंत्रियों से मिले और उनकी फाइलों पर हस्ताक्षर करे। केजरीवाल ऐसा कैसे कर पाएंगे? जेल में आप हफ्ते में दो दिन ही किसी से मिल सकते हैं। यही कानूनी बाधा है।
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'सीएम के लिए जेल से सरकार चलाना गैर-कानूनी'
रोहतगी ने कहा कि केजरीवाल को किसी और को सीएम नियुक्त करना होगा। किसी मुख्यमंत्री के लिए जेल से सरकार चलाना न तो कानूनी, न व्यावहारिक और न ही संवैधानिक रूप से संभव है। वहीं, यदि सरकार नेतृत्वहीन है, तो राष्ट्रपति शासन लग सकता है। हेमंत सोरेन ने जेल जाने से पहले चंपई सोरेन को सीएम नियुक्त भी कर दिया था। केजरीवाल को भी ऐसा ही करना चाहिए।
'सरकार चलाने का इरादा किसी का नहीं है'
वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा का कहना है कि जेल से सरकार चलाना अव्यावहारिक है। आपकी गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया जाता है। मुख्यमंत्री को हटाने के लिए जनहित याचिका भी कोर्ट में दाखिल है। मेरा मानना है कि ये सब राजनीति है। सरकार चलाने का इरादा किसी का नहीं है। इससे पहले, जयललिता एकमात्र मुख्यमंत्री थीं, जिन्हें सत्ता में रहते हुए गिरफ्तार किया गया था।
'केजरीवाल मामले पर कोर्ट की भूमिका अहम'
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि संवैधानिक रूप से देखा जाए तो केजरीवाल तब तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे, जब तक कि वह इस्तीफा नहीं दे देते। अभी उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है, केवल जांच हुई है। इससे कुछ भी तय नहीं होता। दोषी पाए जाने पर ही जन प्रतिनिधि अपनी सदस्यता खोता है। आचार्य ने कहा कि व्यावहारिक रूप से जेल से कैबिनेट बैठकों में भाग लेने, अधिकारियों से मिलने और फाइलों को निपटाने जैसी कठिनाइयां हो सकती हैं। अदालतों पर यह निर्भर करता है कि वे केजरीवाल को हिरासत से काम करने देती हैं या नहीं। वहीं, यदि राष्ट्रपति को लगता है कि प्रशासन अपने हाथ में लेने की आवश्यकता है तो वे प्रशासन को अपने हाथ में ले सकते हैं, लेकिन इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
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