दिल्ली में कितनी सीटों पर निर्णायक हैं जाट? केजरीवाल के OBC कार्ड खेलने के पीछे की रणनीति
Delhi Assembly Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सभी पार्टियां रणनीति बनाकर वोटरों से संपर्क साध रही हैं। दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को वोटिंग होनी है, 8 फरवरी को नतीजे आएंगे। मतदाताओं को रिझाने के लिए राजनीतिक पार्टियां कोई मौका नहीं छोड़ रहीं। अब जाट समुदाय को अपनी ओर रिझाने के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) ने बड़ा दांव खेला है। दिल्ली के जाट वोटों को बड़ा हिस्सा पहले बीजेपी को मिलता रहा है। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में इस समुदाय के वोटर बिखरे दिखे।
ग्रामीण सीटों पर जाट ज्यादा
जाट समाज को सामाजिक और राजनीतिक तौर पर मजबूत माना जाता है। हरियाणा की सीमा से सटी कई विधानसभा सीटों पर जाटों की अच्छी तादाद है। अब अरविंद केजरीवाल ने जाट समाज को ओबीसी सूची में शामिल करने की मांग कर बीजेपी के खिलाफ बड़ा दांव खेला है। दिल्ली चुनाव में जाटों की भूमिका कितनी अहम है, इस पर चर्चा करते हैं? दिल्ली में जाट वोटरों की संख्या लगभग 10 फीसदी है। दिल्ली की अधिकतर ग्रामीण सीटों पर जाटों की तादाद ज्यादा है।
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दिल्ली में लगभग 8-10 सीटें ऐसी हैं, जहां जाट वोटर निर्णायक हैं। महरौली, मुंडका, रिठाला, नांगलोई, मटियाला, नजफगढ़ और बिजवासन सीटों पर जाटों की तादाद ज्यादा है। इन सीटों पर हार-जीत जाटों का रुख तय करता है। जाट बहुल लगभग 5 सीटों पर फिलहाल आप का कब्जा है। वहीं, 3-4 सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं। बीजेपी भी जाटों को साधने के लिए लगातार प्रयास करती रही है। दिल्ली के चुनाव में धार्मिक के साथ ही जातीय समीकरण भी अहम हैं।
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दिल्ली में लगभग 81 फीसदी वोटर हिंदू हैं। हिंदू वोटर्स में जाट समाज का प्रभाव अधिक माना जाता है। जाट समाज को संगठित माना जाता है। जानकार मानते हैं कि इस समुदाय को अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास है, जो संगठित होकर वोट देता है। जाट वोट बैंक दिल्ली की सियासी फिजा को बदलने की ताकत रखता है। नई दिल्ली सीट पर बीजेपी ने दिवंगत साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा पर दांव खेला है। बीजेपी उनके सहारे जाट वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है।
केजरीवाल ने बीजेपी पर लगाए थे आरोप
केजरीवाल ने बीजेपी पर जाट वोटर्स की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था। केजरीवाल ने कहा था कि बीजेपी ने जाट समाज के साथ धोखा किया। दिल्ली की ओबीसी लिस्ट में जाट शामिल हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने उनको दिल्ली की ओबीसी लिस्ट में शामिल नहीं कर रखा। इस वजह से केंद्र की योजना का लाभ लेते समय जाटों को आरक्षण नहीं मिलता। पीएम मोदी ने भी भरोसा दिया था कि जाटों को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं किया।