दिल्ली की इन सीटों पर जीत का सूखा खत्म करना चाहेगी BJP, जानें क्या कहते हैं आंकड़े
Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक पार्टियों में सरगर्मियां तेज हो गई हैं। आप तो सभी 70 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। जबकि कांग्रेस भी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर चुकी है। वहीं अब सभी को इंतजार है बीजेपी की पहली लिस्ट का। सूत्रों की मानें तो पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले पहली लिस्ट जारी कर सकती है। बीजेपी 26 साल से दिल्ली की सत्ता से दूर है, लेकिन पार्टी इस बार आम आदमी पार्टी के खिलाफ बने माहौल का फायदा उठाकर सत्ता में वापसी करना चाहेगी। हालांकि दिल्ली की 9 सीटें ऐसी हैं जहां पार्टी अब तक कभी भी खाता नहीं खोल पाई है।
आइये जानते हैं वे कौनसी 11 सीटें हैं जिस पर बीजेपी अब तक खाता नहीं खोल पाई है।
1.कोंडली- पूर्वी दिल्ली की यह सीट एससी रिजर्व है। 2008 में यहां पहली बार चुनाव हुए तब से कांग्रेस और आप पार्टी का यहां कब्जा रहा है। अब तक के सभी चुनाव में बीजेपी यहां दूसरे नंबर पर रही है। लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी ने बढ़त भी बनाई थी।
2.अंबेडकर नगर- यह सीट भी एससी रिजर्व है। अंबेडकर नगर विधानसभा सीट 1993 में अस्तित्व में आई। कांग्रेस 2013 तक इस सीट पर जीत दर्ज करती रही है। इसके बाद आप पार्टी का यहां कब्जा हो गया है।
3.देवली- दक्षिणी दिल्ली की इस सीट पर बीजेपी अब तक खाता नहीं खोल पाई है। 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट पर एक बार कांग्रेस और उसके बाद आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा है। 2008 में यहां से कांग्र्रेस के अरविंदर सिंह लवली ने जीत दर्ज की थी। जोकि अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। 2013 से यहां पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा कर लिया।
4.सीलमपुर- नाॅर्थ ईस्ट दिल्ली की इस सीट पहली बार 1993 में चुनाव कराए गए थे। तब से यहां बीजेपी जीत दर्ज नहीं कर पाई है। सीलमपुर में एक बार जनता दल, 3 बार कांग्रेस और 2 बार आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की है। यहां पर भी बीजेपी हर बार दूसरे नंबर पर रही है।
5.ओखला- मुस्लिम बहुल सीट पर बीजेपी अब तक जीत दर्ज नहीं कर पाई है। 1993 में अस्तित्व में आई इस सीट पर पहले कांग्रेस और अब आम आदमी पार्टी लगातार जीत दर्ज करती आई है।
6.विकासपुरी- पश्चिमी दिल्ली की विकासपुरी सीट पर बीजेपी अभी तक खाता नहीं खोल पाई है। 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट पर पहली बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 2013 के बाद से इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा कर लिया है।
7.मटिया महल- मध्य दिल्ली की मटिया महल सीट पर भी अब तक कमल नहीं खिला है। मटिया महल मुस्लिम बहुल सीट है। 1993 में अस्तित्व में आई इस सीट पर जनता दल सेक्युलर, आम आदमी पार्टी, जेडीयू और कांग्रेस पार्टी जीतती रही है। हालांकि 2013 के बाद से यहां पर भी आप ने कब्जा जमा लिया है।
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8.जंगपुरा- दक्षिण पूर्व दिल्ली की इस सीट पर इस बार आप ने पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को उतारा है। इससे पहले सिसोदिया पटपड़गंज से चुनाव लड़ते रहे हैं। इस सीट पर पंजाबी, दलित और मुस्लिम वोट की अच्छी खासी तादाद है, जोकि हार-जीत तय करते हैं। 1993 से 2008 तक यहां कांग्रेस और उसके बाद आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा है।
9.बल्लीमारन- शायर मिर्जा गालिब से जुड़ी बल्लीमारन सीट बीजेपी के लिए हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रही है। इस सीट पर बीजेपी अब तक जीत दर्ज नहीं कर पाई है। यह सीट भी मुस्लिम बहुल है।
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