दिल्ली-NCR की हवा में कितना जहर? हर परिवार का एक सदस्य बीमार; सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे
Delhi Pollution: दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में इस समय प्रदूषण के कारण हालात खराब हैं। लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आलम ये है कि 75 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जहां कम से कम एक सदस्य को सांस, खांसी या सिरदर्द जैसी बीमारियां को सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में एक सर्वे की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। यह सर्वे ऑनलाइन सामुदायिक मंच 'लोकल सर्किल्स' की ओर से करवाया गया था। सर्वे में शामिल किए गए 58 फीसदी परिवारों के अनुसार उनके घर के किसी न किसी मेंबर को सिरदर्द की शिकायत है। वहीं, 50 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जिनके किसी न किसी मेंबर को सांस संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सर्वे में 37 फीसदी महिलाएं
इस सर्वेक्षण में गुरुग्राम, दिल्ली, फरीदाबाद, नोएडा और गाजियाबाद के 21000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया था। सर्वे में 37 फीसदी महिलाओं और 63 फीसदी पुरुषों ने भाग लिया। यह सर्वे प्रदूषण बढ़ने के साथ ही शुरू किया गया था, जब दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। राजधानी के कुछ हिस्सों में पीएम 2.5 के 1500 तक पहुंचने के बाद ही सर्वे शुरू किया गया था। सर्वे में पता लगाया गया कि जहरीली हवा और बढ़ रहे वायु प्रदूषण से लोग कैसे निपट रहे हैं?
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सर्वे में लोगों से सवाल किया गया कि आपके इलाके में एक्यूआई 400 पार जा चुका है। आपने इससे निपटने के लिए क्या इंतजाम किए हैं? 27 फीसदी लोगों ने उत्तर दिया कि हवा को साफ करने और प्रदूषण को कम करने के लिए वे लोग एयर प्यूरीफायर का यूज कर रहे हैं। 23 फीसदी लोगों ने खुद को हालात पर छोड़ रखा था। इन लोगों ने कहा कि प्रदूषण से बचने के लिए उन्होंने कोई इंतजाम नहीं किए। अन्य लोगों का कहना था कि उन लोगों ने इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए खास फलों, सब्जियों और पेय पदार्थों का सेवन शुरू किया है।
एयर प्यूरीफायर का बढ़ा उपयोग
सर्वे में 69 फीसदी लोग ऐसे मिले, जिनके घर का कोई न कोई सदस्य प्रदूषण के कारण किसी बीमारी से पीड़ित था। यह एक नवंबर का आंकड़ा था। जो 19 नवंबर को सर्वे के दौरान 75 फीसदी तक पहुंच गया। एयर प्यूरीफायर की बात करें तो दिल्ली एनसीआर में 19 अक्टूबर तक 18 फीसदी लोग इसका प्रयोग कर रहे थे। एक महीने बाद 19 नवंबर को आंकड़ा बढ़कर 27 फीसदी तक पहुंच गया।
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