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1 जुलाई के बाद अप्राकृतिक संबंध बनाना अपराध है या नहीं? दिल्ली HC ने केंद्र से पूछा जरूरी सवाल

Is Unnatural Sex an offence under BNS: भारतीय न्याय संहिता में धारा 377 की तरह कोई प्रावधान नहीं है। इसी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। कोर्ट मामले पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को करेगा।
07:12 AM Aug 14, 2024 IST | Nandlal Sharma
दिल्ली हाईकोर्ट मामले पर सुनवाई कर रहा है।
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Is Unnatural Sex an offence under BNS: दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता को लेकर केंद्र सरकार से एक जरूरी सवाल पूछा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि भारतीय न्याय संहिता में अप्राकृतिक संबंध (सोडोमी/एनल सेक्स) या गैर सहमति के बनाया जाने वाला अप्राकृतिक संबंध अपराध है या नहीं। भारतीय न्याय संहिता 1 जुलाई 2024 से पूरे देश में प्रभावी है।

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कोर्ट ने पूछा- कहां हैं प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता में अप्राकृतिक संबंधों से पीड़ित लोगों के लिए कानूनी प्रावधानों की गैर मौजूदगी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता में यह प्रावधान कहां है। कोई प्रावधान ही नहीं है। ऐसा कुछ तो होना ही चाहिए। सवाल यह है कि अगर भारतीय न्याय संहिता में अपराध का जिक्र नहीं है। अगर उसे मिटा दिया गया है, तो क्या वह अपराध है भी?

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विधायिका को फैसला लेना होगा

हाईकोर्ट ने कहा कि निश्चित तौर पर हम सजा कितनी हो, इस बारे में कोई स्पष्ट फैसला नहीं ले सकते, लेकिन गैर सहमति वाले अप्राकृतिक यौन संबंध के बारे में विधायिका को फैसला लेना होगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील को इस मामले पर विचार करने के लिए समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 28 अगस्त तय की है।

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धारा 377 की तरह कोई प्रावधान नहीं

इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट वकील गंतव्य गुलाटी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में भारतीय न्याय संहिता के प्रभावी होने के बाद अत्यंत जरूरी कानूनी कमी के बारे में समाधान की मांग की गई है। दरअसल भारतीय न्याय संहिता में आईपीसी की धारा 377 की तरह कोई प्रावधान नहीं है।

आईपीसी की धारा 377 में दो व्ययस्कों के बीच गैर-सहमति वाले अप्राकृतिक संबंधों, नाबालिगों के साथ यौन गतिविधियां और पशुओं के साथ अप्राकृतिक सेक्स के लिए कानूनी प्रावधान दर्ज थे, जोकि भारतीय न्याय संहिता में मौजूद नहीं हैं।

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Tags :
bhartiya nyay sanhitaDelhi High Court
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