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UPSC Success Story: छोटी उम्र में गुजरी मां, पिता ने रिक्शा चलाकर किया गुजारा, सिविल सेवा में 48वीं रैंक लाकर IAS बना बेटा

IAS Govind Jaiswal Success Story: गरीबी में बचपन गुजारने के बाद तमाम मुश्किलों से लड़कर मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं होता है। मगर इसके बावजूद गोविंद जयसवाल ने हार नहीं मानीं और डटे रहे। 2006 में उन्होंने UPSC की परीक्षा दी और बिना कोचिंग के एक रिक्शा चालक का बेटा IAS बन गया।
07:00 AM Apr 17, 2024 IST | Sakshi Pandey
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IAS Govind Jaiswal Success Story: हर साल लाखों बच्चे सिविल सेवा की परीक्षा देते हैं, लेकिन उनमें सफलता कुछ चुनिंदा लोगों को ही मिलती है। इनमें से ज्यादातर लोग वो होते हैं जो अपने सपने को साकार करने के लिए हर मुमकिन कीमत चुकाते हैं। ऐसी ही एक कहानी है IAS गोविंद जयसवाल की। उन्होंने छोटी सी उम्र में अपनी मां को खो दिया, पिता ने रिक्शा चलाकर घर का गुजारा किया और पैसा ना होने पर गोविंद ने एक टाइम का टिफिन भी बंद कर दिया। भूखे-प्यासे तमाम मुश्किलों से लड़ने के बाद 2007 में जब UPSC का रिजल्ट आया तो हर कोई हैरान रह गया। आइए जानते हैं क्या है IAS गोविंद जयसवाल की सक्सेस स्टोरी?

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सिर से हटा मां का साया

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रहने वाले गोविंद की मां 1995 में ही चल बसी थीं। उस दौरान गोविंद 7वीं कक्षा में पढ़ते थे। वैसे को गोविंद के पिता रिक्शा कंपनी के मालिक थे और उनके पास कुल 35 रिक्शे थे। मगर गोविंद की मां को ब्रेन हेमरेज हो गया और उनके इलाज के लिए पिता ने 20 रिक्शे बेच दिए। मां के जाने के बाद गोविंद के परिवार में सिर्फ पिता और तीन बहनें थीं।

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बेटियों की शादी में बेचे रिक्शे

पत्नी की मौत के बाद भी गोविंद के पिता ने चारों बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी और चारों को ग्रेजुएशन करवाया। इसके बाद उन्होंने तीनों बोटियों की शादी कर दी। वहीं बेटियों की शादी में उन्हें 14 रिक्शे भी बेचने पड़े। अब उनके पास केवल एक रिक्शा बचा था, जिसे उन्होंने खुद चलाने का फैसला किया।

दिल्ली पहुंचे गोविंद

गोविंद ने वाराणसी के हरिश्चन्द्र विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया और परिवार की गरीबी मिटाने के लिए देश की सबसे मुश्किल परीक्षा देने का फैसला किया। UPSC की पढ़ाई करने के लिए गोविंद ने दिल्ली का रुख किया। हालांकि पिता के पास ज्यादा पैसे नहीं थे, लिहाजा उन्होंने कोचिंग में एडमिशन लेने की बजाए खुद तैयारी करने की ठानी और पिता की परेशानी कम करने के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया।

बंद करवाया टिफिन

गोविंद को पैसे भेजने के लिए उनके पिता दिन-रात रिक्शा चलाते थे, जिससे उनके पैरों में गहरे घाव हो गए थे। मगर इसके बावजूद उन्होंने रिक्शा चलाना बंद नहीं किया। वहीं पिता के पैसे बचाने के लिए गोविंद ने एक टाइम का टिफिन और चाय पीना बंद कर दिया।

रंग लाई मेहनत

2006 में गोविंद पहली बार सिविल सेवा परीक्षा में बैठे और पहले ही प्रयास में गोविंद ने वो कारनामा कर दिखाया, जो सभी को नामुमकिन सा लगता था। 2007 में रिजल्ट आया तो सभी की आंखें फटी की फटी रह गई। इस परीक्षा में गोविंद ने 48वीं रैंक हासिल की थी।

गोविंद जयसवाल पर बनी फिल्म

गोविंद की जिंदगी पर एक फिल्म भी बनी है, जिसका नाम 'दिल्ली अब दूर नहीं' था। ये फिल्म 12 मई 2023 को बड़े पर्दे पर रिलीज हुई थी और इसे दर्शकों ने भी काफी पसंद किया था। गोविंद ने आईपीएस चंदना चौधरी से शादी कर ली और अब उनका एक बेटा भी है।

 

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