Madgaon Express Review: हंसी से लोटपोट कर देगी 'मडगांव एक्सप्रेस', देखने से पहले पढ़ लें रिव्यू
Madgaon Express Review: (Navin Singh Bhardwaj) कुणाल खेमू के डायरेक्शन में बनी कॉमेडी फिल्म ‘मडगांव एक्सप्रेस’ आज 22 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। 2 घंटे 23 मिनट वाली फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर जितना बज था, उतनी पॉपुलैरिटी सिनेमाघरों में भी देखने को मिली है। दिव्येंदु शर्मा, प्रतीक गांधी, अविनाश तिवारी और नोरा फतेही की फिल्म ‘मडगांव एक्सप्रेस’ ओपनिंग डे पर दर्शकों को हंसी की डोज देने में काफी हद तक कामयाब साबित हुई है। अगर आप भी मडगांव एक्सप्रेस को देखने का मन बना रहे हैं, तो देखने से पहले एक नजर डालें News 24 के रिव्यू पर।
क्या है फिल्म की कहानी?
'मडगांव एक्सप्रेस' आपको तीन दोस्तों की जिंदगी में ले जाएगी जिनके नाम हैं डोडो (दिव्येंदु) पिंकू (प्रतीक गांधी) और आयुष (अविनाश तिवारी)। बचपन से तीनों का सपना है कि वो साथ में गोवा जाएं। किसी न किसी वजह से उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाता है। उम्र बढ़ती है तो पिंकू और आयुष नौकरी करने के लिए विदेश चले जाते हैं और रह जाता है अकेला सिर्फ डोडो। उसका काम घर बैठकर सिर्फ सेलिब्रिटी के साथ फोटो एडिट करना है। फेमस और रईस दिखने के लिए इन फोटो को डोडो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट भी करता है।
उसके झूठ में फंस जाते हैं उसके दोस्त पिंकू और आयुष और लौट आते इंडिया। तीनों प्लान करते हैं गोवा ट्रिप और मडगांव एक्सप्रेस में बैठकर निकल पड़ते हैं। तीनों गोवा तो पहुंच जाते हैं लेकिन यहां वह ड्रग्स के पचड़े में फंस जाते हैं। इस दौरान तीनों की मुलाकात होती है ताशा यानी नोरा फतेही से। इस पचड़े से तीनों कैसे बाहर निकलते हैं? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
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फिल्म की स्टारकास्ट और एक्टिंग
'मडगांव एक्सप्रेस' में दिव्येंदु शर्मा, प्रतीक गांधी और अविनाश तिवारी दर्शकों को हंसाने में काफी हद तक सफल हुई है। बात करें दिव्येंदु शर्मा की तो उन्हें कॉमेडी करते हुए देखकर आपको बीच-बीच में मिर्जापुर के मुन्ना भैया की याद आ जाएगी। सीरियस से कॉमेडी वाले किरदार में उन्हें देखना और उसे अपने दिल में उतारना, ऐसा करने में आपको थोड़ा समय लग सकता है। फिल्म में कई सीन्स ऐसे हैं, जो आपके चेहरे पर हंसी लाने में कामयाब रही है। प्रतीक गांधी और अविनाश तिवारी को कमाल की कॉमेडी करते देखना एक अलग ही ट्रीट माना गया है। नोरा फतेही और रेमो डीसूज़ा का अपीयरेंस भी अच्छा रहा है।
डायरेक्शन और म्यूजिक
बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मों में डेब्यू करने वाले कुणाल खेमू ने एक्टिंग के बाद डायरेक्शन में हाथ आजमाया है। 'मडगांव एक्सप्रेस' उनकी पहली डायरेक्टोरियल फिल्म है। पहली फिल्म के प्वाइंट ऑफ व्यू से देखा जाए तो कुणाल ने काफी हद तक दिखाया है कि वह सिर्फ एक्टिंग ही नहीं बल्कि डायरेक्शन में भी माहिर हैं। 142 मिनट की इस फ़िल्म को देखते हुए आप हस्ते हस्ते लोट-पोट हो जाएंगे। वहीं म्यूजिक की बात करें तो सीक्वेंस के हिसाब से फिल्म के गाने आपको अच्छे लग सकते हैं लेकिन फिल्म खत्म होने के बाद गानों को याद रखना मुश्किल होगा।
फिल्म देखें या नहीं
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि 'मडगांव एक्सप्रेस' आपको हंसी का डोज देने में कामयाब साबित हुई है। अगर आप भी हंसी से लोट-पोट होना चाहते हैं तो सिनेमाघरों में जाकर फिल्म का लुत्फ उठा सकते हैं। इसके अलावा कुणाल के बेहतरीन राइटिंग और डायरेक्शन के साथ इन सितारों का कॉम्बिनेशन आपको थियेटर के बाहर भी गुदगुदाता रहेगा।