Yodha बनने के लिए होने चाहिए Sidharth के किरदार के 5 गुण, Yodha का स्टाइल नहीं नेगोशिएट करना
Yodha: सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म 'योद्धा' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म की कहानी उसके नाम के हिसाब से एकदम परफेक्ट है, लेकिन किसी के लिए भी 'योद्धा' बनना आसान नहीं है। इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और कई परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है। अगर आप भी 'योद्धा' बनना चाहते हैं, तो इसके लिए सिद्धार्थ मल्होत्रा के किरदार के इन पांच गुणों का होना तो जरूरी है। आइए जानते हैं कि वो कौन से गुण हैं...
'योद्धा' के लिए होने चाहिए ये गुण
1. लॉयल
इस फिल्म के दिखाया गया है कि 'योद्धा' बनें अरुण कट्याल ना सिर्फ अपनी पत्नी और मां के लिए लॉयल हैं बल्कि अपने देश के लिए भी उतने ही लॉयल हैं। अपने परिवार से भी ज्यादा देश को मानने वाला इंसान ही एक असली 'योद्धा' बन सकता है। इसके लिए फिल्म में दिखाया गया सिद्धार्थ मल्होत्रा का किरदार एक शानदार उदाहरण है, जो हर इंसान में होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता और कुछ पैसों के लिए लोग अपना ईमान तक बेच देते हैं।
2. जज्बा
बात अगर एक फौजी की होती है, तो जज्बा होना तो लाजिमी है। किसी भी जवान में कुछ कर गुजरने की चाह ही उसे असली 'योद्धा' बनाती है फिर चाहे वो 'अरुण कट्याल' हो या फिर 'शेरशाह'। फिल्म 'योद्धा' में सिद्धार्थ मल्होत्रा का किरदार जज्बे और हौसले से भरा हुआ है, जो उन्हें एक सच्चा 'योद्धा' साबित करता है। हालांकि इसके लिए किसी को भी अग्निपरिक्षा से गुजरना पड़ सकता है।
3. पिता की सीख
कई बार ऐसा होता है कि किसी भी फौजी के पिता, दादा या उनके परिवार में से कोई सेना में जरूर होता है। जब एक फौजी के परिवार में पहले से एक फौजी होता है, तो देश के लिए उसका प्यार और बढ़ जाता है। साथ ही उनके द्वारा दी गई सीख उन्हें एक नए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती है और वहीं से उनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा भी पनपता है।
4. नेगोशिएट नहीं करना
जब कोई भी 'योद्धा' यानी फौजी वर्दी पहनता है, तो वो नेगोशिएट नहीं करने की भी कसम खाता है, जो फिल्म 'योद्धा' में अरुण कट्याल के स्टाइल में बखूबी दिखाया गया है। इस फिल्म में अरुण कट्याल किसी भी हालात में नेगोशिएट नहीं करते हैं और हर सिचुएशन में अपनी हिम्मत हौसले और जज्बे से अपने देश और अपनी इज्जत सबकी रक्षा करते हैं।
5. सहनशक्ति
किसी भी जवान में सहनशक्ति का होना भी बेहद जरूरी है। भले की कोई भी सिचुएशन क्यों ना हो, कोई आपको कुछ भी कहें आपको कितना भी भला-बुरा कहा जाए, लेकिन उस टाइम आपके अंदर की सहनशक्ति इतनी होनी चाहिए कि आप हर एक सिचुएशन का सामना कर सकें, जोकि 'योद्धा' में अरुण कट्याल के किरदार में साफ झलक रहा है।
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