Auron Mein Kahan Dum Tha Review: अजय देवगन-तब्बू की जोड़ी दिखाएगी कमाल या 'उलझ' जाएंगे फिल्म के किरदार? जानिए कैसी है फिल्म
Auron Mein Kahan Dum Tha Review: बॉलीवुड का ओल्ड स्कूल रोमांस आजकल पर्दे पर कम ही देखने को मिलता है। मॉडर्न लवस्टोरी, मार-धाड़, सस्पेंस थ्रिलर से भरा एक्शन, बड़े पर्दे पर आजकल डायरेक्टर्स अपने पिटारे से यही कुछ दर्शकों के लिए लेकर आते हैं जिससे कि वो एंटरटेन होते हैं। हालांकि नीरज पांडे द्वारा निर्देशित फिल्म 'औरों में कहा दम था' ऑडियंस के लिए कुछ हटकर लेकर आती है। फिल्म में अजय देवगन और तब्बू की सुपरहिट जोड़ी एक बार फिर दर्शकों को इंप्रेस करने के लिए आ गई है। फिल्म आज बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो चुकी है। अजय और तब्बू आखिरी बार सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म 'दृश्यम 2' में नजर आए थे। इस फिल्म ने तो ऑडियंस को काफी इंप्रेस किया था लेकिन क्या फिल्म 'औरों में कहा दम था' भी वही कमाल कर पाएगी जिसकी उम्मीद अजय-तब्बू को रहेगी? कैसी है फिल्म की कहानी चलिए आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं।
कहानी
फिल्म की कहानी के दो मुख्य पात्र है- कृष्णा और वसुधा। कृष्णा का यंगर वर्जन शांतनु माहेश्वरी ने प्ले किया है वहीं वसुधा के यंग वर्जन को सई मांजरेकर ने पर्दे पर उतारा है। इन्हीं दोनों किरदारों के ओल्ड वर्जन को अजय देवगन और तब्बू निभा रहे हैं। कृष्णा और वसुधा को एक दूसरे से बेइंतहा प्यार है। फिल्म की कहानी भी यही से शुरू होती है जहां दोनों एक दूसरे से बिछड़ने के अपने डर को बयां करते हैं। वसुधा कृष्णा से पूछती हैं कि कोई हमें अलग तो नहीं कर देगा ना? इस सवाल पर कृष्णा का जवाब होता है नहीं। आजतक कोई ऐसा पैदा ही नहीं हुआ है।
इसके बाद अचानक से दोनों की जिंदगी में तूफान दस्तक देता है जिससे दोनों की जिंदगी 360 डिग्री घूम जाती है। फिल्म की शुरुआत जहां साल 2002 से होती है वो 22 साल आगे चली जाती है यानी वर्तमान में। साल 2024 में जो कृष्णा वसुधा से शादी का सपना देख रहा था वो सीधा जेल में नजर आता है। वहीं वसुधा को दूसरी तरफ कृष्णा से बिछड़ने के गम में रोते हुए दिखाया जाता है। लेकिन यहां कहानी में ट्विस्ट ये है कि वसुधा ने किसी और से शादी कर ली है। वो लाइफ में आगे भी बढ़ चुकी है। उसके पास बेहिसाब पैसा है। मुंबई शहर में उनका आलिशान महल जैसा घर है।
अब सवाल ये आता है कि कृष्णा आखिर जेल में क्यों जाता है? वसुधा से वो कैसे जुदा हो जाता है। बस यही से फिल्म की कहानी अनफोल्ड होना शुरू होती है। बीच-बीच में फ्लैशबैक के जरिए फिल्म की कहानी को दिखाया गया है। कैसे दोनों की लाइफ एक इन्सीडेंट से बदल जाती है? ये आपको जानने के लिए फिल्म को देखना होगा।
एक्टिंग
इमोशन से भरी इस फिल्म में कृष्णा और वसुधा की प्रेम कहानी को बड़े ही इत्मिनान से दिखाया गया है। जहां दोनों एक दूसरे से शादी करके सेटल होना चाहते हैं। लेकिन फिर अचानक कुछ ऐसा होता है जिससे दोनों जुदा हो जाते हैं। फिल्म का स्ट्रॉन्ग प्वाइंट है किरदारों की एक्टिंग। फिल्म की स्टारकास्ट ने बेहतरीन काम किया है। अजय और तब्बू के शानदार अभिनय ने दर्शकों को फिर प्रभावित किया है। वहीं कृष्णा और वसुधा के यंग रोल में दिखे शांतनु और सई मांजरेकर भी पर्दे पर अपनी एक्टिंग से छा गए हैं। जहां सई मांजरेकर ने अपना रोल बहुत सादगी से निभाया है, वहीं शांतनु ने भी अपनी तरफ से पूरा दम-खम लगाया है। फिल्म में वसुधा के पति के किरदार में जिमी शेरगिल नजर आ रहे हैं, जिसका किरदार पॉजिटिव दिखाया गया है और दर्शकों को पसंद आ सकता है। रोमांस ड्रामा जॉनर वाली इस फिल्म की लेंथ करीब 2 घंटे 25 है।
डायरेक्शन
हमेशा अपनी बेहतरीन थ्रिलर फिल्मों के लिए जाने जाने वाले डायरेक्टर नीरज पांडे ने पहले बार रोमांटिक ड्रामा फिल्म बनाई है। फिल्म में इमोशनल जर्नी को अच्छे से दिखाया गया है। बॉलीवुड का ओल्ड स्कूल रोमांस को फिर से पर्दे पर निर्देशक ने जिंदा कर दिया है। लेकिन फिल्म की कहानी बहुत स्लो नजर आती है। फिल्म का बेस्ट और मजबूत पक्ष कलाकारों की एक्टिंग ही नजर आती है। इसके अलावा फिल्म बहुत जगहों पर काफी बोर करती है। आप पहले से ही प्रिडिक्ट कर सकते हो कि आगे फिल्म में क्या देखने को मिलेगा। बीच-बीच में फिल्म फ्लैशबैक में जाती है और ऐसा लगता है कि वर्तमान से कहानी पूरी तरह भटक गई है। दर्शक खुद को फिल्म के साथ कनेक्ट भी इसलिए नहीं कर पाते, क्योंकि बार-बार फिल्म में एक ही सीन को दिखाया गया है। फिल्म को पोएटिक अंदाज में पेश करने की कोशिश जरूर की गई है। लेकिन कहानी को बहुत खींचा गया है। फिल्म में थोड़े और ट्विस्ट लाए जा सकते थे लेकिन कहानी को बहुत सीधा-सीधा दिखाया गया है। फिल्म की लेंथ को भी थोड़ा कम किया जा सकता था। यही वजह है कि फिल्म को देखकर आपको थोड़ी बोरियत जरूर हो सकती है।
फिल्म का म्यूजिक
फिल्म में एक्टिंग के अलावा अगर कुछ और इंप्रेस करता है तो वो फिल्म का म्यूजिक ही है। फिल्म के गाने काफी इमोशनल हैं।ऑस्कर विनर एम.एम. किरवानी ने गानों को कंपोज किया है। फैंस को फिल्म का म्यूजिक बहुत प्रभावशाली है। फास्ट म्यूजिक के जमाने में ऐसे गाने बनाने के लिए कंपोजर, लिरिक्स राइटर और सिंगर्स की तारीफ तो जरूर करनी ही चाहिए।
फैसला
अक्सर देखा गया है कि रोमांटिक जॉनर की फिल्म को हैप्पी नोट पर खत्म किया जाता है। लेकिन इस फिल्म में ऐसा देखने को नहीं मिलेगा। फिल्म की कहानी वहीं खत्म होती है जहां से शुरुआत में दिखाया गया था। यानी कृष्णा और वसुधा दोनों जिंदगी में एक दूसरे के साथ नहीं बल्कि एक दूसरे से जुदा होकर आगे बढ़ना चाहते हैं। दोनों का प्यार अपनी मंजिल पर नहीं पहुंच पाता है। अगर आप हर बात में लॉजिक ढूंढते हो तो आपको थोड़ी निराशा हाथ लग सकती है क्योंकि आज की जेनरेशन कृष्णा का किरदार बेवकूफ लग सकता है। फिल्म की कहानी में कुछ नयापन भी देखने को नहीं मिल रहा है। लड़की के प्यार में लड़का अपना सबकुछ गवा बैठता है और इसे जरा सा भी इस बात का मलाल नहीं है।
अगर आप ये सोचकर थिएटर्स जाएंगे कि आपको बहुत ट्विस्ट एंड टर्न के साथ फिल्म की कहानी देखने को मिलेगी तो आपको निराशा होगी। कुल मिलाकर अगर आप रोमांटिक फिल्में देखना पसंद करते हैं तो ये फिल्म आप देख सकते हो लेकिन अगर नहीं तो फिर आप थिएटर्स के बाहर अपना माथा पीटते हुए आएंगे।