Movie Review: सस्पेंस-थ्रिल से भरपूर है फिल्म ‘आलिया बसु गायब है’; सुलझी मिस्ट्री या फंस गया पेच?
Aliya Basu Gayab Hai Review: ( Ashwani Kumar) सस्पेंस थ्रिलर फिल्में इन दिनों बॉक्स ऑफिस पर छाई हुई हैं। हालांकि पुराने दौर से लेकर अब तक कई थ्रिलर फिल्में आती रही हैं, लेकिन सभी दर्शकों को बांधने में सफल नहीं हो पाईं। दर्शकों को याद वही फिल्में रहती हैं, जिन्होंने अपनी स्क्रिप्ट और डायरेक्शन का जादू दिखाया। हालिया रिलीज 'आलिया बसु गायब है' एक ऐसी ही साइकोलॉजिकल थ्रिलर है, जिसने अभी थ्रिलर फिल्मों के शौकीन और अधिक रोमांचक अनुभवों का अभाव झेल रहे दर्शकों के दिल और दिमाग पर मानो जादू सा कर दिया है। आखिर कैसी है फिल्म की कहानी और फिल्म के किरदारों के काम की प्रशंसा होगी या नहीं चलिए आपको बताते हैं।
कैसी है फिल्म की कहानी?
रिहैब पिक्चर्स की फिल्म 'आलिया बसु गायब है' को देखने के बाद साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्मों के प्रशंसकों को बड़ा सुकून मिल रहा है। विनय पाठक, राइमा सेन, सलीम दीवान जैसे उम्दा कलाकारों से सजी ये फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे ट्विस्टेड और मनोरंजक थ्रिलर के तौर पर सामने आई है, क्योंकि ये फिल्म न केवल एक रोमांचक थ्रिलर के वादे को पूरा करती है बल्कि दोषी पात्रों और उनकी स्वार्थी इच्छाओं पर आधारित एक अलग तरह की कहानी भी सामने लाती है। वास्तव में रिहैब पिक्चर्स ने इस फिल्म के जरिये बड़े पर्दे के लिए विशेष रूप से एक रोमांचक अनुभव तैयार किया है, जो चौंकाने वाले ट्विस्ट और टर्न प्रदान करता है।
'आलिया बसु गायब है' की कहानी पहचान और धारणा के बारे में कुछ गहन सवालों से निपटती है, क्योंकि ये सिर्फ एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर नहीं है, बल्कि ये मानव स्वभाव की साइकोलॉजिकल खोज है। यह फिल्म रिश्तों की जटिलताओं और आम जीवन में हमारे सामने आने वाली नैतिक दुविधाओं पर आधारित है। कह सकते हैं कि ये एक विचारोत्तेजक साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म है, जो क्रेडिट रोल होने के बाद भी हमेशा दर्शकों के साथ रहेगी। जो चीज इस फिल्म को सबसे अलग बनाती है, वह है इसका लेखन, जो वास्तव में इसे साल की 'सबसे रोमांचक फिल्म' बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ता है। थ्रिलर की विशेषता और परिभाषा उनके द्वारा उत्पन्न मनोदशा से होती है, जो उनके दर्शकों को रहस्य, उत्साह, आश्चर्य, प्रत्याशा और चिंता की तीव्र भावनाएं प्रदान करती हैं। 'आलिया बसु गायब है' में से सारे तत्व प्रभावी तरीके से सामने आते हैं और दर्शकों में हर अगले पल के बारे में जानने की जिज्ञासा भी पैदा करते हैं। ‘अस्तित्व के लिए संघर्ष’ वाली विद्रोही कहानी, शानदार और कसी हुई पटकथा, अस्थिर एक्शन सीन इस फिल्म की अतिरिक्त विशेषताएं है। यानी, इसमें एक वास्तविक व्यावसायिक पॉटबॉयलर के सभी तत्व मौजूद हैं।
'आलिया बसु गायब है' पूर्व अपराधियों दीपक और विक्रम की कहानी पर आधारित है, जो फिरौती और निजी बदला लेने के लिए एक अमीर आदमी, यानी उद्योगपति गौतम बसु की बेटी आलिया का अपहरण करते हैं, लेकिन दीपक के छिपे हुए इरादों से उसका दोस्त विक्रम भी अनजान है। आलिया अपहर्ताओं से खुद को छुड़ाने के लिए संघर्ष करती है और अपने पिता से बचाव में मदद करने की गुहार लगाती है। जब अपहर्ता फिरौती लेने के लिए तयशुदा स्थान पर पहुंचते हैं, तो उन्हें धोखे का पता चलता है, जबकि वहां पैसा भी मौजूद है। कुल मिलाकर यह साइकोलॉजिकल सस्पेंस थ्रिलर शुरू से ही अपने खास तत्व, यानी फुल सस्पेंस के वादे को पूरा करती है। इसी के साथ यह फिल्म कामुकता और जटिल मानवीय भावनाओं के विषयों को भी जोड़ती है, जो इसे एक रहस्यपूर्ण ड्रामा के विषय से थोड़ा अलग नजरिया प्रदान करती है। यह फिल्म उन दर्शकों को विशेष रूप से पसंद आएगी, जो नए कंटेंट वाली साइकोलॉजिकल थ्रिलर का इंतजार करते रहते हैं।
कलाकारों की एक्टिंग
फिल्म में विनय पाठक, राइमा सेन और सलीम दीवान जैसे एक से बढ़कर एक दिग्गज कलाकार हैं और सभी ने अपनी भूमिकाओं के साथ पूरा न्याय भी किया है। दिलकश राइमा सेन ने हमेशा अपने कम्फर्ट-जोन से बाहर निकलने की कोशिश की है और उनकी यह कोशिश इस फिल्म में भी साफ नजर आती है। ‘आलिया बसु गायब है’ में खूबसूरत राइमा एक अमीर आदमी की बेटी आलिया का किरदार निभा रही हैं, जिसका ‘अपहरण’ कर लिया जाता है और उसे यातनापूर्ण बंदी हिरासत में रखा जाता है। इस अपहृत युवती के किरदार में राइमा सेन ने अपनी भूमिका में जान डाल दी है।
जबकि, विनय पाठक तो अपने किरदार में इस कदर रच बस गए हैं, उन्हें किरदार में ढूंढना तक मुश्किल हो जाता है। भूमिका चाहे जैसी भी हो, विनय पाठक उसमें विशेष प्रवाह ला देते हैं। उनमें सिनेमा कूट-कूट कर भरा है। वह एक ऐसे मंझे हुए कलाकार हैं, जो टीवी से लेकर फिल्मों और वेब सीरीज तक में हर तरह के किरदार में छाप छोड़ते हैं। उनकी सधी हुई अदाकारी और बेजोड़ हास्य कलाकारी का सिनेमा में कोई सानी नहीं है। विनय पाठक ने अब तक 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और खास बात यह है कि हर फिल्म में उनका किरदार दर्शकों के दिलो दिमाग पर अलग छाप छोड़ जाता है। उनका अभिनय भी हमेशा बेहद सहज और नैसर्गिक दिखाई देता है और 'आलिया बसु गायब है' में भी वह अपने इस गुण का विशेष प्रयोग करते नजर आते हैं।
अब बात सलीम दिवान की, जिनकी ये दूसरी ही थियेटर रिलीज फीचर फिल्म है, लेकिन वो एक मंझे हुए कलाकार के तौर पर सामने आते हैं। अपने काम से उन्होंने अपने अंदर के कलाकार के कद को सबके सामने प्रभावशाली तरीके से रखा है। सलीम दिवान ने साइकोलॉजिकल थ्रिलर में अपने अनुभव के आधार पर किरदार को जिस तरह से पोट्रेट किया है, उसे थियेटर का कोई मंझा हुआ कलाकार ही सही से निभा सकता है। चूंकि सलीम थिएटर बेस्ड कलाकार हैं, इसी वजह से उन्होंने इस फिल्म में अपने किरदार को काफी आसानी से हरपल जीवंत बनाए रखा। हालांकि, इस तरह का किरदार करना काफी कठिन होता है, लेकिन सलीम दिवान ने थियेटर के अपने अनुभवों को एकीकृत कर अपनी भूमिका और उसके सस्पेंस को आखिर तक बरकरार रखा।
अपने किरदार को पूरे भाव के साथ निभाते हुए आलिया बासु को किडनैप करने और उसके बाद के दृश्यों में उन्होंने हर दर्शक को कुर्सी से बांधे रखा। कह सकते हैं कि अपने किरदार के जरिये उन्होंने अभिनय की दुनिया में अपनी विशिष्ट छाप छोड़ने में कामयाबी हासिल की है। दरअसल, भरपूर संघर्ष के बाद सलीम दिवान ने अपनी काबिलियत के दम पर बॉलीवुड में अलग पहचान बनाई है। सलीम दिवान की खासियत रही है कि वह ऐसे किरदारों की ओर आकर्षित होते हैं, जो एक अभिनेता के तौर पर उन्हें चुनौती देते हैं। ऐतिहासिक नाटकों से लेकर समकालीन सामाजिक मुद्दों तक, विविध शैलियों को तलाशना उन्हें पसंद है और अपनी इसी तलाश के तहत आलिया बसु गायब है, में वह अपने किरदार की जटिलता से मोहित हुए थे। दरअसल, यह सतह के नीचे की एक कच्ची कमजोरी है, जो सलीम के साथ इस फिल्म में प्रतिध्वनित हुई। किसी भी कलाकार के लिए ऐसी भूमिका मिलना दुर्लभ है, जो उसे मानवीय भावनाओं की इतनी विस्तृत श्रृंखला का पता लगाने की अनुमति देती हो। यही वजह है कि आलिया बसु गायब है, में अपहर्ता की क्रूर भूमिका में उन्होंने जान डाल दी है।
फिल्म का निर्देशन
जहां तक निर्देशन की बात है, तो प्रीति सिंह ने 'आलिया बसु गायब है' के जरिये पहली बार किसी फीचर फिल्म के डायरेक्शन की बागडोर संभाली है। हालांकि, इससे पहले उन्होंने पहले एक लघु फिल्म 'द लवर्स' का निर्देशन किया था, लेकिन इसके बावजूद 'आलिया बसु गायब है' उनके लिए एक बहुत ही खास प्रोजेक्ट था। ऐसे में उन्होंने अपनी तमाम ऊर्जा और अपने अनुभव को इसमें झोंक दिया। ऐसे में फिल्म के हरेक एंगल में उनकी ईमानदारी और मेहनत स्वत: झलकती है। अपनी पहली ही फिल्म का कुशल निर्देशन करके उन्होंने यह जता दिया है कि उनकी फिल्मी सोच अलहदा है। यही वजह है कि दर्शकों के लिए 'आलिया बसु गायब है' को मनोरंजक और रोमांचकारी तमाशा बनाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है।
ऐसे में अगर आप एक रोमांचक सिनेमाई अनुभव से मोहित होने के लिए तैयार हैं, तो तत्काल 'आलिया बसु गायब है' का टिकट बुक करा लीजिए। अपनी मनोरंजक कहानी, कलाकारों के शानदार अभिनय और प्रीति सिंह के दमदार निर्देशन के साथ यह फिल्म भारतीय साइकोलॉजिकल थ्रिलर के परिदृश्य को सार्थकता से दुबारा परिभाषित कर रही है। तो आप भी इस रोमांचक यात्रा का हिस्सा बनने का मौका न चूकें।
आलिया बसु गायब है को मिलते हैं 3 स्टार
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