Chandu Champion Review: स्ट्रगल और डेडिकेशन की कहानी है Kartik Aaryan की फिल्म, देखने से पहले पढ़ें रिव्यू
Chandu Champion Movie Review: (Navin Singh Bhardwaj) फिल्म इंडस्ट्री में खेल जगत से रिलेटेड फिल्में पहले भी कई बार बन चुकी हैं। चाहें 'गोल्ड' हो या 'मैदान' या फिर 'एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' ये सभी फिल्में बायोपिक हैं। इंडिया के रियल स्टार्स की जिंदगी से इंस्पायर्ड ये फिल्में हमेशा से दर्शकों का दिल जीतती आई हैं। यही वजह है कि 'खेल और बॉलीवुड' हमेशा से एक साथ चलता आया है। अब इस लिस्ट में फिल्म 'चंदू चैंपियन' का नाम भी जुड़ गया है। एक खिलाड़ी जिसके बारे में कम ही लोगों को पता है, जिनका नाम मुरलीकांत पेटकर है, पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट इस खिलाड़ी की जिंदगी को पर्दे पर लाने का काम किया है डायरेक्टर कबीर खान ने। बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन की फिल्म 'चंदू चैंपियन' को साजिद नाडियाडवाला ने प्रोड्यूस किया है। ये फिल्म आज 14 जून को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म देखने से पहले एक बार जरूर पढ़ें फिल्म का रिव्यू।
चंदू चैंपियन की कहानी
कार्तिक आर्यन की फिल्म 'चंदू चैंपियन' की कहानी शुरू होती है पुणे से दूर सांगली के पेठ इस्लामपुर के एक छोटे से गांव में, जहां स्टेशन पर आये ओलंपिक चैंपियन को देखने के बाद मुरलीकांत (जो अभी छोटा बच्चा है) के मन में ओलंपिक में हिस्सा लेने की ख़्वाहिश जागती है। धीरे-धीरे उसकी यही ख्वाहिश उसका सपना बन जाता है। बड़े भाई से सलाह मिलने के बाद मुरलीकांत (कार्तिक आर्यन) कुश्ती के मैदान में उतरकर सभी दांव-पेंच सीखता है। गांव वालों के ताने सुनने के बाद मुरली ट्रेन पकड़कर गांव से दूर जा रहा होता है। रास्ते में उसकी मुलाकात करनैल सिंह (भुवन अरोड़ा) से होती है, जिसकी सलाह पर मुरली फ़ौज में शामिल हो जाता है। फौज में शामिल होने के बाद मुरली टाइगर अली (विजय राज) से मिलता है। टाइगर अली उसे मिडिल वेट बॉक्सिंग की तैयारी करने को कहता है। इसके बाद शुरू होती है मुरली की नई जर्नी और वो 1964 के इंटरनेशनल मिलिट्री गेम में शामिल होकर बॉक्सिंग में सिल्वर मेडल जीतता है। हालांकि ओलंपिक में शामिल होने का सपना पूरा करने से पहले उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। दरअसल, 1965 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में वो घायल हो जाता है। उसे 9 गोलियां लगती हैं, जिससे मुरली कमर के नीचे से पैरालाइज हो जाता है। इस हादसे के बाद भी मुरली का जुनून कम नहीं होता और वो ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने के लिए स्विमिंग सीखता है। 1972 में हैडलबर्ग के पैरालंपिक में हिस्सा लेने के बाद 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग में मुरलीकांत पेटकर को गोल्ड मेडल मिलता है।
यह भी पढ़ें: Aamir Khan के बेटे की ‘महाराज’ पर विवाद क्यों? रिलीज रोकने के साथ उठी #BoycottNetflix की मांग
डायरेक्शन, राइटिंग और म्यूजिक
डायरेक्टर कबीर खान पहले भी स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म '83' को डायरेक्ट कर चुके हैं। 'चंदू चैंपियन' में उनके डायरेक्शन को लेखन का भरपूर साथ मिला है। सुमित अरोड़ा और सुदीप्तो सरकार ने बड़ी शानदार स्क्रिप्ट लिखी है। मुरलीकांत पेटकर की कहानी पर रिसर्च करने में कबीर खान और उनकी टीम ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। डायरेक्शन, राइटिंग और डायलॉग यहां तक कि पंचलाइन सब जबरदस्त हैं। हालांकि कुछ-कुछ जगहों पर कबीर डायरेक्शन में चूक गए हैं। फिल्म की शुरुआत आपको थोड़ा बोर कर सकती है लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म रफ्तार पकड़ती है और जो आपको कुर्सी से बांधकर रखती है। आखिर वक्त में आप इमोशनल भी हो जाएंगे। कुल मिलाकर फ़िल्म का क्लाइमेक्स ज़बरदस्त है।
एक्टिंग
कार्तिक आर्यन के लिए चंदू चैंपियन बनना काफी मुश्किल रहा है और अपनी मेहनत को उन्होंने पर्दे पर बखूबी दिखाया है। स्कूल के बच्चे होने से लेकर बूढ़े होने तक के किरदार को कार्तिक आर्यन ने शानदार तरीके से पेश किया है। ओलंपिक चैंपियन बनने कि चाह में मुरली के किरदार में कार्तिक इस कदर ढल गए थे, कि आपको लगेगा ही नहीं कि आप कार्तिक को देख रहे हैं। कार्तिक आर्यन के अलावा फिल्म में भुवन अरोड़ा, विजय राज और राजपाल यादव भी जबरदस्त भूमिका में नजर आए हैं। श्रेयस तलपड़े और सोनाली कुलकर्णी का होना फिल्म में होना चार चांद लगाने जैसा है।
फाइनल वर्डिक्ट
अगर आप कार्तिक आर्यन की फिल्म 'चंदू चैंपियन' देखने का प्लान कर रहे हैं तो सिर्फ प्लान नहीं करें बल्कि फिल्म को देखें भी क्योंकि बड़े पर्दे पर गोल्ड मेडलिस्ट मुरलीकांत पेटकर की कहानी को देखना जबरदस्त एक्सपीरियंस होने जैसा है। फिल्म को देखने के बाद आपको प्राउड फील होगा।