रेलवे की नौकरी छोड़ी, बंटवारे का दर्द झेला, उठाई कलम और लिखा- प्यार हमें किस मोड़ पर ले आया
Gulshan Bawra Birthday Special: गीतों का गुलशन, गुलशन के गीत... जी हां, हम बात कर रहे हैं फिल्म इंडस्ट्री के गीतकार और एक्टर गुलशन मेहता की जिन्हें गुलशन बावरा के नाम से पहचाना जाता था। 12 अप्रैल 1937 को पंजाब के गांव शेखुपुरा (अब पाकिस्तान) में जन्मी इस मशहूर हस्ती का आज जन्मदिन है। फिल्म इंडस्ट्री में उनके लिखे सदाबहार गाने जब रिलीज हुए तो कई अवसरों के लिए नगीने बन गए। 'प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया', 'अगर तुम न होते', 'यारी है ईमान मेरा' और न जाने कितने गाने जिन्हें गुलशन बावरा ने लिखा वो आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। जन्मदिन के खास मौके पर आइए जानते हैं गुलशन बावरा के बारे में कुछ अनसुनी बातें और उनके लिखे सदाबहार गीतों के बारे में...
हादसे बना कलम उठाने की वजह
गुलशन बावरा ने बंटवारे के दौरान अपनी आंखों से पिता और चाचा का कत्ल होते देखा था। उस दौरान उनकी बहन उन्हें अपने साथ जयपुर ले गई। वापस दिल्ली आकर गुलशन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और शायर बन गए। इसके बाद वह रेलवे क्लर्क की नौकरी करने के लिए मुंबई आ गए। हालांकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। 1955 में उनकी मुलाकात संगीतकार कल्याण वीरजी शाह से हुई जिन्होंने उन्हें अपनी फिल्म 'चंद्रसेना' में ब्रेक दिया। बस फिर क्या रेलवे का क्लर्क बन गए गीतकार।
दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन
गुलशन बावरा ने अपने पूरे करियर में कई सुपरहिट गानें लिखे। एक दिन अचानक उनकी कलम हमेशा के लिए रुक गई। 7 अगस्त 2009 को लंबी बीमारी के बाद दिल का दौरा पड़ने से गुलशन बावरा का निधन हो गया। उनकी इच्छानुसार मृतदेह को जेजे अस्पताल को दान किया गया था। बावरा तो अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन इंडस्ट्री में उनका योगदान इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए कैद हो चुका है।